पति-पत्नी के रिश्ते पर बनाई हुईं कई फिल्में, कुछ जानी, कुछ अनजानी- अली पीटर जॉन By Mayapuri Desk 13 Jul 2021 in अली पीटर जॉन New Update Follow Us शेयर पति-पत्नी का रिश्ता सालों से चर्चा और बहस का विषय रहा है, लेकिन तलाक को एक ऐसा मुद्दा बना दिया गया जिसकी वजह से भारत में पचास के दशक में ही कानून बना! अन्य विवादास्पद विषयों की तरह, तलाक भी हर भाषा में फिल्मों के लिए एक आम विषय बन गया, लेकिन इस विषय पर अधिकतम फिल्में हिंदी में बनी। इस विषय पर कई निर्देशकों ने कई तरह से अपने विचार व्यक्त किए हैं, लेकिन मुझे केवल वही फिल्में याद हैं जिन्होंने मुझे आकर्षित किया है! मैं उन फिल्मों, जो पति और पत्नी के बीच संबंधों के नाजुक विषय से निपटती हैं, के विवरण में नहीं जाऊंगा, इनके शीर्षक ही अपने आप में इनकी व्याख्या हैं जो आपको एक आइडिया दे सकते हैं मैं आपको ऐसी कुछ फिल्मों के नाम बताता हूँ। यदि आप पहले से ही इन्हें देख चुके हैं तो बहुत अच्छा और यदि न देखी हो तो इस नाजुक रिश्ते के बारे में अधिक जानने के लिए आपको उन्हें कभी-कभी देखना चाहिए और यह ही जाने कि यह रिश्ता परिवारों, राज्य और अंततः दुनिया को कैसे प्रभावित कर सकता है। तलाक(1958), यह पति-पत्नी के बीच हुई गलतफहमी पर बनी पहली फिल्म है। इसमें राजेंद्र कुमार, जो एक अभिनेता के रूप में अपनी शुरुआत कर रहे थे और कामिनी कदम ने मुख्य भूमिकाएँ निभाईं! यह महेश कौल द्वारा निर्देशित थी। इसकी समीक्षकों और दर्शकों द्वारा समान रूप से सराहना की गई थी। इसी शीर्षक पर आधारित अन्य फिल्में भी थीं, जैसे फिर से तलाक तलाक तलाक और ‘‘कपअवतबम‘‘ शीर्षक से फिल्म बनी! बी आर चोपड़ा जैसे अग्रणी फिल्म निर्माताओं द्वारा ‘निकाह‘ और ‘पति पत्नी और वो‘ जैसी फिल्में बनाई गई, जिन्होंने कॉमेडी के स्पर्श के साथ इस विषय को रखा! दक्षिण में बनी कुछ हिंदी फिल्में जैसे जुदाई और ‘एक ही भूल‘ एक ही तरह के विषयों पर आधारित थीं और बहुत बड़ी हिट भी थीं। पति और पत्नी के बीच संबंधों के बारे में सबसे गहन फिल्मों में से एक महेश भट्ट द्वारा निर्देशित ‘अर्थ‘ थी, जिसमें शबाना आजमी, स्मिता पाटिल, कुलभूषण खरबंदा और राज किरण जैसे उत्कृष्ट अभिनेताओं ने अभिनय किया था! गुलजार ने ‘आंधी‘ बनाई जो मोटे तौर पर श्रीमती इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के बीच संबंधों पर आधारित थी! मिस्टर और मिसेज गांधी के वास्तविक जीवन के साथ निकटता के कारण फिल्म को सेंसर में एक कठिन और लंबा समय लगा, लेकिन अंततः इसे सेंसर द्वारा मंजूरी दे दी गई और इसे राजनीतिक पृष्ठभूमि के साथ और फोकस के साथ बेहतर ज्ञात फिल्मों में से एक के रूप में याद किया जाता है। ‘पति और पत्नी का रिश्ता’ से सुचित्रा सेन ने हिंदी फिल्मों में वापसी की और गुलजार की सभी फिल्मों में हमेशा की तरह श्रीमती गांधी और संजीव कुमार के फिल्म संस्करण के रूप में बहुत अच्छा काम किया। 70 के दशक में ‘आप की कसम‘, ‘थोड़ी-सी बेवफाई‘ और ‘अगर तुम ना होते‘ जैसी फिल्में आईं जो एक संवेदनशील विषय के साथ न्याय करने में सफल रहीं। इन दो दशकों (80 से 2000 तक) में पहली, चलते-चलते और साथिया जैसी अच्छी फिल्में हमारे पास थीं जो पुरुष और औरत के संबंधों के सदियों पुराने विषय पर आधारित आधुनिक फिल्में थीं। यह विषय आज भी उतना ही ताजा है जितना मीडिया, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया की सुर्खियाँ ताजा होती हैं। जैसा कि मैं यह लेख लिख रहा हूँ, उस पर कम से कम एक दर्जन फिल्में बन रही हैं जिसे मैं एक ऐसा विषय कहता हूँ जो तब तक खत्म नहीं हो सकता जब तक कि इंसान हैं और उसके रिश्ते जीवन का हिस्सा हैं और जब तक ब्रेक अप और अलगाव जीवन में विकसित होते रहेंगे। शादी एक ऐसा बंधन है जो समाज को जिंदा रखने के लिए बहुत जरूरी है। शादी के बंधन में उलझनें तो होती रहेंगी, लेकिन जिंदगी के लिए उलझनों को सुलझाना जरूरी ही नहीं है, बल्कि जिंदगी को जिंदा रखने का यह एक सुलझा हुआ तरीका है। तो भाइयों और बहनों, इस रिश्ते का मजाक मत कीजिए। यह रिश्ता हम सब के लिए और आने वाले जमाने के लिए जरूरी है। सोचो, सोचो इससे पहले की तुम जल्दी में कोई ऐसी हरकत कर बैठो जिसके लिए तुम्हें जिंदगी भर पछताना पड़े। #Shabana Azmi #rajendra kumar #pati patni aur woh #Chalte Chalte #Sanjeev kumar #Kulbhushan Kharbanda #Gulzar #Aandhi #Smita Patil #B R Chopra #Suchitra Sen #Saathiya #Arth #Aap ki Kasam #Agar Tum Na Hote #Ek Hi Bhool #Feroze Gandhi #Kamini Kadam #Mahesh Kaul #Mrs Gandhi #Nikaah #Paheli #Raj Kiran #TALAAQ #Thodi Si Bwafaai हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article