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ओपी. नैय्यर, जिन्हें फिल्म-संगीत का जादूगर कहा जाता है, का संगीत श्रोताओं को अलौकिक आनंद देता था और उनके गीतों पर लोग थिरकने लगते थे।
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नैय्यर के संगीत में एक विशिष्टता थी जो उन्हें अन्य संगीतकारों से अलग करती थी। उनके संगीत में ईश्वरीय तत्वों का समावेश था, जो श्रोताओं को एक दूसरी दुनिया में ले जाता था।
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पिछले पांच वर्षों में नैय्यर का संगीत कम सुनाई दिया, जिससे लोगों के मन में सवाल उठे कि वे कहां गायब हो गए।
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निर्माता रतन मोहन ने अब नैय्यर को अपनी फिल्मों 'हीरा-मोती' और 'खून का बदला खून' में संगीत देने के लिए अनुबंधित किया है, जिससे श्रोताओं में उत्सुकता बढ़ गई है।
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नैय्यर ने संगीत के क्षेत्र में राजनीति और गुटबंदी का सामना किया, लेकिन उन्होंने अपनी कला को कभी नहीं बेचा और नई आवाजों को मौका देने का निर्णय लिया।
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ओपी. नैय्यर ने आशा भोंसले के साथ अपने संबंधों पर फैली अफवाहों को खारिज किया और कहा कि वे हमेशा आध्यात्मिक चिंतन और संगीत साधना में लीन रहे हैं।
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उनका मानना है कि अच्छे कलाकार कभी नहीं टूटते और वे नयी गायिकाओं जैसे वाणी जयराम, उत्तरा केलकर के साथ नए प्रयोग कर रहे हैं।
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नैय्यर का कहना है कि फिल्म संगीत में शब्दों का प्रमुख स्थान है और वे नवोदित गीतकारों के साथ काम कर रहे हैं ताकि उनके संगीत में नयापन लाया जा सके।
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