मेरे अजीज दोस्त देवेंद्र खंडेलवाल और उनकी गजब की गांधीगिरी
-अली पीटर जॉन मुझे आश्चर्य है कि अगर मैं अपनी माँ की यादों को जीवित रखना नहीं जानता, अगर मैं बार-बार प्यार में नहीं पड़ पाता और अगर मैं अपने कुछ दोस्तों की फिर से प्रशंसा करने की क्षमता नहीं रखता तो क्या मैं जीवित रह पाता और फिर से भले ही मैं देवेंद्र स