धरमवीर नाम का मेरा एक दोस्त था, जो नासिर हुसैन के प्रोडक्शन कंट्रोलर के रूप में काम करता था, जिसने मुझे नसीर हुसैन की मज़ेदार कहानियाँ सुनाईं कि कैसे उन्होंने फ़िल्में बनाईं थी और कैसे उन्होंने डायलॉग लिखे थे और जब उन्होंने अपने एक्टर्स का निर्देशन किया तो वह अपना बेस्ट देते थे। Aamir Khan and Nasir Hussain
हुसैन 'यादों की बारात' नामक एक बड़ी फिल्म बना रहे थे जिसमे उन्होंने धर्मेंद्र, जीनत अमान, विजय अरोड़ा और उनके भतीजे तारिक खान के साथ एक नई लड़की काजल किरण को कास्ट किया था।
लेकिन, धरमवीर ने बताया कि इस में आमिर खान नामक एक छोटे लड़के द्वारा निभाया गया एक रोल भी था, आमिर खान जो नासिर हुसैन के भाई ताहिर हुसैन के बेटे थे। फिल्म के टाइटल सोंग को तीन भाइयों के बचपन पर पिक्चराईस किया गया था। गाना था, “यादों कि बारात निकली है आज दिल के द्वारे”। छोटे लड़के को इमेजिन करना था कि वह एक खिलौने वाला गिटार बजा रहा है। सब कुछ ठीक था, जब तक उसकी खिलौने का गिटार बजाने की बारी नहीं आई थी और उस लड़के ने सब को हैरान कर दिया था जब उसने अपने चाचा (नासिर हुसैन) को तब तक शूटिंग स्टॉप करने के लिए कहा, जब तक कि उसे गिटार के तारों पर अपनी उंगलियों को हिलाने की आदत न पड़ जाए और उन्होंने तब तक शूटिंग को कंटिन्यू नहीं किया, जब तक कि वे संतुष्ट नहीं हो गए थे। आप उस छोटे लड़के की इस हरकत के बारे में क्या कहेंगे?
एक हीरो के रूप में उनकी पहली फिल्म, 'जो जीता वही सिकंदर' की रिलीज से पहले सिर्फ हफ्ते भर का समय था। मुंबई में उन दिनों हमारे पास रात के क्रिकेट मैच (टेनिस बॉल क्रिकेट, जो ज्यादातर मुंबई के गांवों में खेले जाते थे) थे। वही धरमवीर आमिर को एक ऐसे मैच में मुख्य अतिथि के रूप में मानते थे, जो सहार गाँव के मैदान में खेला जा रहा था, जहाँ अब अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है।
आमिर को तब आश्चर्य हुआ जब उन्होंने एक विशाल भीड़ को देखा जिसके लिए उनसे कहा गया था कि वे उन्हें देखने आए थे।
और अगर आर्गेनाइजर को लगा कि आमिर सिर्फ एक रिबन काटेंगे और बस कुछ शब्द ही कहेंगे, तो यह सिर्फ उनकी गलतफहमी थी। क्यूंकि वह कम से कम एक पारी के लिए मैच का हिस्सा बनना चाहते थे। जिस तरह से उन्होंने गेंदबाजी और बल्लेबाजी की वह कुछ ऐसा था जिसे दर्शकों ने स्वीकार नहीं कर पाए। आमिर आधी रात के आसपास ही वहा से जाने लगे और जब वह जा रहे थे, आयोजकों में से एक ने कहा, “ये बहुत लम्बा जाएगा, इसका पागलपन अभी से दिखाई देता है।”
आमिर एक स्टार बन गए थे और महबूब स्टूडियो में 'परम्परा' नामक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। यह एक बड़ी पार्टी का दृश्य था और निर्देशक यश चोपड़ा, जो अपनी बैनर फिल्म के बाहर निर्देशन कर रहे थे और उन्हें 50 लाख रुपये का भुगतान किया गया था, इस दृश्य में सुनील दत्त, विनोद खन्ना, रवीना टंडन और रामकृष्ण शामिल थे।
यह इतिहास को दोहराने जैसा था। और एक बार फिर आमिर को सीन में पियानो बजाना था। और आमिर फिर तब तक पियानो बजाते रहे जब तक कि उनकी उंगलियों ने उस आदमी के तरह पियानो पर नहीं चली, जिसने गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान पियानो बजाया था। आमिर 'टेक' के लिए तभी तैयार हुए जब वह अपने एफर्ट से खुश हो गए थे। इस दृश्य के तुरंत बाद यश चोपड़ा ने कहा, “बहन के टके ! मैंने बहुत एक्टर्स के साथ काम किया है लेकिन इस लड़के के जैसा कोई नहीं, इसको तो डायरेक्टर बनना चाहिए था” क्या यश चोपड़ा ने तब आमिर के लिए एक भविष्यवाणी की थी?
आमिर जूही चावला और जुहू में कई बच्चों के साथ महेश भट्ट की फिल्म 'हम हैं राही प्यार के' के लिए एक गीत की शूटिंग कर रहे थे। और जब उन्हें पता चला (अपने तरीके से) कि गाने के शूट में महेश भट्ट ने दिल से काम नहीं किया, तो उन्होंने चुपचाप महेश से घर जाने का अनुरोध किया और उन्होंने गाने के शूट की जिम्मेदारी खुद संभाली और न केवल इसे समय पर पूरा किया, बल्कि यह भी देखा कि उन्होंने इसे अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और नतीजा यह हुआ कि यह सोंग फिल्म का एक बड़ा आकर्षण बन गया था।
क्या यही वजह है कि आमिर को डायरेक्ट करने की चुनौती लेने से पहले कुछ बेस्ट डायरेक्टर्स भी दो बार सोचते हैं? और क्या यही वजह है कि कुछ बड़े सितारे भी आमिर के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर करने से डरते हैं?