यह सही है कि मीडिया वालों की नजर में खान कुछ पेंचीदा व्यक्तित्व का मालिक है लेकिन उनके साथ काम करने वालों का कहना है कि सलमान एक बहुत ही प्यारा नेक दिल इंसान है।
बाहर से कठोर परन्तु अन्दर से नर्म और बच्चे की तरह मासूम है स्वंय सलमान का अपने बारे में राय है कि वह झट से किसी से घुलमिल नहीं सकता।
फिर मैं इतना व्यस्त रहता हूं, कहां टाइम मिलता है सबके साथ अच्छी-अच्छी बातें करके सबको खुश रखने का। जिससे मेरी दोस्ती होती है उसमें कुछ खास बात होना जरूरी है।
सुलेना मजुमदार अरोरा
कैरियर के इस दौर में आप अपने को कहां पाते हैं?
‘मैंने प्यार किया’ की रिकार्ड तोड़ सफलता के बाद ‘हम आपके हैं कौन’, ‘करन अर्जुन’,‘जीत’ की अपार सफलता से मैं खुश तो हूं लेकिन अभी कई ऐसी फिल्में हैं जिस पर मेरा पूरा ध्यान है।
किसी फिल्म के चलने ना चलने का असर कलाकार पर किस हद तक पड़ना चाहिए?
यह तो इन्डीविजुएल पर डिपेन्ड करता है। सबकी अपनी–अपनी सहनशक्ति और समझ का दायरा है। मेरी बात जहां तक है तो मैं किसी भी स्थिति में सामान्य रहता हूं।
बहुत ज्यादा खुशी से न मेरे पैर जमीन से उखड़ते हैं न कोई फिल्म के न चलने से हताश होता हूं। बल्कि मैं तो कहता हूं कि कई बार असफलता भी प्रेरणा दे जाती है। और आगे बढ़कर ऊँचाई छूने के लिए मन दृढसंकल्प हो जाता है।
क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि फिल्मों के चुनाव के मामले में आप जरूरत से ज्यादा चूजी हैं?
मैं चाहता तो एक साथ पच्चीस फिल्में साइन कर लेता, आज भी हर रोज किसी ना किसी ऑफर को मना करते जाना पड़ता है, क्या करूं अगर मुझे अपने काम की क्वालिटी मेनटेन करना हो तो ऐसा ही करना पड़ेगा। मैं कम फिल्में साइन करता हूं और उस पर पूरा ध्यान देकर जल्दी शूटिंग पूरा कर लेता हूं, तब जाके अगले ऑफर पर गौर करता हूं।
क्या आप यह बात मानते हैं कि किसी नायिका के साथ जब दर्शक पर्दे पर किसी नायक की जोड़ी को पसन्द नहीं करते तो वह जोड़ी हमेशा के लिए अनलकी साबित होती है?
मैं ऐसी बातों को हरगिज नहीं मानता। यह कतई जरूरी नहीं कि जिस को–स्टार के साथ हमारी दो एक फिल्म ना चले उसे हम अनलकी जोड़ी मान ले। मैं किसी भी नायिका के साथ काम करने को तैयार हूं। बशर्ते मेरा रोल अच्छा हो।
बॉलीवुड में आपका क्रेज बना हुआ है, इस सुखद सच्चाई पर आपकी प्रतिक्रिया?
मैं अच्छी फिल्में, अच्छा–रोल और अच्छी परफॉर्मेन्स के जरिये दर्शकों की चाहत बनाये रखूंगा। वैसे भविष्य के बारे में कोई नहीं जानता, किसे पता था मेरे परिवार में, कि सलमान एक दिन फिल्म इंडस्ट्री में कामयाबी पायेगा।
सुना है कि विदेश की सब से प्रेस्तीजिएस पत्रिका ने भी आपको भारतीय स्क्रीन का सब से हैं डसम, परफेक्ट शारीरिक गठन वाला युवा स्टार कहा है?
