-अली पीटर जॉन
युद्ध की रेखाएँ खींच दी गई हैं…
एक तरफ रवीश कुमार, अभिसार शर्मा, संदीप चैधरी, अजीत अंजुम, पुण्य प्रसून जैसे वास्तविक और सिद्ध एंकर और आरफा खानम शेरवानी जैसी महिलाएं और अन्य ‘‘सत्य के लिए सेनानी‘ हैं। वे सच्चाई को सामने लाने और न्याय के लिए लड़ने की लड़ाई में सबसे आगे रहे हैं और कई कठिन ‘‘युद्ध‘‘ जीते हैं.
और दूसरी तरफ ऐसे एंकर हैं जो हमेशा सवालों के घेरे में रहते हैं और लोगों को धर्म के आधार पर बांटने और समुदायों और धर्मों के बीच उस तरह की नफरत फैलाने के आरोपों का सामना कर रहे हैं जो पहले कभी नहीं देखा गया। और इन एंकरों में सुधीर चैधरी, अंजना ओम कश्यप, रजत शर्मा और उनके अनुयायी अन्य हैं।
और सीमा रेखा पर राहुल, एक अजीब सी जंग, कौन जीतेगा जैसे पुरुष हैं? कौन हारेगा?
उनके एजेंडा, सिद्धांत और मूल्य परीक्षण पर हैं। ये देश के लिए होंगे या देश के खिलाफ? उम्मीद है कि निर्णय उनके विवेक द्वारा लिया जाएगा, यदि उनके पास एक है।
जागो और जगाओ अपने दिल और दिमाग को। क्या तुम को देश की और तुम्हारे बच्चों की भविष्य के बारे में थोड़े भी परवाह नहीं है? राजदीप सरदासाई और कुछ भाषा क्षेत्र से।