मेरे पास आपको देखने का केवल एक ही अवसर था, और यह तब था जब आप पंजाबी कला संगम के उद्घाटन समारोह में एक चीफ गेस्ट के रूप में मेरे कॉलेज आए थे और आपने अपने हैन्डम लुक, अपने चलने के अंदाज और पंजाबी और हिंदी में अपने बात करने के तरीके, के साथ मेरे युवा मन पर जो छाप छोड़ी थी, वह आज भी मेरे दिल और दिमाग में पहले की तरह ही ताजा है.
मैंने आपकी कुछ बेहतरीन फिल्में देखी हैं जैसे ‘मुगल ए आजम’, ‘रुस्तम सोहराब’, ‘सिकंदर’, ‘कल आज और कल’ और ‘तीन बहुरानियां’ और कई अन्य फिल्में और आपने हमेशा मुझे अपनी अदाकारी की पहुँच से रूबरू कराया है. अगर मैं गलत नहीं कह रहा हूँ तो मुझे खुद आपके पृथ्वी थियेटर और आईपीटीए के कुछ नाटकों में मंचित नाटकों को देखने का अवसर नहीं मिल पाया और मुझे पूरा विश्वास है कि आप उन सभी में मंत्रमुग्ध किए होंगे. अगर मुझे अपने जीवन में कोई पछतावा है, तो यह आपके द्वारा किए गए नाटकों में आपकी महिमा को न देख पाना है. जब आप इस दुनिया को छोड़ चुके थे, तब मैं आपको अंतिम विदाई देने के लिए भी भाग्यशाली नहीं रह पाया था, लेकिन आपकी महिमा अभी भी हम सभी के अंदर हमेशा के लिए जीवित रहेगी.
प्रिय पापाजी, आप जान सकते हैं कि आपके सभी बेटे राज, शम्मी और शशि सभी आप में शामिल हो चुके हैं और ऋषि कपूर और राजीव कपूर जैसे आपके प्रतिभाशाली पोते हैं. इसी दुनिया में आपके कुछ पड़ पोते भी एक्टिव हैं जहा आपने और आपके बेटों ने कभी राज किया था, लेकिन मैं उनमें से किसी में भी आशा की झलक को नहीं देख पाता हूँ!
आप सोच रहे होंगे कि, मैं उनका यह ओपन लैटर आपको क्यों लिख रहा हूं. मैं पृथ्वी थिएटर की कैंटीन में बैठा हूं जिसे आपके बेटे शशि और बहू ने आपके सम्मान में बनाया था भारतीय थिएटर के लिए आपके द्वारा निर्धारित परंपरा को जीवित रखने के लिए. मुझे नहीं पता कि मैं आपको या मेरे प्रिय मित्र शशि कपूर और उनकी पत्नी को इस जगह के चमत्कार के लिए कैसे धन्यवाद दूँ, लेकिन यह फैक्ट यह है कि पृथ्वी थिएटर ने थिएटर के लिए जो किया है वो पिछले साठ वर्षों में कोई भी सरकार या संस्था नहीं कर पाई है. अभिनेता, लेखक और अन्य क्रिएटिव लोग अपनी प्रतिभा को प्रदर्शित करने के लिए जगह की भीख माँगते थे, लेकिन अब उनके पास एक आश्रय है जहाँ वे आ सकते हैं, आराम कर सकते हैं और अपनी प्रतिभा को दिखा सकते हैं.
क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी थिएटर ने लाखों प्रतिभाशाली युवा पुरुषों और महिलाओं को एक जगह दी है जहाँ से वे अपनी मंजिल को पा सकते हैं? क्या आप जानते हैं कि पृथ्वी थिएटर देश भर के कलाकारों के लिए एक घर रहा है और इसने शायद ही कभी किसी को निराश किया हो जो वास्तव में पृथ्वी थिएटर का हिस्सा होने के योग्य रहा है? आपके समय में एक कप चाय की कीमत एक आना यानि छह पैसे होती थी, लेकिन आज एक गिलास साधारण चाय की कीमत 25 रुपये है, आपके समय में परोसे जाने वाले स्नैक्स की कीमत एक या दो रुपये होती होगी, लेकिन आज हैसियत के हिसाब से भुगतान किया जाता हैं. और युवा लोगों द्वारा परोसे जाने वाले कुछ स्वादिष्ट स्नैक्स होते हैं, जो मुझे लगता है कि यह इन युवाओं का उज्ज्वल भविष्य नहीं है, पृथ्वी थिएटर एक मीटिंग प्लेस से भी अधिक है जहां बैठकर नसीरुद्दीन शाह द्वारा निर्देशित ‘किस्मत आप के नाम’ जैसे महत्वपूर्ण नाटक पर चर्चा की गई, नसीरुद्दीन शाह एक अभिनेता और निर्देशक जिन्हें आप जानकर प्रसन्न हुए होंगे.
आपके पृथ्वी थिएटर और शशि के पृथ्वी थिएटर के बीच बहुत कुछ बदल गया है. परिवर्तित होना तो जीवन का नियम है, लेकिन क्या इसकी वैल्यू चेंज हो गई है?
अभी आपका और शशि का पृथ्वी थिएटर शशि के बेटे कुनाल कपूर के हाथ में है, हो सके तो कुनाल को अपना आशीर्वाद दे दो की वो पृथ्वी थिएटर को आगे और आगे लेकर चले.
आपका और कपूर खानदान का शुभचिंतक
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