ओह जीसस। मैं रोज व्यायाम करता हूं। चाहें कही दूर देश भी जाऊँ पर अपना व्यायाम का सामान जरूर साथ ले जाता हूं। जाहिंर है चुस्त– दुरूस्त रहूंगा ही।
जिन्दगी के प्रति आपका नजरिया क्या है?
हमें अपने आप में पूरा विश्वास होना चाहिएं मुमकिन है कि कई लोग राह में रूकावट डालें, नीचे धकेलने या पीछे खींचने की पुरजोर कोशिश करे परन्तु हममें इतनी हिम्मत होनी चाहिए कि जूझ कर अपनी मंजिल पा ही लें।
‘खामोशी द म्युजिकल’ जैसी कलात्मक फिल्म के ना चलने से अच्छी फिल्मों पर से आपका विश्वास उठा नहीं?
खामोशी… एक बहुत ही अच्छी फिल्म थी, पता नहीं क्यों चली नहीं लेकिन अच्छी फिल्मों पर से मेरा विश्वास उठा नहीं फिल्म ‘हम आपके हैं कौन’ भी तो कितनी अच्छी फिल्म थी जिसे रेकार्ड तोड़ सफलता मिली है।
आपका आदर्श आइडियल हीरो कौन है?
कोई नहीं।
किस चीज के प्रति असुरक्षा महसूस करते हैं?
किसी चीज के प्रति नहीं।
और डर किस बात से लगता है?
किसी बात से नहीं, अरे हां बहुत ऊंचाई से कूदने में।
अक्सर आप अपने साथ क्या चीज रखते हैं?
कुछ खास नहीं, मेरा गॉगल्स, मेरा परफ्यूम ।
आपका पसन्दीदा शहर?
मुझे लंदन पसन्द है। थेम्स नदी, बिगवेन और वहां की वह ट्यूब यात्रा। बहुत आनन्द आता है।
अरबाज आपके भाई के बारे में कुछ कहिए?
बहुत सी यादें जुड़ी है बचपन की उससे, हमारे बीच डेढ़ वर्ष का फर्क है। बचपन में हर बात में प्रतिस्पर्धा होती थी, पढ़ाई में, साइक्लिंग में, स्वीमिंग में, हम हमेशा रेस लगाया करते थे। कभी वह जीतता कभी मैं।
आप आगे और कया करना चाहते हैं?
मैं बतौर अभिनेता बेहतरीन काम करना चाहता हूं। खुद अच्छा निर्देशक भी बनना चाहता हूं। मेरे विचार में डायरेक्शन में ज्यादा क्रियटिविटी है। सब कुछ डायरेक्टर के कन्सेष्ट का होता है।
आपको किस बात का अफसोस और गुस्सा है?
मुझे आम इंसानों के इंसानों के प्रति उदासीनता, कठोरता अमानवीयता से बहुत अफसोस होता है। कोई रास्ते में घायल, दुर्घटना ग्रस्त पड़ा तड़पता रहे पर उसे कोई अस्पताल नहीं पहुंचाता कमाल है, ऐसी भी क्या व्यस्तता?
मैं तो ऐसा कभी नहीं कर सकता, कई बार जरूरी से जरूरी काम छोड़कर अपनी गाड़ी में मैंने दुर्घटनाग्रस्त लोगों को अस्पताल पहुंचाया। मुझे आज हर जगह व्याप्त भ्रष्टाचार से भी घृणा है।
जहां मैं गलत बात देखता हूं वहीं टोक देता हूं और लोग कहते हैं मैं गर्म तेवर का हूं। जी नहीं। मैंने कभी बेवजह नाराजगी जाहिर नहीं की। मेरे साथ काम करने वाले मेरे स्टॉफ से मैं कभी बुरी तरह पेश नहीं आया, डपटा नहीं
बचपन मे आप क्या बनना चाहते थे?
कोई एक उद्देश्य नहीं था मेरा, एक वक्त वह था जब मैं क्रिकेटर बनना चाहता था, फिर वह दौर आया जब मैं पायलेट बनना चाहता था। पर आखिर फिल्मों में आया। आखिर वहीं होता है जो मंजूरे खुदा होता है।