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भारत भूषण, एक प्रतिभाशाली अभिनेता, ने बॉलीवुड में 1950 के दशक में अपनी खास पहचान बनाई, खासकर फिल्म "बैजु बाँवरा" के माध्यम से, जो उनकी सबसे उल्लेखनीय फिल्म मानी जाती है।
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"बैजु बाँवरा" ने भारत भूषण को स्टारडम तक पहुंचाया, जिसमें उन्होंने एक ऐसे युवक की भूमिका निभाई जो अपने पिता की मौत का बदला लेने की कसम खाता है। इस फिल्म ने उन्हें व्यापक प्रशंसा दिलाई।
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फिल्म का संगीत नौशाद साहब ने तैयार किया, और इसमें मुहम्मद रफी का गाया "ओ दुनिया के रखवाले" आज भी एक क्लासिक गीत माना जाता है। इस गीत की गहराई ने भारत भूषण के अभिनय को भी अमर बना दिया।
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भारत भूषण ने "आनंदमठ" और "श्री चैतन्यमहाप्रभु" जैसी हिट फिल्मों में भी काम किया और उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
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"मिर्ज़ा-ग़ालिब" में उनकी भूमिका ने उन्हें एक बार फिर से दर्शकों के दिलों में जगह दी, जहां उन्होंने अपने अभिनय से इस ऐतिहासिक चरित्र को जीवंत किया।
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हालांकि, उनके करियर में एक समय ऐसा भी आया जब उन्हें छोटे-छोटे रोल करने के लिए मजबूर होना पड़ा और उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
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अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने प्रोडक्शन में भी हाथ आजमाया, लेकिन दुर्भाग्य से उनकी अधिकांश फिल्में असफल रहीं, जिससे उन्हें अपनी संपत्ति बेचने तक की नौबत आ गई।
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अंततः, 27 जनवरी 1992 को 71 वर्ष की उम्र में भारत भूषण का निधन हो गया, और उनकी जिंदगी का संघर्ष समाप्त हुआ।
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उनकी बेटी अपराजिता ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाया और 50 से अधिक फिल्में और टीवी सीरियल किए, लेकिन भारत भूषण की अद्वितीय प्रतिभा और संघर्षमय जीवन की कहानी आज भी याद की जाती है।
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