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नई दिल्ली में भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह आयोजित हुआ जिसमें देश-विदेश के फिल्म निर्माता और सितारे शामिल हुए। चेतन आनंद की फिल्म 'हकीकत' ने इस समारोह में विशेष ध्यान आकर्षित किया, जो 1962 के भारत-चीन युद्ध पर आधारित थी।
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'हकीकत' का संगीत मदन मोहन ने तैयार किया और कैफी आजमी ने इसके गीत लिखे। राज कपूर ने इस फिल्म को पहली बार देखा और फिल्म से प्रभावित होकर चेतन आनंद की मदद की, जिससे फिल्म की डिस्ट्रीब्यूशन सुनिश्चित हो सकी।
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राज कपूर ने चेतन आनंद की फिल्म को श्रीमान गांगुली के माध्यम से खरीदने का प्रबंध किया, जिससे फिल्म एक बड़ी हिट बन गई और चेतन आनंद ने अपने बैनर हिमालय फिल्म्स की स्थापना की।
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राज कपूर ने गुरु दत्त की 'कागज के फूल' को समय से पहले एक मास्टरपीस कहा और भविष्यवाणी की कि यह आने वाले वर्षों में भारतीय सिनेमा में एक उपलब्धि के रूप में सराही जाएगी।
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राज कपूर में अपनी विफलताओं को स्वीकार करने का साहस था और उन्होंने अपनी फ्लॉप फिल्मों 'जागते रहो' और 'मेरा नाम जोकर' को अपने पसंदीदा बच्चों के रूप में माना।
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चेतन आनंद का जुहू में बंगला, जो उनके बेटे केतन आनंद के पास है, उनके और उनकी फिल्मों की यादों से भरा हुआ है। चेतन आनंद ने अपने परिवार के साथ इस बंगले में कई यादगार पल बिताए।
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देव आनंद ने अपने भतीजों को प्रेरित किया और फिल्मों में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। विजय आनंद का बेटा वैभव अपने चाचा देव साहब से प्रेरित होकर फिल्मी करियर अपनाने का निर्णय लिया।
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देव आनंद ने विवेक आनंद के बेटे ऋषि को सलाह दी कि अभिनय के लिए किसी स्कूल पर निर्भर न रहें, बल्कि गाना और रोमांस करना सीखें, जिससे उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।
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