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वहीदा रहमान ने अपनी जन्मजात प्रतिभा और कड़ी मेहनत से हिंदी सिनेमा में एक प्रतिष्ठित स्थान अर्जित किया है, जिसे समय या इतिहास भी उनसे नहीं छीन सकता।
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उनका करियर गुरु दत्त के साथ शुरू हुआ, जिन्होंने उन्हें आंध्र प्रदेश की एक तेलुगु फिल्म में देखा और मुंबई लाने का प्रस्ताव दिया। देव आनंद ने भी उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें हिंदी फिल्मों में एक बड़ा ब्रेक दिया।
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"प्यासा" में उनके प्रदर्शन ने उन्हें प्रमुख अभिनेत्री के रूप में स्थापित कर दिया। इसके बाद "कागज़ के फूल" जैसी महत्वाकांक्षी फिल्मों में उन्होंने अभिनय किया, जो बाद में क्लासिक मानी गईं।
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गुरु दत्त के साथ उनके पेशेवर और व्यक्तिगत संबंधों की भी चर्चा होती है, लेकिन वहीदा ने हमेशा इसे गुप्त रखा और कभी कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया।
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उन्होंने दिलीप कुमार, देव आनंद, राज कपूर जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम किया, जिससे उनकी फिल्में और किरदार यादगार बने।
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शादी के बाद वहीदा रहमान ने कुछ समय के लिए फिल्मों से दूरी बना ली और बैंगलोर में एक फार्महाउस में बस गईं, जहाँ उन्होंने सामाजिक कार्यों में हिस्सा लिया।
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यश चोपड़ा के साथ "कभी कभी", "मशाल" और "लम्हे" जैसी फिल्मों में वापसी करते हुए उन्होंने खुद को एक महान चरित्र अभिनेत्री के रूप में स्थापित किया।
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अमिताभ बच्चन जैसे अभिनेता भी उनके प्रशंसक हैं और उनके साथ काम करने का अवसर पाकर खुद को भाग्यशाली मानते हैं।
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आज भी वहीदा रहमान सामाजिक कार्यों में सक्रिय हैं, खासकर धारावी और बांग्लादेश के गरीब और जरूरतमंदों के लिए काम कर रही हैं।
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अपने जीवन में कभी किसी विवाद में न पड़कर और अपनी गरिमा बनाए रखते हुए, वहीदा रहमान ने लगभग 50 सालों तक सिनेमा के क्षेत्र में अपना योगदान दिया है।
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