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निर्देशक अनुराग कश्यप ने हाल ही में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की स्थिति पर अपनी निराशा व्यक्त की है, जिसमें उन्होंने मुनाफे और रीमेक पर अधिक ध्यान देने की आलोचना की है।
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कश्यप ने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में फिल्म निर्माण का आनंद खत्म हो गया है, क्योंकि निर्माता अब केवल मुनाफे और विक्रय पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
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उन्होंने खुलासा किया कि वह रचनात्मक प्रेरणा के लिए साउथ की फिल्म इंडस्ट्री की ओर रुख करने का विचार कर रहे हैं, जहां उन्हें अधिक उत्तेजना और नवाचार की संभावना दिखती है।
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कश्यप ने हिंदी फिल्म निर्माताओं की मानसिकता पर भी सवाल उठाया, जो नई और अनोखी कहानियों के बजाय हिट फिल्मों के रीमेक पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
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उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि हिंदी सिनेमा में स्टारडम पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है, खासकर स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के आगमन के बाद।
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कश्यप का मानना है कि अब हर कोई स्टार जैसा व्यवहार चाहता है, और अगर उन्हें वह नहीं मिलता, तो उन्हें अपमानित महसूस होता है।
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उन्होंने कहा कि इस मानसिकता के कारण फिल्म निर्माण की रचनात्मकता प्रभावित हो रही है, और नई कहानियों का अभाव है।
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अनुराग कश्यप का यह बयान हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बदलाव की आवश्यकता को उजागर करता है, जहां नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
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