बॉलीवुड फिल्में हमेशा से ही अपने शानदार और गज़ब के डायलॉग्स के लिए जानी जाती हैं। उसमें भी , पिछले पांच दशकों में कुछ फिल्मों के डायलॉग्स ऐसे रहे जो आजतक मील का पत्थर साबित होते हैं। ये ऐसे डायलॉग्स हैं जिन्हें बॉलीवुड फिल्म प्रेमी आज भी अपने दोस्तों-यारों सहकर्मियों के साथ अपने पसंदीदा संवादों को दोहराते रहते हैं।
पेश है बॉलीवुड फिल्मों के स्वर्णिम युग से आज तक की फिल्मों में से छांटे गए बेस्ट 30 डायलॉग्स
1. देवदास फिल्म उद्योग में तीन बार एक ही नाम एक ही कहानी पर बनी एकमात्र फिल्म है। इसमें भी दिलीप कुमार का देवदास वाला रोल अद्वितीय हैं। उनका डायलॉग “कौन कंबख्त बर्दाश्त करने को पीता है …हम हैं कि यहाँ बैठ सकें, तुम्हें देख सकें तुम्हें बर्दाश्त कर सकें” आज भी सुनों तो रौंगटे खड़े हो जाते हैं।
2. मुग़ल-ए-आज़म फिल्म इंडस्ट्री की वो फिल्म है जिसने अपने दौर की सबसे महंगी फिल्म और सबसे कमाई वाली फिल्म का रिकॉर्ड एक साथ बनाया था। इसमें पृथ्वीराज कपूर का डायलॉग कभी न भूलने वाला है “अनारकली! हम तुझे जीने नहीं देंगे और सलीम तुझे मरने नहीं देगा!”
राजकुमार और देवानंद, बिलकुल जुदा तरीके से डायलॉग्स बोलते तो महान कलाकरों के संवाद
3. इस आइकोनिक फिल्म “वक़्त (1965)” की अपनी अलग फैन फॉलोइंग आज 55 साल बाद भी है। इस फिल्म में, महान दिग्गज अभिनेता राज कुमार का डायलॉग आज भी कितनी ही बार दोहराया जाता है “चिनॉय सेठ, जिनके ख़ुद के घर शीशे के हों वो दूसरों के घर पत्थर नहीं फेंका करते”
4. इसी फिल्म का एक और मशहूर डायलाग जिसे राजकुमार ने ही कहा था “जानी! ये चाक़ू है, बच्चों के खेलने की चीज़ नहीं, लग जाए तो ख़ून निकल आता है“
5. बॉलीवुड इंडस्ट्री के किंग्स, दिलीप कुमार और राजकुमार की साथ में एकमात्र फिल्म सौदागर में स्टाइलिश अभिनेता राज कुमार द्वारा फिर से एक विश्व प्रसिद्ध संवाद है “हम तुम मरेंगे और ज़रूर मारेंगे, लेकिन वो बन्दूक भी हमारी होगी, वो गोली भी हमारी होगी और वो वक़्त भी हमारा होगा”
6. जहाँ राजकुमार डायलॉग डिलीवरी एटीट्यूड झलकता था वहीं देवानंद उनके ठीक विपरीत विनम्रता से बड़ी-से-बड़ी बात कहने में माहिर थे। गॉइड में उनका ये डायलॉग मुझे बहुत पसंद है“लगता है आज हर इच्छा पूरी होगी, पर मज़ा देखो…. आज कोई इच्छा ही हीं रही “
7. देवानंद का ये डायलॉग सुनने से पहले दिमाग से सब कुछ निकाल दीजिए और बस इन शब्दों के पीछे जो भावना है उसे महसूस कीजिये। फिल्म गाइड से ही एक और डायलॉग “बातें करने के लिए इतना तरस रहा था कि सोचा थोड़ी पीकर, ख़ुद से कुछ कहूंगा”
और फिर फ़िल्मी दुनिया को मिला उनका पहला एंग्री यंग मैन, अमिताभ बच्चन
8. अमिताभ की सर्वश्रेष्ठ फिल्मों में से एक दीवार (मेरे लिए) से एक डायलॉग मुझे बहुत पसंद है, इस सीन में अमिताभ एक गोदाम में हैं और शान्ति से गुंडों को चैलेंज करते हैं “तुम लोग मुझे बाहर ढूंढ रहे हो और मैं तुम्हारा यहाँ इंतज़ार कर रहा हूँ“
9. मोनोलॉग्स के मास्टर अमिताभ ने दीवार में ही भगवान की मूरत के सामने खड़े होकर जब ये डायलॉग बोला तो सबके रौंगटे खड़े हो गए “आज ख़ुश तो बहुत होंगे तुम, वो जिसने आज तक तुम्हारी दहलीज़ पर कदम तक नहीं रखा वो आज तुम्हारे सामने हाथ फैलाए खड़ा है…..”
