मैंने अनुपम खेर को कई चैनलों पर शब्दों से युद्ध का सामना करते और लड़ते देखा है और कभी-कभी सोचता हूं कि क्या यह वही अनुपम है, जिसे मैंने शिमला से आए एक सधारण व्यक्ति के रूप में देखा था जो देश और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में रहने वाले किसी भी व्यक्ति कि तरह
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Ali Peter John
अली पीटर जॉन हिंदी सिनेमा की दुनिया में एक पत्रकार, लेखक और स्तंभकार के रूप में विख्यात रहे। उन्होंने अपने करियर के दौरान बॉलीवुड के कई दिग्गज सितारों पर गहन लेखन कार्य किया और अपनी अनूठी शैली के लिए जाने गए।
यह विश्वास करना मुश्किल है कि सिर्फ एक फिल्म की शूटिंग देखने के बाद एक आदमी का जीवन कैसे पूरी तरह बदल सकता है. लेकिन ऐसा हो सकता है और हुआ भी है... एक युवा प्रकाश झा बस बॉम्बे आये थे और उन्होंने एक उडिपी होटल में नौकरी की और रसोई में काम किया. वह अपने
कुछ किस्से बस आपको परेशान करते हैं। कुछ ऐसी कहानी बताने के कई प्रयास हुए हैं जो अमर प्रतीत होती हैं, लेकिन बहुत कम सफल हुई हैं। कुछ 70 साल पहले, विजय भट्ट, महेश भट्ट के चाचा, जिन्होंने राम राज्य का निर्देशन किया था, महात्मा गांधी द्वारा देखी गई एकमात्र
वह एक प्रतिभाशाली व्यक्ति थे जिन्होंने एक पटकथा लेखक के रूप में अपनी शुरूआत की, जब वे अभी भी कॉलेज (मुंबई में सेंट जेवियर्स कॉलेज) में थे और उन्हें उनके बड़े भाई देव आनंद द्वारा निर्देशक के रूप में पहला ब्रेक दिया गया था। वह विजय आनंद थे जिन्होंने ‘तेरे घर
बड़जात्या परिवार के घर में न किसी ने सोचा था और न ही कल्पना की थी कि कोई ऐसा व्यक्ति होगा जो फिल्मों के निर्माण में रचनात्मक रूप से शामिल होगा. उनमें से सबसे निकटतम रचनात्मक प्रक्रिया में आया जब राजकुमार बड़जात्या ने राजश्री प्रोडक्शंस की कुछ फिल्मों के निर
निम्मी उर्फ़ नवाब बानो मैं कभी-कभी इस पर विश्वास नहीं कर पता कि कैसे मैंने अपने जीवन में कुछ सबसे अच्छे और प्रतिभाशाली पुरुषों और महिलाओं से मुलाकात की है और किन परिस्थितियों में मैं उनसे मिला हूं, जिसे अब मैं सोचता हूँ तो मुझे खुद पर हैरत होती हैं! मैं
अगर स्वर्ग है, अगर मुझे स्वर्ग के द्वार में प्रवेश करने का सौभाग्य प्राप्त होता है और अगर मैं भगवान से मिलंूगा और अगर वह मुझसे पूछेंगे कि पृथ्वी पर वह चीज क्या थी जिसने मुझे पृथ्वी पर रहने लायक बना दिया था, तो मैं बिना सोचे-समझे या पलक झपकाए बिना भगवान से
कुछ पुरुष (और महिलाएं) ऐसे होते हैं जो जीवन में इतनी प्रसिद्धि और सफलता प्राप्त करते हैं कि भगवान और भाग्य में बहस हो जाती है कि इनका श्रेय किसे लेना चाहिए। यह सवाल मेरे दिमाग में तब आया जब राग की रानी भारत रत्न लता मंगेशकर की मृत्यु हो गई और मुश्किल से द
कपूर परिवार हमेशा से अपने अथिति सत्कार के लिए जाना जाता है। उनकी पार्टियां एक ऐसा इवेंट्स रही हैं, जिसे कोई एक बार अटेंड कर ले तो वो कभी इसे नहीं भूल सकता। वे अपने सभी मेहमानों पर उस तरह का स्नेह और प्यार बरसाते रहे है, जिसकी अन्य बड़े नामों ने नकल करने की
(उद्योग में लेखजी के नाम से प्रसिद्ध) लेखराज टंडन का जन्म पंजाब के जिले किला शेखूपुरा के तहसील ननकाना साहब के गांव चक चैदह में हुआ था, जो वर्तमान में पाकिस्तान में है. जिसके लगभग 30 मील की दूरी पर लाहौर हैं. उनके दादा जयकिशन टंडन साहूकार किसान थे, और उनकी
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