दो दोस्तो की एक ही देवी... लताजी By Mayapuri Desk 13 Feb 2022 in अली पीटर जॉन New Update Follow Us शेयर (मनोज कुमार और धर्मजी अभी भी मान नहीं सकते में उनकी देवी उन्को छोड कर चली गई है) -अली पीटर जॉन कुछ पुरुषों ने अपने माता-पिता, अपने परिवार और अपने प्रियतम से प्यार किया होगा, लेकिन उन्होंने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि वे लताजी के अधिक प्रेमी और प्रशंसक रहे हैं, जो उनके जीवन का एक बहुत ही सुंदर हिस्सा रहा है। मनोज कुमार अपनी पहली फिल्म उपकार का निर्देशन कर रहे थे और उन्होंने सभी विवरणों को अंतिम रूप दिया और अंत तक महिला गायिका के लिए अपनी पसंद छोड़ दी और जब कल्याणजी आनंदजी की चिंतित टीम ने आखिरकार उनसे पूछा कि वह गायिका का नाम क्यों नहीं बता रहे हैं, तो उन्होंने कहा, ‘‘नाम बताने की जरूरत क्या है? एक ही नाम होगा और वो है देश की अनमोल रतन लता मंगेशकर। लताजी का मनोज और उनकी पत्नी शशि के साथ एक लंबा रिश्ता था और उन्होंने निर्देशक मनोज के लिए अपने कुछ बेहतरीन गाने गाए हैं। लताजी और मुकेश द्वारा गाया गया मनोज कुमार का ‘‘शोर‘‘ एक प्यार का नगमा है का वह गीत कौन भूल सकता है जो पचास वर्षों के बाद भी इतना ताजा और सार्थक लगता है। लताजी ने एक बार मुझसे कहा था कि भले ही वह महान संगीतकारों और फिल्म निर्माताओं के लिए गाने से इंकार कर सकती हैं, लेकिन वह कभी भी उस गाने को ना नहीं कह सकतीं जो मनोज कुमार को उनकी किसी भी फिल्म के लिए चाहिए और उन्होंने साबित कर दिया कि वह जो कहती हैं उसका मतलब है। मनोज और उनके परिवार ने सचमुच लताजी को धरती पर देवी के रूप में माना। और मुझे लगा कि मैं किसी वास्तविक स्वर्ग में हूं जब लताजी ने स्वयं मनोज और शशि को मेरी पुस्तक ‘‘मौली‘‘ के विमोचन के लिए आमंत्रित किया, जिसे उन्होंने न केवल लॉन्च किया था बल्कि मेरे लिए मनाया और आशीर्वाद दिया था। धर्मेंद्र जब भी लताजी के बारे में बात करते हैं तो बहुत भावुक हो जाते हैं और अक्सर उनका वर्णन करते हुए कविता में फूट पड़ते हैं। महामारी के दौरान धर्मजी हर समय अपने फार्म हाउस पर रह रहे हैं। वे खुद खेती करते रहे हैं और चावल, गेहूं और सभी फूल और सब्जियां उगाते रहे हैं, लेकिन उनका कहना है कि जब वह लताजी के पुराने गीतों को सुनते हैं तो उन्हें एक स्वर्गीय अनुभूति होती है, जो लताजी खुद उन्हें नियमित रूप से भेजती थीं। उन्होंने एक बार मुझसे कहा था, ‘‘लोग लताजी की आवाज के बिना कैसे जीते हैं, मुझे नहीं पता, लेकिन मैं कभी भी लताजी के आवाज के बिना जी ही नहीं सकता। जिस दिन लताजी अपनी आवाज छोड कर चली गई, मनोज बिमारी की हालत में पड़े हुए और फिर भी वो लताजी की आवाज ही सुनना चाहते थे और वही हाल धर्मजी का था। वो दो दोस्त आज भी लताजी के मुरीद है और आगे भी रहेंगे, ऐसा मुझे लगता है और ऐसा ही लगा रहेगा जब तक मेरे में है जान हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article