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काजोल की नानी शोभना समर्थ एक प्रसिद्ध अदाकारा थीं, जो 1940 के दशक में एक स्वतंत्र और बेबाक जिंदगी जीती थीं।
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शोभना समर्थ का नाम मोतीलाल के साथ जोड़ा गया, जो अपने समय के नेचुरल एक्टर माने जाते थे। उनकी पहली मुलाकात फिल्म के सेट पर हुई थी।
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मोतीलाल और शोभना ने अपने प्यार को खुलकर स्वीकार किया, जब समाज में ऐसा करना असामान्य था।
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शोभना की शादी पहले से ही कुमारसेन समर्थ से हुई थी और उनके चार बच्चे थे। बाद में उनका अपने पति से नाता टूट गया और वे मोतीलाल के करीब आ गईं।
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मोतीलाल ने शोभना को प्रपोज करने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया। उन्होंने हेलीकॉप्टर किराए पर लेकर शोभना के घर के ऊपर चक्कर लगाए और एक लव लेटर पत्थर में लपेटकर उनके कमरे में फेंका।
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इस अनोखे इजहार के बाद शोभना ने मोतीलाल का प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। हालांकि, उन्होंने शादी नहीं की और समाज के सामने अपने रिश्ते को खुलकर स्वीकार किया।
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शोभना समर्थ ने 1935 की फिल्म "निगाहे नफ़रत" से अपने करियर की शुरुआत की और "भरत मिलाप" (1942) जैसी फिल्मों में काम किया, जो उनके करियर में महत्वपूर्ण साबित हुईं।
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उन्हें "राम राज्य" (1943) में सीता के किरदार के लिए विशेष रूप से जाना जाता है, और वह इस भूमिका में कैलेंडर पर भी प्रदर्शित हुईं।
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बाद में, शोभना ने अपनी बेटियों तनुजा और नूतन को फिल्म उद्योग में लॉन्च करने के लिए फिल्में बनाईं।
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