- अली पीटर जाॅन
दुनिया ये मानती है कि हम कामसूत्र, खजूराव और अजन्ता का देश था और है, लेकिन वक्त बदलता गया और हम और और और ज्यादा बोल्ड या बेधड़क होने लगे। हमारे कला में, हमारी कविता में, हमारी मूर्तिकला में और सबसे ज्यादा हमारी फिल्मों में। और अब फिल्मों का एक और रूप आया है जिसको लोग ओटीटी प्लेटफार्म कहते है। और पिछले दो सालों में तो इन ओटीटी प्लेटफार्म पर कुछ ऐसे देखने को मिलता है जिससे हमारी सभ्यता, संस्कृति और यहां तक कि हमारा धर्म भी खतरे में आने लगा है।
मैंने इस विषय पर काफी कुछ सोचा है लेकिन कोई नतीजे पर नहीं पहुंचा हूं, तो मैंने सोचा कि मैं कुछ ज्ञानी और जाने माने लोगों से इस विषय पर थोड़ी सी बात कर लूं इससे पहले की ये विषय विष बनकर फैल जाए...
सुभाष घई : कौन कहता है की नग्नता या अश्लील सीन दिखाने से लोग आकर्षित हो जाते हैं? मैं तो कहता हूं की ये जो लहर चल रही है ये पैंडमिक की लहर से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि ये लहर एक दो या दस इंसानों को अपने लपेट में नहीं लेता बल्कि सारे समाज को लेता है। मैंने कुल मिलाकर 15 या 16 बड़ी फिल्में बनाई हैं और कोई मुझे बताए इनमें एक भी घिनौना या अश्लील सीन। मैं तो परिवार के लिए फिल्म बनाता हूं और कभी हद से बाहर जाता नहीं। अभी मैने मेरी पहली ओटीटी फिल्म बनाई है, 36 फॉर्म हाउस, इतना सारा कॉमेपिटिशन होने के बावजूद मैने उसमे एक शब्द या एक सीन किसी को हर्ट करने के लिए नहीं सोचा था और ना फिल्माया है। जिनको ये गंदा खेल खेलना है उनको उनका गंदा खेल मुबारक।
मनोज कुमार : मैने सुना है कि आजकल छोटे पर्दे पर बहुत गंदी गंदी फिल्में दिखाई जा रही है। सेक्स की फिल्मे दिखाई जा रही हैं। थोड़ा बहुत हमने भी दिखाई कभी लेकिन कभी हमने हद को पार करने की कोशिश नहीं की। जो भी दिखाना कहना था वो एक सिंबॉलिक तरीके से कह डालते थे। मेरे बेटे और पोते कभी कभी बताते हैं कि एक चैनल है जिसमें सिर्फ गंदी फिल्में दिखाई जाती है, मैने तो नही देखी है लेकिन मैं सोच सकता हूं की अगर ऐसे ही फिल्मे दिखाई जाती रहीं तो एक दिन जल्द ही कयामत आ जायेगी।
सिम्मी गरेवाल : लगभग 45 साल पहले बनी ‘‘सिद्धार्थ‘‘ नामक फिल्म में मैं पहली बार न्यूड दिखाई दी थी और मैंने राज कपूर की ‘बॉबी‘ में भी अश्लील दृश्य किए थे, लेकिन मैं उस तरह के दृश्यों को करने की कल्पना नहीं कर सकता जैसे दीपिका पादुकोण ने किया है। उन्होंने अपनी हालिया वेब फिल्म ‘गहराइयां‘ में किया। मुझे उम्मीद है कि वास्तविकता को दर्शाने के नाम पर बोल्ड फिल्में बनाने का यह चलन बहुत दूर नहीं जाता क्योंकि एक समय ऐसा भी आ सकता है जब वास्तविकता देखने के लिए बहुत बदसूरत हो जाती है।
रेखा: वक्त सच में बदल रहा है। जब मैंने मेरी पहली किसिंग सीन की थी 50 साल पहले लोगो ने हंगामा कर दिया था। उसके बाद जब मैंने बेडरूम सीन्स किए मेरी सबसे बेहतर फिल्मों में जैसे ‘घर‘, ‘उत्सव‘ और ‘आस्था‘ तब लोगों ने कहा की ये सच्चाई दिखाने वाली फिल्में और सीन हैं। और अब 2022 में जब मैं ये सारी बोल्ड फिल्मों के बारे में सुनती हूं तो हैरान हो जाती हूं की अगर मैं आज के जमाने की स्टार होती तो क्या ऐसे बोल्ड सीन्स कर सकती। दीपिका पादुकोण मेरी आज की सबसे फेवरेट एक्ट्रेस है लेकिन जब मैंने उसकी गहराइयां देखी तो उन्होंने मेरी बोलती बंद कर दी, क्या मैं सही सोच रही हूं?
संजय लीला भंसाली : मुझ पर पहले भी और गंगू बाई के दौरान भी काफी प्रैशर डाला गया बोल्ड सीन डालने के लिए, लेकिन जब भी मैं बोल्ड सीन के बारे में सोचता हूं तो तब मेरी मां की शक्ल सामने आती है और मैं वो कर ही नहीं सकता जो मुझे लोग मजबूर करते हैं करने के लिए। अब तक तो बचा हूं। अब देखते हैं जब मैं मेरी अगली फिल्म हीरा मंडी नेटफ्लिक के लिए बनाऊंगा।
सारिका: मैं उन हिरोईन्स में से हूं जिन्होंने बोल्ड सीन करने से कभी पीछे नहीं हटी। मेरी सबसे बोल्ड सीन जलाल आगा की फिल्म निर्वान में थी , अगर वो फिल्म ठीक से रिलीज होती तो मैं बहुत बड़ी स्टार बन सकती थी लेकिन अफसोस...
महेश भट्ट : हम गुरु बन गए है छोटी छोटी बातों का बतंगड़ बनाने के। नग्नता जिंदगी का एक हिस्सा है, तो अगर हम शक्ल दिखा सकते हंै, हाथ पांव दिखा सकते हैं, तो पूरा बदन क्यों नहीं दिखा सकते? आर्ट वास्तविकता को दर्शाता है और यही हम फिल्म निर्माता करते हैं। हमें अपनी आजादी का एहसास करने की आजादी कब मिलेगी जिसके बारे में सिर्फ कहा जाता है?
श्रद्धा कपूर : ये सब क्या हो रहा है? हम इसलिए पीछे रह गए क्योंकि हमको आगे सोचने की और कुछ करने की हिम्मत ही नहीं थी। वक्त आ गया है बदलने का और अगर हम नहीं बदले तो हम एक बार फिर आदि मानव बन जायेंगे।
मैंने तो सिर्फ ज्ञानी लोगों को राय आपके सामने रखी है। बाकी आप जानिए आप ही सोचिए।