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Mehboob Khan की याद में कुछ झलकिया ‘मदर इंडिया’ के प्राीमियर की

मेरे मित्र और मायापुरी के संपादक और प्रकाशक, श्री पी. के. बजाज जी हर समय मेरे लिए राहत का एक बड़ा स्रोत रहे हैं, लेकिन वे वायरस के हमले के दौरान मेरे लिए प्रेरणा की किरण से अधिक रहे हैं जिनका साथ...

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By Ali Peter John
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-Ali Peter John

मेरे मित्र और मायापुरी के संपादक और प्रकाशक, श्री पी. के. बजाज जी हर समय मेरे लिए राहत का एक बड़ा स्रोत रहे हैं, लेकिन वे वायरस के हमले के दौरान मेरे लिए प्रेरणा की किरण से अधिक रहे हैं जिनका साथ अभी भी जारी है और वह इस साथ को छोड़ने का कोई संकेत नहीं दिखा रहे है और श्री बजाज की सबसे अच्छी चीजों में से एक मुझे वीडियो भेजना है जो मुझे अन्य समयों, अन्य युगों और अन्य महान और अविस्मरणीय नामों की याद दिलाता हैं, जिन्हें इतिहास के पन्नों में अंकित किया गया है.

Birthday Special Mehboob Khan गुजरा हुआ जमाना, आता नहीं दुबारा कुछ झलकिया ‘मदर इंडिया’ के प्राीमियर की

यह उनकी माइंड-ब्लोइग वीडियो का सिलसिला है कि मिस्टर बजाज ने मुझे महबूब खान के मैग्नम ओप्स, ‘मदर इंडिया’ के पहले शो को कैप्चर करते हुए एक पुराना वीडियो भेजा है, मैंने शो के बारे में राज कुमार, राजेंद्र कुमार जैसे प्रतिष्ठित नामों से पर्सनल रिपोर्ट सुनी थी (उन्होंने फिल्म में अपना प्रमुख डेब्यू किया और इसमें प्रमुख भूमिकाएँ निभाईं थी सुनील दत्त ने). मैंने महान दिलीप कुमार को भी इसके बारे में बोलते हुए सुना था और अगर कोई ऐसा व्यक्ति था जिसने मुझे इसके बारे में एक अनोखा वर्णन दिया, तो यह श्री चिमकांत गांधी थे जो महबूब खान के दाहिने हाथ थे और जो फिल्म के कलाकारों में तीन न्यूकमर, राज कुमार, राजेंद्र कुमार और सुनील दत्त को लाने के लिए जिम्मेदार थे. मैंने कुछ साल पहले प्रीमियर के बारे में भी ऐसा ही वीडियो देखा था, लेकिन इस बार जब मैंने इसे बार-बार देखा तो मेरी आँखों में खुशी और एक अजीब सी उदासी दोनों के आंसू थे यह मेरे दिल में बस गया, जिसने मुझे वीडियो, फिल्म और फिल्म के निर्माण में शामिल लोगों के बारे में मेरी भावनाओं से वापस जोड़ दिया था.

मुझे पता है कि कई अन्य लोग भी हो सकते हैं जिन्होंने इस वीडियो को देखा होगा, लेकिन मैं इसे अपने दिल की आँखों से देख रहा था. वीडियो साउथ मुंबई में लिबर्टी सिनेमा के बाहर के एक दृश्य के साथ खुलता है, एक पॉश थिएटर जहां कई बार कुछ बेहतरीन फिल्मों के प्रीमियर आयोजित किए गए है, आखिरी यश चोपड़ा की आखिरी फिल्में और सूरज बड़जात्या की पहली कुछ फिल्में हैं.

लिबर्टी पर दृश्य पुरुषों और महिलाओं की एक बड़ी भीड़ के साथ खुलता है, जहा लोग बुकिंग काउंटर पर टिकटों के रेट्स और ब्लैक मार्किट में रेट्स पर चर्चा करते हैं. आवाजों के माध्यम से सुना जा सकता है कि ब्लैक मार्केट में टिकट 50 और 100 रुपये में बेचे जा रहे थे और लोग अभी भी उस फिल्म को देखना चाहते हैं जिसे रिलीज होने से पहले और प्रचार के दौरान महीनों पहले भी हाइली पब्लिश किया गया था. जिसमे एक सच्ची कहानी थी कि नरगिस किस कदर एक आग में फंसी थीं और युवा अभिनेता सुनील दत्त ने अपनी जान जोखिम में डालकर उन्हें कैसे बचाया था और इस भड़कीले दृश्य ने उनके बीच प्रेम और सम्मान की ज्वाला जला दी थी और इसने देश के सबसे कान्ट्रवर्शल और अभी तक के सफल विवाहों में से एक को जन्म दिया था.

लिबर्टी में प्रीमियर के दृश्य पर वापस आ जाए. बड़े बड़े स्टार्स की कारें लिबर्टी के विपरीत लेन में चलती रहती हैं और भीड़ के बीच उत्तेजना प्रत्येक स्टार के आगमन के साथ बढ़ती रही.

‘बरसात’ के साथ अपनी शानदार सफलता से फेमस हुई निम्मी तब गेट पर पहुँचने वाली पहली स्टार थी, ‘बरसात’ उनकी पहली फिल्म थी, जिसमें राज कपूर ने उन्हें सबसे पहले इन्ट्रडूस कराया था, जिन्होंने उन्हें महबूब खान की ‘अंदाज’ के सेट पर केवल एक बार देखा था और कई सवालों के जवाब दिए बिना ही उन्हें कास्ट कर लिया था और उनके बारे में राज कपूर की राय समय की कसौटी पर खरी उतरी थी. निम्मी अपने नए प्रशंसकों से घिरी हुई थी, लेकिन वह सफलतापूर्वक लिबर्टी के प्रवेश द्वार के लिए अपना रास्ता बनाती नजर आई थी.

