-अली पीटर जॉन
कुछ ख्वाहिशें ऐसी होती हैं जो इंसान देखता है धरती पर और उम्मीद करता रहता है की उसकी ख्वाहिश एक ना एक दिन पूरी होगी। लेकिन खुदा ने कोई ऐसा नियम नहीं बनाया जिसमे लिखा होगा की सारी ख्वाहिशें यहीं पर, इसी धरती पर पूरी होंगी। किसी किसी ख्वाहिश को पूरी होने में सारी उमर लग जाती है और फिर कहीं जाकर वो ख्वाहिश पूरी होती है वो भी इस दुनिया से और इस धरती से कहीं दूर स्वर्ग में...
मेरे दोस्त ऋषि कपूर बहुत खुश हुए थे जब उनकी बेटी रिद्धिमा की शादी हो गई थी और उसने रिद्धिमा की शादी इतनी धूम धाम से की थी आरके स्टूडियोज़ में और वो इतने थक गए थे की उनके होश उड़ गए थे और उनको होश तब आया जब उनके गले के नीचे दो क्वार्टर व्हिस्की के गए। अब इनकी एक ही ख्वाहिश थी और वो थी उनके बेटे रनबीर की शादी करवाने की। मौके आए, कभी रनबीर को दीपिका पादुकोण से इश्क हो जाता था और फिर टूट जाता था दिल और रिश्ता दोनो को, और फिर बेइंतीहा प्यार हो गया था कटरीना कैफ के साथ और ये रिश्ता भी टूट गया, कहते है की ये रिश्ता रनबीर की मां नीतू सिंह को पसंद नही था और रनबीर वही करता था जो उसकी मां को पसंद था। और फिर रनबीर को छोटी सी और क्यूट सी आलिया मिल गई और उसको फिर इश्क हो गया और इस बार उसको लगा की बस यही है वो कुड़ी जो उसकी जीवन साथी बन सकती है। और इस बार उसकी राय और उसकी मां की राय एक ही थी और उनकी शादी होने वाली ही थी की ऋषि कपूर को कैंसर हो गया और ट्रीटमेंट के दौरान आलिया ने जो ऋषि और ऋषि के खानदान की जो सेवा की देखकर रनबीर आलिया पर फिदा हो गए और उसने अपने माता पिता को बता दिया की अगर वो शादी करेगा तो आलिया से ही और ऋषि ने अपने बेड से रनबीर को थम्बसप का साइन दिया और कहा की यही (आलिया) कपूर खानदान की बहु बनने के लायक है।
और फिर ऋषि भूल गए की वो कैंसर के मरीज है और उन्होंने अपनी पूरी ताकत, दौलत और वक्त सिर्फ रनबीर और आलिया की शादी धूम धाम से कराने में लगा दी, शादी की तारीख कई बार तय हो चुकी , लेकिन वो जालिम corona प्यार का दुश्मन बनकर बीच में आता रहा और ऋषि की ख्वाहिश दूर जाती हुई नजर आती रही। और एक दिन सुबह कुछ गाने सुनते सुनते, ऋषि दुनिया को छोड़ कर और अपने प्यारे ख्वाहिश को छोड़ कर चले गए और उनको अलविदा करने के लिए सिर्फ उनके परिवार के लोगो के सिवा और कोई नही था।
अब दो महीने हो गए है जब लग रहा है की corona ने आखिर हार मानने का फैसलआ ले लिया है और इंसान और दुनिया दोनो अपनी अपनी पटरियों पर आ रहे हैं। और इस खुशी के वातावरण में ये भी खबर आ गई की रनबीर और आलिया की रूकी हुई शादी होने वाली है। और ये खबर इंटरनेट से नहीं बल्कि ऋषि के कुछ जासूसों ने उस तक पहुंचाई की उसके बेटे रनबीर को शादी हो रही है आलिया के साथ।
बस, यही बात सुनने के लिए तो ऋषि बैचेन था पिछले दो सालों से और जैसे ही उनके बड़े भाई रणधीर कपूर और उनके दोस्त रूमी जाफरी ने कन्फर्म किया की शादी पक्की हो रही है और उसकी प्यारी 'पंजाबन' बीवी नीतू ने उसे बताया कि बात पक्की है, तो उसने खुदा के नाम एक पत्र लिखा सुनहरे अक्षरों में और परवंगी मांगी स्वर्ग में एक शानदार रिसेप्शन का आयोजन करने की और खुदा ने एक ही सेकंड में परवांगी दे दी और ऋषि चंदेरी सूट और टाई पहन कर रिसेप्शन की तैयारी करने लगा।
