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बॉलीवुड में एक ऐसा समय भी था जब बंगाली फिल्में इंडस्ट्री में राज किया करती थी.बिमल रॉय, ऋशिकेष मुखर्जी, बासु भट्टाचार्य उस दौर के ऐसे नाम हैं जिन्होंने अपने बेहतरीन निर्देशन से सभी का दिल जीता था. पहले के सिनेमा में जीवन की असलियत दिखाने की कोशिश की जाती थी. जिसकी वजह से आज भी भारतीय सिनेमा को याद किया जाता है. इस लिस्ट में एक और निर्देशक का नाम है जिन्होंने भारतीय सिनेमा को आगे बढाने में मदद की वह हैं बासु चटर्जी.
आज उनकी 97वीं बर्थ एनिवर्सरी है.
असल जीवन के किरदार को करते थे पेश
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गहरी बातों को हल्के अंदाज में बड़े पर्दे पर किस तरह दिखाना है यह अंदाज़ बासु चटर्जी.को पहले से ही खूब आता था. बासु चटर्जी जनता की नब्ज अच्छी तरह जानते थे लोगों के बीच होने वाली घटनाओं को ही उन्होंने अपनी फिल्मों की कहानी का रूप चुना. इसके अलावा असल जिंदगी के किरदारों में रंग भर कर उन्ही के सामने पेश कर देते थे.
मिडिल क्लास फैमिली की कहानी को बनाया आधार
इसके अलावा उनकी फिल्मों की विशेषता यह थी कि उनकी कहानी मिडिल क्लास फैमिली की कहानी की तरह ही लगती थी. उन्होंने अपने समय के लेखकों की कहानियों को फिल्म का शेप दिया.20-22 साल की लड़की के मन के भाव से लेकर किसी बूढ़े आदमी में मन की बेचैनी सभी को उन्होंने अपनी कहानियों का आधार बनाया.
फिल्में
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