सायरा बानो उन्नीसवीं सदी के चौथे और पांचवे दशक के खूबसूरत सितारे नसीम बानो की इकलौती बेटी थीं। दिलीप कुमार (यूसुफ खान) एक ऐसे स्टार थे जो धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से एक जीवित लेजेंड के रूप में विकसित हो रहे थे। वह अक्सर नसीम बानो से मिलने जाते थे जोकि उनके सहकर्मी थे और इन बैठकों के दौरान ही नन्ही सायरा ने उसे देखा और उसने अभी से मन में ये बना लिया कि वह उससे ही शादी करेगी और किसी अन्य पुरुष से नहीं।
सायरा को उसके भाई सुल्तान के साथ उसकी पढ़ाई के लिए विदेश भेजा गया था। उसने लंदन में ही पहली बार दिलीप कुमार की फिल्म 'आन' देखी और अपने सपनों के नायक के लिए उसका प्यार और मजबूत हो गया।
सायरा भारत लौट आईं और जब वह अपनी किशोरावस्था में थीं तब ही उन्हें 'जंगली' में प्रमुख नायिका के रूप में पहला ब्रेक मिला, और अपनी पहली फिल्म के साथ ही वह एक स्टार बन गईं।
वह उस समय शीर्ष की अभिनेत्री थी और सभी प्रमुख पुरुष सितारों के साथ काम कर रही थी। उनमें से एक थे राजेंद्र कुमार। दोनों ने 'आई मिलन की बेला', 'झुक गया आसमान' और 'अमन' जैसी फिल्मों में काम किया और उनके प्यार में पड़ने की कहानियां भी प्रचलित हुई थीं, भले ही राजेंद्र कुमार तीन बच्चों के वाले एक विवाहित व्यक्ति थे।
नसीम बानो कहानियों को लेकर बहुत परेशान थी इसलिए उन्होनें अपने दोस्त यूसुफ की मदद मांगी। वह समस्या सुलझाने नसीम के घर आया और वहाँ युवा सायरा से भी भेंट हुई जो अपने सपनों के राजकुमार को देखकर उत्सुक और अभिभूत थी। बैठक समाप्त हुई और उसके सपनों का राजकुमार चला गया....
दिलीप कुमार 'राम और श्याम' में डबल रोल निभा रहे थे। वहीदा रहमान फिल्म की दो हीरोइनों में से एक थीं। निर्माता, जो दक्षिण के थे, वे सायरा को दूसरी नायिका के रूप में लेना चाहते थे, लेकिन दिलीप कुमार ने उन्हें अपनी नायिका बनने के लिए बहुत छोटा पाया और यह भूमिका आगामी स्टार मुमताज के पास चली गई।
सायरा को दुख हुआ और उसने अपने ड्रीम हीरो से किसी तरह का मीठा बदला लेने का फैसला किया। उसे लंबा इंतजार नहीं करना पड़ा। नसीम और उनके दोस्त यूसुफ अभी भी योजना बना रहे थे कि सायरा को ‘तीन फिल्मों’ के नायक से कैसे बचाया जाए।
दिलीप कुमार ने नसीम या सायरा को यह पता नहीं चलने दिया कि नसीम के घर में हुई मुलाकात के दौरान उन्हें सायरा से प्यार हो गया था।
दिलीप कुमार, जिन्हें देश में सबसे योग्य कुंवारा माना जाता था, जिन पर सैकड़ों लड़कियां मरती थीं और उनसे शादी करना चाहती थीं। उन्होनें सायरा से शादी करने का फैसला किया और दोनों की शादी को सदी की शादी कहा गया। दिलीप कुमार, सदी के महान कलाकार चौवालीस वर्ष के थे और 'सौंदर्य की रानी' सायरा केवल बाईस वर्ष की थीं। शादी ने हर तरफ सनसनी मचा दी और अगले दिन सभी प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों के पहले पन्ने पर इस जोड़े की तस्वीर छपी।
छोटी सी लड़की ने जो सपना देखा था वह आखिरकार सच हो गया और कैसे!
यह जो मोहब्बत है ख़ुदा की अजीब देन है। मोहब्बत उसे कहते हैं जो ज़िंदा रहती है, बस ज़िंदा रहती है क़यामत तक।