अली पीटर जॉन
कभी-कभी मेरे दिल में ख्याल आता है कि इस श्वेत वस्त्र धारी की सु मधुर स्वर के बिना इस दुनिया में जीना कितना मुश्किल है। उनकी आवाज उस ऑक्सीजन की तरह है जो करोड़ों लोग पिछले 70 वर्षों से साँसों में लेते आए हैं । उनकी आवाज कईयों के लिए ईश्वर द्वारा बनाई गई अंतिम
उन्होंने अनगिनत गाने गाए हैं, हर भारतीय भाषा में उन्होंने भक्ति और भावनात्मक गाने गाए है । उनसे पहले और उनके बाद में कितने अन्य गायिकाएं आई और लुप्त हो गई लेकिन वह भारतीय संगीत की अतुल्य स्वर की मल्लिका बनी रही। एक मात्र उनके स्वर का ही गुणगान दुनियाभर के महान संगीतकारों ने की लेकिन इन तारीफों ने ना तो उन पर, ना उन के स्वर में गुरुर भरने दिया और आज भी वह स्वर उसी तरह ताजगी से भरपूर है जैसे 1942 में था जब उन्होंने गायन क्षेत्र में पदार्पण किया था।
आज 29 सितंबर को उन्होंने जीवन के 87 वर्ष पूरा करके अट्ठासी वर्ष में कदम रखा है। उमर ने स्वभाविक तौर पर उन पर अपना असर डाला है जिसकी वजह से वे अब ज्यादातर समय पेडर रोड स्थित प्रभु कुंज अपार्टमेंट के अपने कमरे में सिमटी रहती है। यह वह बिल्डिंग है जहां पूरा मंगेशकर परिवार उनकी छत्रछाया में पिछले 50 वर्षों से भी ज्यादा समय से रह रहे हैं लेकिन आज भी उनकी आवाज उस दुर्लभ कोयल की तरह है जिसने करोड़ों वर्षों से दुनियाभर में उड़कर आख़िर में भारत में ही घोसला बनाना तय किया जो भारत के लिए सबसे बड़ी बात है। क्या कोई भारतीय, इस भारत के रतन के बगैर भारत की कल्पना कर सकता है भारत के रत्न यानी लता मंगेशकर। वे भारत के कोने कोने में हर भारतीय के दिल दिमाग में बसती है, वे सुबह की ताजी हवा की तरह है और दुनिया के अमूल्यतम हस्ती है।
ईश्वर ने सिर्फ एक ही लतामंगेशकर बनाने का जो फैसला किया था उसे वह आज भी बदल नहीं पाए। लता जी ने भी इस इरादे को पक्का रखा कि सिर्फ इंसान ही नहीं भगवान भी उनकी आवाज के जादू से अछूते नहीं रह पाएंगे।
ऐसा करोड़ों सालों में बहुत कम होता है जब किसी स्वर को दुनियाभर के तमाम लोगों की तारीफें मिलती है, लेकिन जब उनकी तारीफ दुनिया के महानतम इंसानों द्वारा सर झुका कर किया जाता है तो फिर वह कमाल नहीं तो क्या है ? जैसे यह महान हस्ती उस्ताद बिस्मिल्लाह खान की कहानी है जिन्होंने एक दिन मुंबई के किसी ब्रिज में से ड्राइव करते हुए अचानक रेडियो में लता जी की कोई गीत बजते सुनी तो ड्राइवर को तुरंत कार रोकने को कहते हुए बोले,” अल्लाह की प्यारी आवाज सुनाई दे रही है, सजदा करने को जी चाहता है।”
ऐसे ना जाने कितनी और महान हस्तियों ने लता जी के स्वर पर कुछ इसी तरह की भावना जाहिर की है ।
