मायापुरी अंक, 55, 1975
भाई मान गये इस आदमी को यह बहुत अच्छी तरह जानता है कि भीड़ को कैसे आकर्षित किया जाये? मैं जब भी कही सड़क पर भीड़ देखता हूं तो ज्यादातर भीड़ होने का कारण कोई और स्टार न होकर प्रेमनाथ ही होता है। पहले भी कई बार लिख चुका हूं कल फिर एक अजीब तमाशा देखा।
प्रेमनाथ अपनी लाल रंग की कनवर्टिबल कार में बान्द्रा क्रॉसिंग के पास पैट्रोल पम्प पर पैट्रोल डलवा रहा था। गाड़ी में दो फकीर, दो सुंदर औरतें मद्रासी अभिनेता रंजन, एक खाकी वर्दी में उनका बॉडी गार्ड और ड्राइवर था। पैट्रोल डलवा कर जैसे ही गाड़ी सड़क पर आने को हुई कि प्रेमनाथ ने एक चना बेचने वाले को देखा और गाड़ी रूकवा दी। प्रेमनाथ का चना खाने का मूड हो गया था। बॉडीगार्ड बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पाया। एक रूपया निकाल कर चना खरीदने लगा। इतने में कुछ भिखारी बच्चे इकट्ठे हो गये।
वही भी मांगने लगे। फिर क्या था प्रेमनाथ दानी कर्ण की भांति सबको चना लेकर देने लगे भिखारियों की भीड़ बढ़नी शुरू हो गई। इधर मैं बोर होता हुआ अपनी गाड़ी निकाल कर ले गया।