मैं राह का चिराग हूँ, सूरज तो नहीं हूँ
जितनी मेरी बिसात है काम आ रहा हूँ
किसी ने यह पंक्तियां सोनू सूद के लिए कितनी सटीक लिखी है, जो अब तक बॉलीवुड में अपने सुपरहिट किरदारों के चलते ‘अ विलन विद मसल्स’ के नाम से जाना जाता था।
लेकिन 2020 के भयानक कोरोना काल में उन्होंने जो ‘गुड स्मार्टिन’ बनकर मुंबई के मजबूर और मजदूर लोगों को जिंदा रहने और सुरक्षित स्थानों पर पहुँचने के लिए तन मन और धन से काम किया।
सुलेना मजुमदार अरोरा
ट्विटर पर सोनू को आज का सुषमा स्वराज कहा जाने लगा
आज वे सिर्फ हिंदी तेलुगु कन्नड़ और पंजाबी फिल्मों के स्टार ही नहीं बल्कि वर्ष 2020 तथा 2021 के रियल लाइफ हीरो के रूप में भी स्थापित हो गए और अब उन्हें ‘एंजल विद मसल्स’ के नाम से पुकारा जा है।
ट्विटर पर सोनू को आज का सुषमा स्वराज कहा जाने लगा, जो आम गरीब लोगों की मुसीबत के समय उनकी मदद के लिए दिन–रात खड़े रहें।
सोनू ने लॉकडाउन के दौरान मुंबई में फंसे हुए हजारों मजदूरों और स्टूडेंट्स को सुरक्षित उनके गांव और घर पहुंचाया।
एक महीने से ज्यादा के लॉकडाउन समय में जब भूखे बेघर मजदूर और छात्र अपने गांव जाने के लिए हजार मील से ज्यादा पैदल चलने के लिए निकल पड़े थे और रास्ते में बीमारी तथा मौत का शिकार हो रहे थे।
तब सोनू सूद ने अपने पैसों से अपनी प्रॉपर्टी गिरवी रखकर उन मुसीबतजदों को प्राइवेट गाड़ियों से सुरक्षित घर भेजने की जिम्मेदारी ली।
एक बस पर 65 हजार से दो लाख तक का खर्चा आता है, जिसे सोनू सूद ने खुद उठाया, लॉकडाउन के दिनों में जब सड़क पर साइकिल तक चलाना मना था।
ऐसे में बड़े–बड़े बसों से मजदूरों, प्रवासियों को मीलों दूर उनके घर भेजना बहुत जोखिम और हिम्मत का काम था, लेकिन सोनू ने अपने ‘घर भेजो’ कैंपेन के तहत धुंआधार निडरता से काम करना शुरू किया।
उन्होंने फ्रंटलाइन वर्कर्स को मास्क तथा फेस शीट्स बांटे, विदेशों में फंसे हुए छात्रों को भी एअरलिफ्ट करके उनके घर तक पहुंचाया और किसानों की मदद के लिए भी खड़े हुए।
बहुत गरीब जरूरतमंद किसान को ट्रैक्टर भेंट की, सोनू ने उन बेरोजगार हो चुके नौकरीपेशों के लिए ‘प्रवासी रोजगार ऐप’ लॉन्च किया ताकि हर तरह के वर्कर को उनके हुनर के हिसाब से नौकरी मिल सके,
प्रवासियों को घर भेजने की मुहिम जो उन्होंने चलाया था वह आसान नहीं था
सोनू ने तमाम अधिकारियों और बस के मालिकों से इस काम में मदद करने की गुहार लगाई थी लेकिन सब ने यह कहकर इंकार कर दिया कि इस चक्कर में उनकी गाड़ी जब्त ना कर ली जाए।
फिर सोनू ने किसी तरह 120 बसों की व्यवस्था की और उनके किसी भी प्रकार के नुकसान की भरपाई करने का वादा किया।
सोनू के अनुसार एक एक प्रवासी के लिए यात्रा का परमिशन पाना कठिन था, सारे फंसे हुए प्रवासी सोनू से दिन–रात संपर्क करते रहते थे, और उन्हें एक–एक प्रवासी के लिए अलग–अलग परमिशन हासिल करना पड़ता था।
उन्होंने सबके नाम की एक लिस्ट बनाई और उन्हें अलग–अलग ग्रुप में बांटा और सब ग्रुप का एक हेड नियुक्त किया तथा प्रत्येक प्रवासी का डिटेल निकलवा कर अलग–अलग स्टेट में भेजकर परमिशन मंगवाया।
इसके साथ ही हर बस ड्राइवर के लिए परमिट भी बनानी पड़ी साथ ही उन्हें सब यात्रियों का मेडिकल टेस्ट भी करवाना पड़ा, वे कोविड़-19 नेगेटिव है कि, नहीं पता करना बहुत मुश्किल काम था।
जिसके लिए उन्हें डॉक्टर से लगातार संपर्क करते रहना पड़ता था, उन दिनों सोनू कई–कई हफ्ते नहीं सोया, उनकी पत्नी श्रीमती सोनाली ने बताया कि वे प्रत्येक दिन 22 घंटे दौड़ भाग में लगे रहें।
कई प्रवासी यात्रियों के कई मेडिकल प्रॉब्लम भी थे, एक आदमी को बनारस के अस्पताल में किडनी ट्रांसप्लांट करवाना था, उसे सोनू ने एंबुलेंस से ठेठ बनारस के अस्पताल में भर्ती करके किडनी ट्रांसप्लांट होने में मदद की।