लता जी के जन्मदिन के उपलक्ष में मैं उनके कुछ सदाबहार प्रशंसकों की बातें बताता हूँ। महान कलाकार दिलीप कुमार ने फिल्मों में अपना नाम, लता मंगेशकर की आवाज का जादू दुनिया में छाने से पहले ही बना लिया था। वह लताजी से 6 वर्ष बड़े थे और उन्हें छोटी बहन के रूप में मानते थे । उनका यह रिश्ता पिछले 65 वर्षों से भी ज्यादा समय तक बना रहा । दिलीप कुमार ने लता जी के विश्वभर के तमाम भव्य कॉन्सर्ट में हमेशा हिस्सा लिया, लेकिन साठ के दशक में उन्होंने लंदन के रॉयल अल्बर्ट हॉल में अपनी छोटी बहन के लिए जो कहा वह दुनिया नहीं भूल सकती और मैं उन चंद वयोवृद्ध लोगों को जानता हूं जो कहते हैं कि दिलीप कुमार बतौर ऐक्टर ज्यादा बेहतर है या लता मंगेशकर बतौर सिंगर ज्यादा बेहतर है यह कहना मुश्किल है ।

दिलीप कुमार वह इंसान है जिन्होंने लता के प्रतिभा को सचमुच पहचाना और इस तरह से व्याख्या की जो आज तक कोई भी नहीं कर पाया । इन दोनों हस्तियों ने पिछले 15 वर्षों में किसी भी इवैंट या उत्सव में एक-दूसरे से ज्यादा मिलने जुलने का अवसर नहीं पाया, लेकिन यह स्वरकोकिला अपने यूसुफ भाई साहब को याद करने का कोई असर नहीं छोड़ती है ।
लता जी का रिश्ता राज कपूर के साथ भी कुछ ऐसा ही था। राज कपूर ने ऑन रिकॉर्ड कई बार यह कहा कि वह लता की आवाज के बिना कोई फिल्म बनाने की सोच भी नहीं सकते हैं। उन्होंने अपनी अंतिम फिल्म ‘हिना’ तक उस सोच को बरक़रार रखते हुए सारे फीमेल गीत लता से ही गवाए ।
राज कपूर का निधन उनकी फिल्म हीना के शुरू होने से पहले ही हो गया, लेकिन निधन से पहले ही उन्होंने अपने बेटे रणधीर कपूर को अपनी यह इच्छा जाहिर की थी कि हिना के सारे स्त्री गीत लता की आवाज में ही होना चाहिए जो रंधीर ने हिना निर्देशित करते हुए पूरा किया।
लता राज कपूर के व्यवसायिक क्षेत्र के भागीदार तो थे ही उनके परिवार के भी अहम हिस्सा थे। दरअसल यह भी कहा जाता है कि उन्होंने सत्यम शिवम सुंदरम की प्रेरणा लता को 30 सालों से भी ज्यादा समय तक ऑब्जर्व करके ली थी ।
एक अमीर आदमी का एक ऐसी स्त्री की आवाज के प्रेम में पड़ जाना जिन्हें उसने कभी नहीं देखा था, यह थीम लता को देख कर ही राज कपूर के मन में आया था।
ऐसे और कई संगीतकार थे जो लता के बिना किसी फिल्म में संगीत देने की सोच भी नहीं सकते थे, क्योंकि उन्हें विश्वास था कि उनसे बेहतर आवाज़ किसी की नहीं है ।
संगीतकार ‘सी रामचंद्र’ ने लता से तरह-तरह के गीत गवाए, कभी ‘अलबेला’ जैसे छोटी फिल्म के लिए कभी दिलीप कुमार,मीना कुमारी स्टारर भव्य फिल्म ‘आजाद’ के लिए और जब इंडो चाइना के 1965 युद्ध के बाद उन्हें एक देशभक्ती गीत बनाना था तो लता की आवाज़ के बगैर उनके पास कोई दूसरा पर्याय नहीं था।