पहले तो उसने अपने डैड राज कपूर के चहीते आर्ट डायरेक्टर एमआर अचरेकर को खोज लिया रिसेप्शन के लिए सेट बनाने के लिए और अचरेकर ने पूरा आरके बंग्ल और आरके स्टूडियो को मिलाकर एक शानदार महल बनाया जिसके दीवार सोने के थे और फर्श सोने की थी और ऋषि फिर भी खुश नहीं था लेकीन अचरेकर ने उसको बताया की स्वर्ग उसके बाप का नही जो वो उसके साथ कुछ भी कर सकता और ऋषि मान गया। ऋषि ने सारे धरती के फूल मंगाए लेकिन वो भी उसके शांति नहीं दे सके। उसने गीता बाली, जेनिफर कपूर को रसोई सम्हालने का भार सौंपा और अपने मामा प्रेम नाथ और उसके भाइयों को 'बार' की देखभाल करने को कहा। शम्मी कपूर और शशी और अपने भाई राजीव कपूर को लोगो को वेलकम करने के लिए द्वार पर खड़ा किया और उनसे कहा गया, ' जो गड़बड़ मेरी शादी के रिसेप्शन में हुई थी, वो मेरे बेटे के रिसेप्शन में नही होती चाहिए'
ऋषि हो और संगीत नही हो, क्या ये मुमकिन है? ये धरती पे भी मुमकिन नही था और स्वर्ग में तो बिलकुल मुमकिन नही था। उसने अपने बाप को ही ये जिम्मदारी दी की वो संगीत का विभाग सम्हाले। और राज साहब ने तो संगीत का दरबार लगा दिया। उस रात रिसेप्शन में बड़े गुलाम अली खान गा रहे थे और उनके साथ मोहम्मद रफी गा रहे थे, लता मंगेशकर गा रही थी, नूर जहां और गीता दत्त भी गा रही थी और उस्ताद बिस्मिल्लाह खान सेहनाई बजा रहे थे, भीमसैन जोशी गा रहे थे और सितारा देवी कत्थक नाच रही थी और जोगिंदर भांगड़ा नाच रहे थे। शराब तो नदियों को तरह बह रहा था और लोग ऐसे नाच रहे थे जैसे स्वर्ग में fir कभी सुबह नही होगी।
और सबसे रुलाने वाला वक्त तब आया जब ऋषि ने अपने घर पर काम करने वाले सभी लोगो को एक एक सोने की रथ प्रेजेंट की और वो झूमते झूमते अपने अपने मेहेलो में चले गए। और खुदा और उसका दरबार और सारा स्वर्ग और सारे इंडस्ट्री के लोग जिन्होंने स्वर्ग में अपना घर बसाया था ,उन्होंने देखा की ऋषि खुद अपने बाप को लेकर ख्वाजा अहमद अब्बास के पास एक कोने में लेकर जा रहे है और दोनों अब्बास साहब को अपने हाथों में जगड़ कर एक तख्त पर लेकर बिठाते हैं और कहते है, ' ये अब्बास साहब हैं , इनके बिना न तो मेरा बाप राज कपूर होता, ना में ऋषि कपूर होता और न आरके स्टूडियो होता'।
पूरा स्वर्ग तालियों से गूंज उठता है और अब्बास साहब अपनी आंखे मूंद कर यह वहा देखते है और पूछते हैं, 'मैं तो एक छोटा सा शैतान हूं, मुझे इस पावन स्वर्ग में लूं लेकर आया?' और ऋषि और राज जो अब्बास साहब के क्रोध को जानते थे वो एक दूसरे को देखते है और एक साथ कहते है, 'आपको मैने नही लाया, आपको मैने नही लाया' ये वक्त और जमाने का पहला रिसेप्शन था जो शादी होने से पहले धूम धाम से मनाया गया था और इसका गुनहगार मेरा दोस्त जो मेरे तरह थोड़ा सा पागल है, ऋषि कपूर था और ऐसे ही याद किया जाएगा।