निम्मी के बाद दो अच्छी दोस्त और प्रतिभाशाली अभिनेत्रियां, नादिरा और शम्मी लिबर्टी पहुंची दोनों ने सफेद साड़ी पहनी थी जो उनकी फिल्मों में उनकी इमेज के खिलाफ रही है. उनके बाद शोभना समर्थ आई, जो अभिनेत्री विजय भट्ट की फिल्म ‘राम राज्य’ में सीता का किरदार निभा रही थी. वह मां सीता के रूप में अपनी छवि के कारण वह सभी सम्मानों से अभिभूत थी. और उन्हें शांति से अंदर जाने की अनुमति थी.

फिर पृथ्वी, आकाश, चंद्रमा, सूर्य और वह सब जो जीवित है, एक साथ तालियां बजाने लगता है जब लता मंगेशकर अपने सर को अपने पल्लू से ढके के चलती हुई आती हैं और उसके चेहरे पर भगवान सी चमक दिखती है. और फिर जब मोहम्मद रफी विनम्रतापूर्वक प्रवेश द्वार की ओर आते हैं, तो ऐसा लगता है कि स्वर्ग और पृथ्वी एक साथ भगवान की पसंदीदा कृतियों की एक झलक को पाने के लिए आए हैं. उनके पास वह स्वर्ग है जो उनके चेहरे पर साफ दिखता है भले ही वे इस धरती के हो.

मेल स्टार्स की ब्रिगेड सोहराब मोदी की अगुवाई में चलती है, जिसके बाद फियरलेस नादिया आती है. वह पर्दे पर उनकी दिलकश छवि के विपरीत है. ब्रिगेड जारी है और महबूब खान के पीछे चलती है, जो आत्मविश्वास की एक उज्ज्वल मुस्कान के साथ मैग्नम-ओपस के पीछे का आदमी है जो तब आश्चर्यचकित हो जाता है जब उसके सैकड़ों प्रशंसक उसके बैनर के आदर्श वाक्य का जाप करते हैं “मुद्दई लाख चाहे तो क्या होता है, वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है” और महबूब के चेहरे पर विजय और दृढ़ निश्चय की मुस्कान नजर आती है और वह अंदर कि और चल पड़ते है.

महबूब खान का अनुसरण करने वाले अन्य लोग हैं जैसे कि दिग्गज अभिनेता शेख मुख्तार, याकूब, कन्हैयालाल, राजेंद्र कुमार और उसके बाद राज कुमार दोनों के लिए यह पहला अनुभव था कि स्टारडम का क्या मतलब है और वे एक स्टार के रूप में कहाँ और कितनी ऊँचाई तक पहुँचेंगे, इस बारे में एक तरह की भविष्यवाणी, और वहा उनके प्रशंसकों को ‘हाय’ चिल्लाते हुए सुना जा सकता था.

हालाँकि तब समय रुक जाता है और दिल की धड़कनें रुक जाती हैं, जब तेज तर्रार दिलीप कुमार शार्प स्किन सूट पहने आते दिखतेे हैं और भीड़ में मौजूद महिलाएं उन्हें देखकर पागल हो जाती हैं और यह दृश्य उस दृश्य जैसा लगता है जब अमिताभ बच्चन या शाहरुख खान किसी भी सार्वजनिक या निजी अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं. यही एक कारण है कि हमेशा से दिलीप कुमार को ‘सभी सितारों के बीच पहला सितारा’कहा जाता हैं.

बाहर की भीड़ बढ़ती रहती है और लोग चिल्लाते रहते हैं और खुशी में रोते भी हैं और शो खत्म होने तक अपनी जगह छोड़ने से मना कर दिया था जब तक सभी जानी मानी हस्तियां अंदर जाकर बाहर नहीं आ गई थीं और जो सभी ‘मदर इंडिया’ जैसी शानदार फिल्म देखकर खुश थे और उन्होंने आसपास के लोगों को बार-बार फिल्म देखने के लिए कहा था. यह भारत में बनाई गई सबसे बड़ी फिल्मों में से एक की शानदार सफलता की कहानी थी.

जैसा कि मैंने इस रेयर वीडियो को देखा, मुझे आश्चर्य हुआ कि वह सभी प्रीमियर और अनन्य शो कहां चले गए थे? जिन्हें एक बार प्रतिष्ठा का मुद्दा माना गया था. और अब उन्हें एक डरावना मुद्दा माना जाता है, खासकर मुंबई बम धमाकों और यश चोपड़ा, राकेश रोशन, गुलशन कुमार और भार शाह जैसी हस्तियों पर किए गए धमाकेदार शारीरिक हमलों के बाद. और फिर पांच सितारा और अन्य होटलों के अंदर या खुले में भी कोई भव्य प्रीमियर या पार्टियां नहीं हुई. फिल्ममेकिंग में पहले इतना मजा और उत्साह हुआ करता था. और अब यह एक खतरनाक व्यवसाय है जो संदेह और भय के माहौल में किया जाता है.

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Posted by Bollywoodirect on Wednesday, June 27, 2018

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Tags : mehboob khan birthday | mehboob khan story 

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