लता ने न्यू दिल्ली के रामलीला मैदान में उस गीत को गाकर पूरे देश पर ही नहीं बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री (जो उस समय बीमार थे) पंडित जवाहरलाल नेहरू पर भी वह जबरदस्त असर डाला कि वे पब्लिक के बीच ही रो पड़ें। उस संगीतकार की, नशे की आदत के कारण हुई अकाल मौत से, उस दिन के बाद लता दोबारा फिर कभी उनके निर्देशन में गा नही पाई ।
एक और संगीतकार मदनमोहन भी अपनी बहन लता मंगेशकर के बिना कोई गीत कंपोज़ करने के बारे में सोच भी नहीं पाते थे चाहे ‘दस्तक’ जैसी कलात्मक फिल्म के लिए म्यूजिक देना हो या चेतन आनंद या राज खोसला जैसे यादगार भव्य मिस्ट्री थ्रिलर बनाने वाले फिल्म मेकर्स के लिये संगीत देना हो, मदन मोहन ने लता से ही सारे फीमेल गाने गवाये जो बेहद हिट हुए।
यश चोपड़ा ने तो अपने को इस देवी का भक्त ही करार कर दिया था।
राज कपूर की तरह वे भी कोई फिल्म लता के आवाज के बिना बनाने की कल्पना नहीं कर सकते थे । इन दोनों के बीच रिश्ता इतना मजबूत था कि अपनी पहली फिल्म ‘धर्मपुत्र’ ‘धूल का फूल’ ‘वक्त’ जैसे फिल्मों से लेकर अपने असामायिक निधन तक की अंतिम फिल्म ‘जब तक है जान’ में उन्होंने लता जी से ही गीत गवाए।
यश जी ने अपने बेटे द्वारा निर्देशित होने वाली प्रथम फिल्म में भी नायिका काजोल के लिए, लता की ही आवाज लेना तय करवाया। लता ने काजोल के लिए भी गीत गाए, काजोल की मां तनुजा के लिए भी गाना गाया और काजोल की मौसी नूतन के लिए भी गीत गाए ।

लता की आवाज से यश चोपड़ा इतने मंत्रमुग्ध थे कि हमेशा कहते थे, “मैं लता जी के बिना इस दुनिया, खासकर अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकता। मैं उनका अनंय भक्त हूँ।” गुलजार अपने दोस्त पंचम (आर डी बर्मन) से दोस्ती के कारण आशा भोसले के ज्यादा करीब थे, लेकिन जब बात उनकी फिल्मों में ‘सबलाइन’ गाने की होती, तो उन्होंने हमेशा लता को ही चुना जिनके बगैर उन्हें अपनी कविता बेजान और बिना गहराई के लगती। लता जी भी गुलजार को बतौर लेखक, गीतकार और निर्देशक बहुत मानते थे ।
तभी विनोद खन्ना, डिंपल कपाडिया स्टारर अपनी पहली हिंदी हौंन्टिंग फिल्म ‘लेकिन’ में बतौर लेखक, गीतकार और निर्देशक उन्होंने गुलजार को ही चुना और बतौर संगीतकार अपने भाई ह्रदय नाथ मंगेशकर को लिया।
लता मंगेशकर, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल जैसे उन दिनों के कई संघर्षरत संगीतकारों के लिए भी देवदूत बनकर आई और उनकी पहली बी-ग्रेड स्टंट फिल्म ‘पारस मणि’ के लिए मोहम्मद रफी के साथ गीत गाकर उसे ‘ए’ क्लास वाली फिल्म का दर्जा दिया, जिसकी वजह से लक्ष्मीकांत प्यारेलाल की जोड़ी को नई जिंदगी मिली और फिर तो लता ने उनके साथ सात सौ गाने गाए।
लता दो और संगीतकार जोड़ी, आनंद मिलिंद (जिनके पापा चित्रगुप्त के लिए लता ने कई बेहतरीन गाने गाए थे) तथा जतिन ललित के लिए भी गॉड मदर जैसी रही।