10. शहंशाह ही वो फिल्म थी जिसके बाद बच्चन का नाम फिल्म इंडस्टी में शहंशाह ऑफ बॉलीवुड पड़ गया था। इसका डायलॉग आज तक दोहराया जाता है कि “रिश्ते में तो हम तुम्हारे बाप लगते हैं, नाम है शहंशाह!”
11. उस दौर में अमिताभ जो करें, जैसे चलें, जैसे डायलॉग्स बोलेन,जैसे खड़े हो जाएँ वो सब स्टाइल बन जाता था। फिल्म कालिया का डायलॉग “हम जहाँ खड़े होते हैं लाइन वहीँ से शुरु होती है” आज तक स्टैंड अप कमेडिएन्स की रोज़ी-रोटी बना हुआ है।
कभी न भुलाए जा सकने वाले शोले के डायलॉग्स
12. शोले और गब्बर एक दूसरे के पर्यायवाची लगते हैं। अमजद खान का ये डायलॉग तो एक्टर्स को उनके कोर्स में भी पढ़ाया जाता है कि “जो डर गया, समझो वो मर गया”
13. शोले से ही एक और मशहूर डायलॉग जो वीरू (धर्मेंद्र) ने अपनी बसंती (हेमा मालिनी) के लिए कहा था “बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना”
शॉटगन शत्रुघन भी इस रेस में कभी पीछे न रहे
14. शत्रुघन सिन्हा मिनट्स में डायलॉग्स याद करने के लिए मशहूर थे। विश्वनाथ का ये डायलॉग उनकी पहचान अलग करने वाला साबित हुआ था।
“जली को आग कहते हैं, बुझी को राख कहते हैं, जिस राख से बारूद बने, उसे विश्वनाथ कहते हैं”
15. उन्हीं की फिल्म कालीचरण में विलन बने अजीत का डायलॉग भला कौन भूल सकता है “सारा शहर मुझे लायन के नाम से जानता है”
16. जिन दिनों शत्रुघन इंडस्ट्री में नए थे, तब भी उन्होंने अपनी डायलॉग डिलीवरी से वो जलवा कायम किया था कि उन्हें नेगेटिव किरदार में भी हीरो से ज़्यादा नोटिस में लिया जाता था। फिल्म मेरे अपने से ये डायलॉग “श्याम आए तो कहना छेनू आया था, बहुत गर्मी है अगर ख़ून में तो आकर बेशक निकाल ले…”
काका राजेश खन्ना का अपना अनोखा मुहब्बत भरा अंदाज़ था डायलॉग्स बोलने का
17. हृषिकेश मुख़र्जी फिल्म जगत के सबसे बेहतरीन फिल्मकारों में से एक थे। उनकी फिल्म आनंद में यूँ तो एक नहीं दसियों दमदार डायलॉग थे पर इस डायलॉग की बात ही और है कि जब राजेश खन्ना अमिताभ बच्चन से कहते हैं “बाबूमोशाय, ज़िन्दगी और मौत तो ऊपर वाले के हाथ में हैं, हम और तुम तो बस रंग मंच की कठपुतलियां हैं…”
18. जैसा मैंने ऊपर लिखा ही, आनंद में एक नहीं दसियों ख़ूबसूरत संवाद हैं, ज़रा इसपर भी ग़ौर फरमाइए “बाबू मोशाय, ज़िन्दगी लम्बी नहीं बड़ी होनी चाहिए…”
19. राजेश ‘काका’ खन्ना के डायलॉग से ज़्यादा उनका डायलॉग बोलने का अंदाज़ लोगों को याद रह जाता था। फिल्म अमर-प्रेम में शर्मीला टैगोर से उनका कहना “पुष्पा! आई हेट टीयर्स” उन्हीं में से एक है।
इंडस्ट्री के मोगाम्बो अमरीश पुरी ने अपने अभिनय और संवादों से हमें मालामाल कर छोड़ा है
20. जब भी खलनायकों की बात आती है, अमरीश पुरी का नाम सबसे ऊपर लिखा जाता है। उनकी धर्मेद्र के साथ की गयी फिल्मं “तहलका” में उनका “डाँग कभी रॉंग नहीं होता”आज भी सैकड़ों मिमिक्री आर्टिस्ट्स द्वारा कॉपी किया जाता है।
21.राजेश खन्ना की तरह ही अमरीश पुरी के डायलॉग्स से ज़्यादा उन्हें कहने का अंदाज़ फेमस होता था। अनिल कपूर और श्रीदेवी की फिल्म ‘मिस्टर इंडिया’ में उन्होंने “मोगाम्बो ख़ुश हुआ” जैसे छोटे से डायलॉग को कम से कम एक दर्जन अलग-अलग अंदाज़ में बोला है।
कुछ डायलॉग्स ऐसे भी रहे हैं जो उनको कहने वाले कलाकारों से भी ज़्यादा फेमस हो गए….
