-अली पीटर जाॅन
एक महीना गुजर गया और लोग अभी भी कहते हैं की लता जी चली गईं
जो आम लोग हैं वो तो अपना गम किसी न किसी तरह बयां कर लेते हैं
लेकिन उन शायरों का क्या करें जिनके गीत लता जी के अमर होने के लिए लिखे गए थे किसी जमाने में
और आज जब वो सच में चली गई है तो बड़े खोखले और बेमतलब लगते हैं
एक बड़े शायर ने लिखा है नाम गुम जाएगा
चेहरा ये बदल जाएगा, मेरी आवाज ही पहचान है गर याद रहे
और भी बहुत कुछ कहा है इस महान शायर ने
लेकिन मुझे इन तीन लाइनो से ही इतनी कॉफ्ट हो रही है पिछले एक महीने से
कि लगता है उस शायर को कहीं दूर जहां बहुत सारा रेत हो और समंदर बहुत हो वहां अकेले छोड़ आऊं
लता जी का नाम कैसे गुम सकता है?
लता जी का चेहरा बदल तो गया था उम्र के साथ, लेकिन लता जी की आत्मा की शक्ल किसी ने देखी थी?
वो शक्ल वो जब 8 साल की थीं तब भी सुंदर थी और वो जब ये जग छोड़ कर गई तब और भी खूबसूरत लग रहीं थीं, फर्क सिर्फ देखने वालो की आत्मा की आंखों में था
लता जी को कोई कैसे भूल सकता है?कल रात जब मैं अकेले अपने ख्यालों के बाग में बैठा था
मैने हर पत्ते से, हर फूल से और आगे जाकर कायनात और कुदरत और खुदा को ढूंढ कर पूछा था की क्या लता जी सिर्फ 90 साल के लिए थीं और
उन्होंने सब एक आवाज में कोरस बनकर मेरे लिए गाया,, ‘‘हां लता जी अमर हैं, हां लता जी अमर हैं, किसी को ये कहने की जरूरत नहीं की उनकी आवाज ही पहचान है, उनकी आवाज तो हम सबकी आवाज है और हमारे बाद और समय के बाद भी रहेगी, इन शायरों और कवियों से कह दो की लता जी के बारे में कुछ कहने की बात नहीं है, वो सारे बातों और सारे एहसासों के परे है‘‘
और मैं चैन से और शांत होकर मेरे पुरानी कुर्सी पर बैठ कर लता जी के वो सारे गाने याद करता रहा जो मैं कभी रात भर जागकर अकेले सुनता रहता था और आज भी जिंदगी की सारी रातों में जागकर सुन सकता हूं
और उनकी आवाज ही एक साधन है खुदा के पास पहुंचने का, उनकी आवाज ना हो तो खुदा भी कुछ नहीं और ये सुरीली बात को खुदा भी मानते है