राम लक्ष्मण की जोड़ी को भी फिर से फिल्म ‘मैंने प्यार किया’ और ‘हम आपके है कौन’ में गाने गाकर लाइमलाइट में लाने का श्रेय लता को ही जाता है। वह अपनी उम्र से बहुत कम उम्र के संगीतकारों के लिए प्रेरणा की स्रोत थी। अंतिम बार उन्होंने ए आर रहमान के साथ एक महान टीम बनाना स्वीकार किया और ए आर रहमान का, लता के साथ गाना कंपोज़ करने के सपने को पूरा किया। जितना हिंदी फिल्मों में उनकी इज्जत भी उतनी ही साउथ की फिल्मों में भी उनका नाम था और जब भी साउथ के बड़े बैनर जैसे ए वी एम् ,प्रसाद प्रोडक्शन, जेमिनी स्टूडियो और कई लीडिंग तेलुगू फिल्म बैनर वालों ने हिंदी फिल्में बनाई तो उन्होंने लता को ही गायिका के रुप में पसंद किया।
फिल्म संगीत में अपनी विशाल योगदान के अलावा भारत रत्न लता मंगेशकर ने मराठी और कई अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में कई एल्बम बनाएं जिनमे अपने छोटे भाई पंडित हृदयनाथ मंगेशकर के संगीत निर्देशन में उन्होंने भजन आरती अभंग गाये।
हृदयनाथ मंगेशकर को कई बार वे एक सख्त गुरु के रूप में संबोधित करते थे । अंतिम बार उन्होंने विख्यात कवि हरिवंशराय बच्चन, सुमित्रानंदन पंत, अज्ञय तथा अन्य कवियों की रचनाओं पर एक गीत एल्बम बनाने का जो प्रयास किया था उसका क्या हुआ यह किसी को पता नहीं चल पाया।
एक तरह से उन्होने अपने प्रफेशनल गायकी से रिटायरमेंट ले लिया है। पिछले कई वर्षों से उन्होंने कोई गाना रिकॉर्ड नहीं की है लेकिन वे आज के संगीत जगत और उसके ट्रैक के बारे में पूरा ध्यान देती है। उन्हें अगर आज के किसी गायक या गायिका ने प्रभावित किया है तो वह है सोनू निगम और श्रेया घोषाल।
अब उनके पास अपने लिए ढेर सारा वक्त है और वे आज के सारे मॉडर्न टेक्नोलॉजी के संपर्क में है और उनसे खूब वाकिफ है। वे एक बेहद सक्रीय ट्विटर राइटर है, जिससे इस वंडर वूमेन की मनोदशा का पता चलता है।भले ही वे उम्र दराज हो गई है लेकिन वे आज भी वही कोयल की तरह युवा हैं जैसे उन्होंने जन्म लिया था और जैसे भाग्यचक्र ने उनके लिए भाग्य की रचना की थी।
” लता जी, आपसे पहले भी बहुत सारे गाने वाले आए और गा कर चले गए लेकिन आपके आने से ही संगीत और गायकी की दुनिया में एक नई रौनक आ गई, आपकी आवाज आज भी धरती पर, आकाश में और अगर स्वर्ग है, तो स्वर्ग में भी गूंजती है और गूँजती रहेगी।
आप एक शताबदी के लिए नहीं है, आप एक उम्र के लिए नहीं है, आप एक जमाने के लिए भी नहीं है, आप आज भी है,कल भी रहेगी और आने वाले अनंत काल तक रहेंगी।
आप वो लता है जिसको ना वक्त बदल सकता है और ना जमाना छू सकता है, क्योंकि आप एक जादू है और आप का जादू यहां से कयामत तक और कयामत के बाद भी यह जादू बना रहेगा। लता जी, आपको जन्मदिन का मुबारकबाद क्या कहें और क्यों कहें? आपकी कोई उम्र नहीं हो सकती, ना होगी क्योंकि आप को बनाया ही गया है आने वाले करोड़ों सालों के लिए।”