Mukesh Gupta: विज्ञापन जगत के पायनियर से लेकर सामाजिक उद्यमी तक का प्रेरणादायक सफर

मुकेश गुप्ता का जीवन यात्रा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ बचपन से ही जुड़ी रही है। उनके पिता, ईश्वर प्रकाश गुप्ता, संघ की पत्रिकाओं के लिए प्रचार करते थे, जिससे परिवार की जीविका चलती थी।

1975 में आपातकाल के दौरान, मुकेश गुप्ता ने बिना किसी निवेश के एक विज्ञापन एजेंसी शुरू की और 13 वर्ष की उम्र से ही अपने पिता के साथ काम करना शुरू किया।

ग्राफिसैड्स जैसी प्रतिष्ठित विज्ञापन कंपनी को 1997 में टेकओवर किया, और वर्तमान में उनकी कंपनी भारत सरकार, राज्य सरकारों और निजी कंपनियों के साथ काम कर रही है।

'हुनर हाट' कार्यक्रम मुकेश गुप्ता की कंपनी का सबसे लोकप्रिय प्रोग्राम रहा, जिसकी प्रशंसा प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी की।

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के 'दिव्या कला मेला' और अन्य मेलों का आयोजन भी उनकी कंपनी द्वारा किया जा रहा है, जो पिछड़े और हुनरमंद कारीगरों को प्रोत्साहित करता है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ाव के कारण मुकेश गुप्ता ने समाज सेवा कार्यों में भी गहरी रुचि दिखाई और कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया।

वे स्वदेशी जागरण मंच की संस्था स्वावलंबी भारतवर्ष फाउंडेशन के सदस्य भी हैं, जो स्वदेशी मेलों के माध्यम से उद्यमिता को बढ़ावा देता है।

उनके व्यवसाय को पेशेवर रूप से प्रशिक्षित टीम द्वारा संचालित किया जा रहा है, जिसमें उनके बेटे आलोक गुप्ता नेतृत्व कर रहे हैं।