गपशप : 1940 में काजोल की नानी यानी शोभना समर्थ एक बेहतरीन जिंदगी जीती थी. आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उनके लव स्टोरी लेकर आए है. आज हम मोहब्बत यानी वैलेंटाइन डे के मौके पर अपने समय की दिग्गज एक्ट्रेस शोभना और नेचुरल एक्टर माने जाने वाले मोतीलाल (Motilal) के इश्क की दिलचस्प कहानी बताते हैं. दिग्गज एक्ट्रेसेस तनुजा, नूतन की मां शोभना अपने दौर की टॉप और बिंदास एक्ट्रेस मानी जाती थीं. मोतीलाल से उनकी पहली मुलाकात फिल्म के सेट पर हुई थी. मोतीलाल और शोभना समर्थ दोनों अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने वाले स्टार थे. जिस दौर में महिलाएं घर के बाहर कदम नहीं रखती थीं, उस दौर में शोभना और मोतीलाल ने ना सिर्फ अपने प्यार का इजहार किया बल्कि समाज के सामने बेबाकी से अपने रिश्ते को भी माना.
शोभना समर्थ की लव स्टोरी
मोतीलाल बिंदास जिंदगी जीने वाले एक्टर थे. तेज रफ्तार में कार चलाना, घुड़सवारी करना और हवाई जहाज उड़ाना उन्हें रास आता था. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक शादीशुदा और 4 बच्चों की मां शोभना का फिल्म इंडस्ट्री में जलवा था. सागर मूवी टोन प्रोडक्शन हाउस में शोभना समर्थ और मोतीलाल की मुलाकात हुई जो दोस्ती में बदल गई. कुछ समय बाद शोभना का अपने पति कुमारसेन समर्थ से नाता टूट गया. ये वही वक्त था जब वह मोतीलाल के करीब आ गईं. मोतीलाल ने उन्हें प्रपोज किया लेकिन शोभना ने दिलचस्पी नहीं दिखाई.
मोतीलाल ने किया था इस तरह प्यार का इजहार
मोतीलाल ने हार नहीं मानी, बल्कि अपने प्यार का इजहार का ऐसा तरीका निकाला, जिसे शायद आज के नौजवान भी नहीं करते होंगे. मोतीलाल ने किराए पर हेलीकॉप्टर लिया और शोभना समर्थ के घर की छत पर चक्कर लगाने लगे. कहते हैं कि एक लव लेटर लिखा, उसे पत्थर में लपेटा और फेंक दिया. शोभना के कमरे का शीशा टूट गया और उन्होंने आईलव यू कहा. मोतीलाल के इस कदम से इमोशनल हुईं शोभना ने प्रेम प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. ये रिश्ता काफी लंबा चला लेकिन दोनों ने शादी नहीं की. समाज से अपने रिश्ते को छिपाया नहीं बल्कि खुलकर अपनी जिंदगी जी.
शोभना समर्थ के बारे में
शोभना ने 1935 की फिल्म निगाहे नफ़रत से अपनी शुरुआत की और उसके बाद कई फिल्मों में काम किया. उनकी 1942 की फिल्म भरत मिलाप उनके करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई. उन्हें राम राज्य (1943) में सीता के किरदार के लिए जाना जाता है. वह और सह-कलाकार प्रेम अदीब सीता और राम के रूप में कैलेंडर पर प्रदर्शित हुए. बाद में उन्होंने तनुजा और नूतन को फिल्म उद्योग में लॉन्च करने के लिए फिल्में बनाईं.