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जूनियर महमूद, जिनका असली नाम नावेद सईद खान था, ने 1960 और 70 के दशक में बाल कलाकार के रूप में हिंदी सिनेमा में अपनी पहचान बनाई। उनकी मासूम मुस्कान और अनोखी कॉमिक टाइमिंग ने दर्शकों का दिल जीत लिया।
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'जूनियर महमूद' नाम उन्हें महमूद साहब की स्टाइल में परफॉर्म करने के कारण मिला। दर्शक उन्हें 'छोटा महमूद' कहने लगे, और यह नाम उनके साथ हमेशा के लिए जुड़ गया।
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उन्होंने 'हाथी मेरे साथी', 'परिचय', 'मेरा नाम जोकर', 'कारवां' जैसी कई यादगार फिल्मों में काम किया। इन फिल्मों में उनके छोटे लेकिन प्रभावशाली किरदारों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
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राजेश खन्ना की सुपरहिट फिल्म 'हाथी मेरे साथी' में उनका मासूम किरदार आज भी लोगों के दिलों में ताजा है। इस फिल्म से उन्होंने देशभर में बड़ी पहचान बनाई।
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बाल कलाकार के रूप में सफलता के बाद, उन्होंने वयस्क भूमिकाओं में भी अपना लोहा मनवाया। उनकी कुछ प्रसिद्ध वयस्क भूमिकाएँ 'दुश्मन', 'कुर्बानी', 'जिंदगी', और 'खुद्दार' में थीं।
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फिल्मों के अलावा, जूनियर महमूद ने टीवी शो और स्टेज पर भी अपनी विशेष पहचान बनाई। 'जुनून', 'एक शक्ति' जैसे टीवी शोज में उनका काम दर्शकों को खूब पसंद आया।
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वे एक बेहतरीन स्टेज परफॉर्मर भी थे, जिन्होंने 3000 से अधिक लाइव शो किए। उनकी लोकप्रियता भारत के बाहर भी थी, और उनके शो ग़ल्फ कंट्री, अफ्रीका और यूरोप में भी पसंद किए जाते थे।
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उनके जीवन में संघर्ष भी थे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। नाटक, टीवी, स्टेज शो और इवेंट्स के जरिए उन्होंने अपने करियर को जीवित रखा।
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जूनियर महमूद का जीवन इस बात की मिसाल है कि प्रतिभा और मेहनत ही किसी कलाकार को अमर बनाती है, चाहे वह बाल कलाकार हो या परिपक्व अभिनेता। उनके योगदान को हिंदी सिनेमा में हमेशा याद रखा जाएगा।
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