अली पीटर जाॅन
सोनू सूद को शायद अच्छे काम करने की आदत सी हो गई है। पैंडमिक के शुरुआत में सोनू ने क्या-क्या किया इसका तो इतिहास गवाह है। उसका वो लोगो को अपने घरों में पहुंचाना, उसका वो लोगो को हजारों की तादाद में खाना खिलाना, दवाई देना और अस्पतालों में दाखिल करना और ऑक्सीजन के सिलेंडर की व्यवस्था करना और स्कूल और कॉलेजों में एडमिशन दिलाना आज आम सी बात लगती है। दक्षिण में और उत्तर में और मुंबई में और पंजाब में तो उसे लोग मसीहा मानते है और एक हमारी सरकार है जो उनके घर पर और दफ्तरों पर इनकम टैक्स की रेड मारे जाती है। खैर।
अभी जब से व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में हल्ला बोला है तब से सोनू सूद और उसका टीम यूक्रेन में पहुंच गए है और वहां हमारे इंडियन छात्रों की मदद में लग गए है दिन रात। वो वहां के इंडियन एंबेसी से संपर्क कर रहें है और भारतीय छात्रों को पोलैंड के बॉर्डर पर लेकर आ रहें है बसों से जहां से उन्हें हवाई जहाजों से घर वापस आने की सुविधा की जा रही है। और सुना जा रहा की सोनू की मदद करने की बजाय उसके नेक कामों में बाधाएं डाली जा रहीं हैं, लेकिन सोनू मसीहा है और मसीहा कभी हिम्मत नहीं हारते और उनकी छाती 56 इंच की ना भी फिर भी वो आगे बढ़ते जाते हैं मानवता की सेवा में।