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अभिनेत्री कुब्रा सैत ने एक पॉडकास्ट पर अपने बचपन की बदमाशी की कहानी साझा की, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे उनके नाम, बाल और आंखों के रंग को लेकर उन्हें चिढ़ाया जाता था।
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बचपन की ये बदमाशी केवल खेल-खेल में मस्ती नहीं थी बल्कि इसका उनके आत्म-सम्मान पर गहरा असर पड़ा, जिससे वे अकेलापन महसूस करती थीं।
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13 साल की उम्र में पर्सनैलिटी डेवलपमेंट प्रोग्राम और आत्म-विश्वास बढ़ाने वाले कोर्स में शामिल होने के बाद उनके जीवन में बदलाव की नींव पड़ी।
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थिएटर के माध्यम से उन्होंने खुद को खोजा और भीड़ में सुकून पाया, जिससे उन्हें आत्मविश्वास मिला।
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जो चीज़ें कभी उन्हें 'अलग' महसूस कराती थीं, वही अब उनकी ताकत बन गईं और उनकी आवाज़ को दबाने वाली बातें अब उनकी पहचान बन गईं।
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आज कुब्रा सैत एक बोल्ड और अनकन्वेंशनल परफॉर्मर हैं जो आत्मिक सच्चाई की पैरोकार भी हैं।
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अपनी कहानी साझा करके कुब्रा दूसरों को भी अपनी सच्चाई स्वीकारने की राह दिखा रही हैं और उनका संदेश है कि 'अलग होना आपकी सुपरपावर है।'
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कुब्रा सैत इस बात की मिसाल हैं कि सच्चे खुद को अपनाने में जितनी ताकत चाहिए, उतनी ही आज़ादी भी मिलती है।
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