, सोनू भागदौड़ करता रहा, जबकि न जाने कितने अमीर और सक्षम लोग दीन दुनिया से बेखबर आराम से घर पर बैठे टीवी पर शोज और फिल्में देख कर टाइम पास कर रहे थे लेकिन सोनू ऐसों में नहीं थे।
सोनू सूद के मन में यह सब करने का विचार कैसे आया? यह पूछने पर पता चला कि लॉकडाउन के दिनों में जब हजारों प्रवासी बेघर और बेकार होकर सड़कों और ईस्टर्न हाईवे के नीचे भूखे पड़े थे, तो सोनू उन्हें खाना बांटने गए थे।
वहां उन्होंने देखा एक स्त्री अकेली अपने छोटे–छोटे बच्चों के बीच बैठी स्टोव के ऊपर खाली कढ़ाही में कड़छी चला रही है।
सोनू को खाना बाँटते देख वह रो पड़ी और बताया कि बच्चे कई दिनों से भूखे हैं इसीलिए वह खाली कढाही में कुछ पत्थर रखकर पकाने का नाटक कर रही थी।
ताकि बच्चे यह सोचकर सो जाए कि माँ कुछ खाना बना रही है, यह देखकर सोनू इतने इमोशनल हुए कि उन्होंने सबको खाने खिलाने का इंतजाम के साथ–साथ घर भेजने का मुहिम शुरू कर दिया।
वे आज भी हर मुसीबत के मारों के लिए भगवान स्वरूप खड़े होकर उनकी मदद करते हैं
सोनू सूद सिर्फ लॉकडाउन के दौरान प्रवासियों की ही मदद नहीं करते रहें, वे आज भी हर मुसीबत के मारों के लिए भगवान स्वरूप खड़े होकर उनकी मदद करते हैं,
कर्नाटक के एक गरीब की डेढ़ वर्ष की बेटी के दिल में छेद था, उसे ओपन हार्ट सर्जरी की जरूरत थी, तो उसने सोनू को फोन किया और जब सोनू ने खुद फोन उठाकर उसे मुंबई,
उनके घर पर आने को कहा तो वह गरीब आश्चर्य में पड़ गया, जब वे लोग सोनू के घर पहुंचे तो सोनू ने उन्हें खाना खिलाया और फिर बच्ची को चिल्ड्रंस अस्पताल में दाखिल करके उसका इलाज भी कराया,
आज वह बच्ची स्वस्थ है और सोनू के संपर्क में है, जिसके पास जेनुइनली रहने की जगह नहीं होती है सोनू उनके लिए भी कोई ना कोई व्यवस्था कर देते हैं,
सोनू ने अपना मुंबई स्थित होटल भी कोरोना फ्रंटलाइन वर्कर्स को रहने के लिए दिया है, सबसे कमाल की बात तो यह है किन जब सोनू यह नेक काम कर रहे थे तो कुछ दिलजलों ने इसे बिगेस्ट स्कैम ऑफ 2020 बताया और ट्रोल करना शुरू किया और कहा कि इन सब के पीछे सोनू का कोई मकसद है।
लेकिन आखिर सच्चाई की जीत होती है, सोना तप कर और निखरता है, सोनू सूद के अच्छे कर्म सूरज की किरणों की तरह चमकने लगा, लाखों लोग, जिन्हें सोनू ने मदद की वे सब सोनू सूद को भगवान मानकर उनकी पूजा करने लगे।
अपने मंदिर में सोनू की तस्वीर सजाने लगे, तब यह सब देखकर ट्रोल करने वालों की बोलती बंद हो गई और वे सब गायब हो गए।
सोनू का मानवता से भरा दिल, उनके नेक स्वभाव के स्वर्गीय माता–पिता सरोज सूद और शक्ति सागर सूद की देन है, सोनू हमेशा से ही दूसरों की मदद और चैरिटी करने वाले शख्स रहे हैं।
मोगा पंजाब में पैदा हुए सोनू ने पंजाब में ड्रग एडिक्शन के खिलाफ भी मुहिम चलाया। उन्होंने एसिड अटैक सरवाइवर तथा दिव्यांग लोगों की मदद के लिए अपनी माँ के नाम ‘सरोज इनिशिएटिव’ भी लॉन्च की।
जब जब किसी ने दिल से सोनू को पुकारा वो दौड़ पड़ा उसकी मदद करने के लिए, एक फैन ने उन्हें कहा कि अगर वे उसकी शादी में श्रीलंका आए तो उसका सपना पूरा होगा और सोनू सूद सचमुच उसकी शादी पर श्रीलंका पहुंच गए।
सोनू ने अपने पिता शक्ति सूद के नाम पर भी श्शक्ति अन्नदान इनीशिएटिवश् लॉन्च किया जहां मुंबई के डेढ़ लाख गरीबों को खाना बांटा जाता है।
सोनू ने कहा था, ‘मेरे माता–पिता ने बचपन से ही हम बच्चों को सिखाया था कि तुम तभी सफल माने जाओगे जब तुम किसी की मदद कर पाओ।
अब तो सबका मानना है कि अपने माता पिता का नाम सही मायने में रोशन करने वाले सोनू सूद सिर्फ 2020 का रियल हीरो ही नहीं 2021 तथा आने वाले वर्षों वर्ष के हीरो हैं, एंजल विद मसल्स।