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रेटिंग***
अपनी वापसी वाली फिल्म ‘इंगलिश विगंलिश के करीब चार साल बाद श्रीदेवी एक ऐसी फिल्म ‘मॉम’ में दिखाई दे रही हैं जिसमें वो बताती नजर आ रही हैं कि ओरत बेशक कमजोर है लेकिन एक मां नहीं। जब भी उसके बच्चों पर कोई आंच आती है तो वो ऐसा कुछ कर जाती है, जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती।
दिल्ली में बायलॉजी की टीचर देवकी यानि श्रीदेवी की दो बेटियां हैं जिनमें आर्या यानि सजल अली उसकी सोतेली बेटी है। उसके पिता आंनद यानि अदनान सिद्दिकी ने अपनी बेटी के लिये ही दूसरी शादी की थी। आर्या ने अपनी सोतेली छोटी बहन को तो अपना लिया लेकिन वह देवकी को मां के तौर पर एक्सेप्ट नहीं कर पाई बल्कि उसके साथ हमेशा बगावती तेवर ही रहे। जबकि देवकी उसकी देखभाल अपनी सगी बेटी की तरह ही करती आई है। एक बार एक पार्टी में चार बंदे आर्या का चलती कार में बलात्कार कर उसका गलाघोंट एक नाले में फेंक देते हैं। बाद में सबूतों के अभाव में चारों आरोपी बरी हो जाते हैं। आगे हाई कोर्ट में आनंद अपनी बेटी को न्याय दिलवाने के लिये वकीलों से परामर्श करता रहता हैं जबकि देवकी का कानून से विश्वास उठ गया है लिहाजा वो एक प्राईवेट जासूस नवाजुद्दीन सिद्दीकी के साथ मिलकर अपने जीवविज्ञान ज्ञान के बल पर बलात्कारियों को खुद सजा देती है।/mayapuri/media/post_attachments/75ae478766159f6a7e483c3f4f805982e77bdcb57f9b2e2398b2943cb6ff14e2.jpg)
'मॉम' एक बार फिर साबित करती है अच्छा निर्देशन, बेहतरीन अदाकारी और बढि़या कैमरा संयोजन आम कहानी को भी खास बना सकता है। निर्देशक रवि उदयवार कई बार दौहराई गई कहानी को अपने सटीक निर्देशन से प्रभावशाली बनाने में पूरी तरह कामयाब हैं। खासकर बलात्कार का सीन जिसमें काली कार, रात की वीरान सड़कों पर निशब्द चली जा रही है लेकिन फिर भी दर्शक उसमें चल रही दरीन्दगी से विचलित है। टॉप एंगल से फिल्माया गया ये दृश्य यादगार बन जाता है। इसके अलावा कोर्ट सीन, देवकी के साथ क्राइम इंस्पेक्टर अक्षय खन्ना का वार्तालाप या प्राइवेट जासूस नवाजू की हरकतें जो टेंस दर्शक के चेहरे पर मुस्कराहट लाने में पूरी तरह कामयाब हैं। बेशक पटकथा कहीं कहीं लूज है लेकिन उससे दर्शक तंद्रा भंग नहीं होती, वह देवकी के कार्यकलापों पर नजरें गढ़ाये रहता है। फिल्म का संगीत कथा के साथ चलता जबकि बैकग्राउंड म्यूजिक दृश्यों को और सशक्त बनाता है। फिल्म की जो सबसे अहम् बात देवकी जरिये बहुत ही असरदार ढंग से बताई गई है कि मर्द के ओरत को दिलजोई समझने के दिन गये वो अगर ऐसा समझता है तो नाजुक मानी जाने वाली ओरत उसे ऐसा सबक सिखा सकती है जिसकी वो कल्पना तक नहीं कर सकता। चंद प्रोडयूसर्स की तरह इस बार भी फिल्म के प्रोडयसर बोनी कपूर का पाकिस्तानी प्रेम नजर आया, जिसके तहत पाकिस्तानी अदाकार अदनान सिद्दिकी और सजल अली को फिल्म में लिया गया। क्या उन्हें इन भूमिकाओं के लिये हिन्दुस्तान में एक्टर नहीं मिले?/mayapuri/media/post_attachments/9c73e7eef8e5a392b30632b1c770694e23acdbc3581eb3547deb10b857745f47.jpg)
चाहे इंगलिश विगंलिश की अंग्रेजी से तृस्त मां हो या फिर अपने बच्चों के लिये किसी भी हद तक जाने वाली मॉम हो, श्रीदेवी के अभिनय में उनके द्धारा की गई तीन सो फिल्मों का अनुभव आ जाता है । इस बार भी फिल्म में कितने ऐसे दृश्य हैं जिन्हें श्री के उम्दा अभिनय ने यादगार बना दिया यानि हर बार की तरह इस बार भी वे एक सशक्त अभिनेत्री के रूप में उभर कर सामने आती हैं। बलात्कार की शिकार लड़की की भूमिका में सजल अली अपने चेहरे पर हादसे की पीड़ा और भय लाने में पूरी तरह सफल है। अदनान सिद्दिकी देवकी के पति की भूमिका में असरदार रहे। क्राइम पुलिस अफसर की भूमिका के साथ जहां अक्षय खन्ना न्याय करते हैं वहीं नवाजुद्दीन एक साधारण सी जासूस की भूमिका को अपने अभिनय से असाधारण बना जाते हैं। अगर अभिमन्यु सिंह की बात की जाये तो हमेशा की तरह इस बार भी नकारात्मक भूमिका में जबरदस्त रहे हैं।
श्रीदेवी और नवाजुद्दीन के सुंदर अभिनय के लिये फिल्म जरूर देखें।
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