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विनोद मेहरा 70 और 80 के दशक के लोकप्रिय और सफल अभिनेता थे, जो अपनी अच्छाई और ईमानदारी के लिए जाने जाते थे। उन्हें उनकी सज्जनता के लिए सराहा गया, भले ही वह अपनी प्रतिभा के कारण नहीं, बल्कि एक सज्जन व्यक्ति के रूप में अधिक जाने गए।
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विनोद ने अपने करियर के दौरान जीतेंद्र, शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना जैसे सितारों का मुकाबला किया। वह दिन में दो शिफ्ट में शूटिंग करते थे और हैदराबाद से बॉम्बे की यात्रा करते रहते थे।
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उनका सपना एक फिल्म का निर्देशन और निर्माण करना था, जिसे उन्होंने वीएम. प्रोडक्शंस के बैनर तले "गुरुदेव" के रूप में शुरू किया। उन्होंने ऋषि कपूर, अनिल कपूर और श्रीदेवी जैसे बड़े सितारों को साइन किया।
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फिल्म की शूटिंग के दौरान, यूरोप में एक लंबे शेड्यूल के दौरान, उन्हें सितारों के व्यवहार के कारण कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। यह अफवाहें बॉम्बे तक पहुँच गईं, जिससे उनके दोस्तों और शुभचिंतकों को उनके लिए बुरा लगा।
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विनोद मेहरा का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उनके अंतिम शब्द "सॉरी" थे, जो उन्होंने अपनी पत्नी किरण से कहे। उनके अंतिम संस्कार में भारी भीड़ थी और इंडस्ट्री के कई सितारों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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विनोद के जीवन में कई दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ हुईं। उनका जन्म एक गंभीर हृदय रोग के साथ हुआ था और उनके जीवन में आईं महिलाओं के साथ भी वह बदकिस्मत रहे।
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उनकी पूर्व पत्नी मीना और बिंदिया गोस्वामी के साथ उनके संबंध रहे, लेकिन उनकी सबसे चर्चित अफेयर रेखा के साथ था। अंत में, वह किरण के साथ एक खुशहाल विवाह में थे और उनके दो बच्चे थे।
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विनोद के बंगले और उनके जीवन की यादें अब केवल कुछ लोगों के साथ रह गई हैं जो वास्तव में उन्हें प्यार और सम्मान करते थे। उनकी बेटी सोनिया और बेटे रोहन भी फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय रहे हैं, लेकिन उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली।
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विनोद मेहरा की जीवन कहानी यह सवाल उठाती है कि क्या अच्छाई और सच्चाई के साथ इस इंडस्ट्री में टिके रहना संभव है, जहाँ इंसान खुदगर्ज बन जाता है। यह एक विचारणीय प्रश्न है कि क्या ऐसे लोग इस इंडस्ट्री में कदम रखना चाहिए।
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