Death anniversary- जनता का शायर साहिर लुधियानवी की कुछ यादें
मायापुरी अंक 15.1974 फिल्मी गीतों में सीनिंग या सार्थकता ढूंढना भूसे के ढेर में सुई की तलाश है। अक्सर तो गीत के नाम पर शब्दों की तुकबंदी की जाती है। शायर पहले पहल तो फिल्मी दुनिया में पहुंच कर कुछ उखड़ा-उखड़ा महसूस करते है मगर बाद मैं चांदी की चमक से प