33 साल पहले दूरदर्शन पर 'रामायण' का प्रसारण शुरू कराने में लग गए थे 2 साल , सीता की वेशभूषा पर दूरदर्शन ने जताई थी आपत्ति

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By Chhaya Sharma
33 साल पहले दूरदर्शन पर 'रामायण' का प्रसारण शुरू कराने में लग गए थे 2 साल , सीता की वेशभूषा पर दूरदर्शन ने जताई थी आपत्ति
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सीता की वेशभूषा पर दूरदर्शन ने जताई थी आपत्ति , रामानंद सागर को रामायण का प्रसारण करने में लग गए थे 2 साल

देश में 'लॉकडाउन' के इस दौर में दर्शक दूरदर्शन पर पुराने सीरियल को बहुत चाव से देख रहे हैं। ये वही पुराने सीरियल हैं जिन्होंने 1980 और 1990 के दशक मे धूम मचाई हुई थी। इन सीरियलों को भी फिर से प्रसारित कर दूरदर्शन दर्शकों को अपने 'स्वर्ण काल' की झांकी दिखाना चाहता है। यूं तो ये सभी सीरियल अपने समय में अच्छे खासे लोकप्रिय हुए लेकिन 'रामायण' इनमें ऐसा सीरियल है जिसकी बात ही कुछ और है। 'रामायण' अब अपने पुन: प्रसारण में भी अन्य सभी सीरियलों से ज्यादा पसंद किया जा रहा है।

33 साल पहले 'रामायण' को डीडी 1 पर आने में लगे थे दो साल​​

33 साल पहले दूरदर्शन पर

33 साल पहले दूरदर्शन पर 'रामायण' का प्रसारण शुरू होने में करीब दो साल लग गए थे और रामानंद सागर के दूरदर्शन और सूचना प्रसारण मंत्रालय में चक्कर लगाते-लगाते जूते भी घिस गए थे। यूं 'रामायण' के दूरदर्शन पर प्रसारण की अनुमति तो रामानंद सागर को सन 1985 में ही मिल गई थी। लेकिन इसके प्रसारण को लेकर दूरदर्शन अधिकारियों से लेकर मंत्रालय स्तर तक, सभी इतने भ्रमित थे कि समझ नहीं पा रहे थे कि देश के इस पहले धार्मिक सीरियल का स्वरूप क्या हो? इसलिए जब रामानंद सागर ने 'रामायण' का पहला पायलट बनाकर दूरदर्शन को दिया तो दूरदर्शन ने उसे रिजेक्ट कर दिया।

कट स्लीव्स में दिखाने पर थी आपत्ति

33 साल पहले दूरदर्शन पर

दूरदर्शन को 'रामायण' के पायलट एपिसोड में कई आपत्तियां लगीं। जिनमें एक यह भी थी कि सीता की भूमिका कर रही अभिनेत्री दीपिका को 'कट स्लीव्स' में दिखाया गया था। दूरदर्शन को लगा, यह देख लोग हंगामा कर देंगे। सागर ने फिर से पायलट एपिसोड बनाकर दिया, जिसमें सीता की वेशभूषा में कुछ परिवर्तन कर दिया गया लेकिन कुछ और आपत्तियां दर्ज करते हुए दूरदर्शन ने वह दूसरा पायलट भी रिजेक्ट कर दिया।

शूटिंग के लिए उमरगाम जाना पड़ता था

33 साल पहले दूरदर्शन पर

रामानंद सागर ने 'रामायण' की शूटिंग के लिए गुजरात-महाराष्ट्र की सीमा पर उमरगाम में सेट लगाया हुआ था इसलिए उन्हें नए पायलट की शूटिंग करने के लिए फिर से उमरगाम जाना पड़ता था। जिसमें कलाकारों और पूरी यूनिट को वहां ले जाने पर समय और पैसा बहुत खर्च हो जाता था। फिर भी रामानंद सागर ने तीसरा पायलट एपिसोड दूरदर्शन में जमा कराया लेकिन दूरदर्शन को उसमें भी कुछ खामियां दिखीं और उसे भी रोक दिया गया। इससे रामानंद सागर परेशान हो उठे। फिल्म इंडस्ट्री में उनका बड़ा रुतबा था इसलिए दूरदर्शन में इस तरह की स्थितियां देख उनका विचलित होना स्वाभाविक था।

प्रसारण के बाद मच गई थी धूम

33 साल पहले दूरदर्शन पर

आखिरकार 'रामायण' का प्रसारण 25 जनवरी 1987 से संभव हो पाया। प्रत्येक रविवार सुबह साढ़े 9 बजे के समय में जब यह शुरू हुआ तो जल्द ही इसने ऐसी धूम मचा दी कि सभी दंग रह गए। इतनी सफलता और लोकप्रियता की उम्मीद न दूरदर्शन को थी और न स्वयं रामानंद सागर को। तब 'रामायण' के प्रसारण के दौरान घरों के बाहर गलियों में कर्फ़्यू जैसे कुछ ऐसे ही नज़ारे होते थे, जैसे आजकल 'लॉकडाउन' के दिनों में देखने को मिल रहे हैं।

दूरदर्शन को 78 एपिसोड निःशुल्क दिए

33 साल पहले दूरदर्शन पर

रामानंद सागर के पुत्र प्रेम सागर ने विशेष बातचीत में कहा.. 'हमने 'रामायण' के 78 एपिसोड दूरदर्शन को पुन: प्रसारण के लिए निशुल्क दिए हैं, क्योंकि इस समय देश-विदेश में कोरोना को लेकर जो महासंकट आया हुआ है, उसे देख हमारा भी देशहित में कुछ धर्म, कुछ कर्तव्य बनता है। इसलिए इस एक महीने के दौरान दूरदर्शन से कुछ भी नहीं लेंगे। फिर मेरा यह भी मानना है कि अचानक यह प्रसारण राम जी की इच्छा से ही हो रहा है।

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