22. सुनील शेट्टी ने यूँ तो दर्जनों बड़ी हिट्स फिल्में की हैं लेकिन आज भी लोग उन्हें याद करते ही सबसे पहले धड़कन का उनका वो डायलॉग याद करते हैं जो उन्होंने शिल्पा शेट्टी से कहा था “अंजलि, मैं तुम्हें भूल जाऊं ये हो नहीं सकता और तुम मुझे भूल जाओ ये मैं होने नहीं दूंगा”
23. फिल्म बॉबी के छोटे से नेगेटिव रोल के लिए पहले राजेश खन्ना सलेक्ट हुए थे लेकिन ये फिल्म प्रेम चोपड़ा के जीवन को बदलने वाली साबित होनी थी सो राजेश खन्ना को रिप्लेस करके उन्हें इस फिल्म के लिए लिया गया और सिर्फ एक संवाद, बस एक “प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा” इस संवाद ने उन्होंने इंडस्ट्री में हमेशा के लिए पक्का कर दिया।
24. सनी देओल अमिताभ के बाद दूसरे ऐसे हीरो थे जो अपने एक्शन, एंग्री लुक के लिए मशहूर थे। फिल्म घातक में उनका ये डायलॉग “ये मजदूर का हाथ है कातिया, लोहे को पिघलाकर उसका आकार बदल देता है” आज भी इतना मशहूर है कि कॉमेडियन कीकू शारदा आए दिन बिन बात के भी दोहराते रहते हैं और अपने फैंस को हंसाते रहते हैं।
25. नाना पाटेकर का डायलॉग बोलने का अंदाज़ अपने ही रूप में अनूठा रहा है। वो अक्सर अपने डायलॉग्स इम्प्रोवाइज करते भी नज़र आते हैं। क्रांतिवीर का ये डायलॉग नाना के पूरे कैरियर की पहचान बनकर रह गया है “ले, ये मुसलमान का ख़ून और ये हिन्दू का, बता, बता इसमें से कौन सा ख़ून मुसलमान का है और कौन सा हिन्दू का”
फिर नब्बे का दशक आया जिसमें शाहरुख़ और सलमान, इंडस्ट्री के करन और अर्जुन ने राज किया
26. बाज़ीगर आज भी शाहरुख़ खान के कैरियर की माइलस्टोन फिल्म मानी जाती है। इसका डायलॉग “कभी कभी कुछ जीतने के लिए कुछ हारना भी पड़ता है”
27. शाहरुख़ की दिलवाले दुल्हिनया ले जायेंगे में यूँ तो बहुत से डायलॉग हैं जो फेमस हैं, पर प्रेमी जोड़ों के बीच आज भी चर्चित राज का वो मोनोलॉग “राज, अगर ये भी तुझसे प्यार करती है तो ये ज़रूर पलटेगी…..”
28. सूरज बड़जात्या की सलमान अभिनीत ‘मैंने प्यार किया’ ने दो मशहूर डायलॉग दिए थे जो आज भी दोस्तों के बीच प्रचलित हैं, पहला – लड़का और लड़की कभी दोस्त नहीं हो सकते, लेकिन साथ ही – “दोस्ती का एक उसूल है मैडम, दोस्ती में नो सॉरी, नो थैंक यू”
कुछ आज के ज़माने की फिल्मों से मशहूर डायलॉग्स
29. शत्रुघन सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा ने भी अपने पिता की तरह अपनी पहली ही फिल्म में एक ऐसा डायलॉग दे दिया जो कभी नहीं भुलाया जा सकता। ये डायलॉग तब है जब सलमान खान सोनाक्षी को कुछ पैसे दे रहे होते हैं “थप्पड़ से डर नहीं लगता साहब, प्यार से लगता है”
30 .आनंद एल राय ने धनुष और सोनम कपूर को लेकर एक फिल्म बनाई रांझणा और जीतेजी अमर हो गए। इस फिल्म का सबसे बेहतरीन डायलॉग था “नमाज़ में वो थी और लगा दुआ हमारी कबूल हो गयी है।”
तो हमारे प्यारे पाठकों हमारी लिस्ट यहीं ख़त्म होती है पर आपके लिए ऐसी लिस्ट की कोई पाबन्दी नहीं है। आप हमें बताइए कि उपरोक्त डायलॉग्स में से आपका फेवरेट डायलॉग कौन सा है और ऐसा कौन सा डायलॉग है जो आपको लगता है कि हमसे छूट गया, पर इस लिस्ट में शामिल होना चाहिए था?