200 लोगों के सामने 'कालिया' फिल्म के डायरेक्टर ने किया था अमिताभ बच्चन को बेइज्जत, कहा " लानत है....."

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200 लोगों के सामने 'कालिया' फिल्म के डायरेक्टर ने किया था अमिताभ बच्चन को बेइज्जत, कहा " लानत है....."

एक्टर टीनू आनंद, जिन्होंने अमिताभ बच्चन अभिनीत हिट फिल्मों कालिया और शहंशाह का भी निर्देशन किया, ने सुपरस्टार के साथ काम करने की कहानियों को याद किया. कालिया को पूरा करने में लगे चार वर्षों को याद करते हुए, टीनू ने अपने पिता, लेखक इंदर राज आनंद के बारे में एक कहानी सुनाई, जिसमें उन्होंने बताया की किस तरह अमिताभ बच्चन फिल्म का एक सीन नहीं कर पा रहे थे. बता दें अमिताभ बच्चन फिल्म में एक उर्दू की लाईन ठीक तरह से बोलने में सक्षम नहीं थे. जिसके कारण टीनू के पिता को पूरी टीम के सामने उसे डांटना पड़ा.

क्या हुई थी दोनों के बीच लड़ाई 

एक इंटरव्यू में जब उनसे पूछा गया कि क्या उस डांट की वजह से फिल्म मेकर और अभिनेता में किसी तरह की प्रॉब्लम हो . जिसके जवाब में उन्होंने कहा, “असहमति मुख्य रूप से बातचीत के बारे में थी. मेरे पिता उर्दू की ताकत थे; कोई भी उससे बहस नहीं कर सकता था. वह सेट के आसपास कहीं नहीं थे, लेकिन एक पार्टी का सीन था, जिसमें प्राण साहब कहते हैं, 'आपने अपने जीवन में शानदार सफलता हासिल की है, लेकिन आपने जो रास्ता अपनाया है वह सोने से बना है, और वह आपको सीधे ले जाएगा. मेरी जेल, या फाँसी. कालिया, यही तुम्हारा भविष्य है', और कालिया कहता है, 'क्या नज़र की तकलीफ़ों में मज़ा, जब मौत ना आए जवानी में, क्या लुत्फ़ जनाज़ा उठने का, हरगाम पे जब मातम न होगा'. जब मेरे पिता ने यह लाईन लिखी तो मैंने उन्हें बताया, मैंने कहा, 'पिताजी, इसका क्या मतलब है?''

संजय गांधी को ध्यान में रखकर लिखी थी लाईन 

टीनू को अनुमान था कि अमिताभ को भी लाइन से जूझना पड़ेगा, लेकिन उनके पिता ने उनसे कहा कि वह एक्टर  को एक दिशा बता दें. टीनू के पिता ने कहा, "उसे बताएं, 'मैंने इसे संजय गांधी को ध्यान में रखकर लिखा था." टीनू ने कहा, "उनकी मृत्यु बहुत कम उम्र में हो गई और हर सड़क के कोने पर लोग उनकी मृत्यु पर शोक मना रहे थे." लेकिन जैसा कि सोचा जा रहा था, अमिताभ सेट पर ठीक से लाइन नहीं दे सके. “दूसरी या तीसरी बार उनकी रिहर्सल के दौरान मुझे एक आवाज़ सुनाई दी, 'ठीक से कहिए जनाब, ठीक से'. हम सबने पीछे देखा, वो मेरे पापा थे. अमित ने मेरी ओर देखा और कहा, 'ब**टर्ड, तुमने अपने पिता को यहां बुलाया या क्या?''

टीनू के पिता निर्देशक के रूप में कार्यभार संभालने के लिए आगे बढ़े, और उन्होंने अमिताभ से कहा, “बेटा, ये उर्दू है, इसमें वज़न होता है… लानत है तुमपे. हरिवंश राय बच्चन के बेटे हो तुम. उनके छाँव में पले हो, और तुम कह रहे हो के ज़ुबान नहीं है ये तुम्हारी? लानत है तुमपे” टीनू ने आगे कहा, “वहां 200 लोग थे, एकदम सन्नाटा. अमित ने कहा, 'अंकल, मुझे 10 मिनट दीजिए' और चला गया.'

सेट छोडकर चले गए थे अमिताभ 

टीनू चिंतित थे कि उसने अपना एक्टर खो दिया है. "मैं अपने पिता के पास गया और कहा, 'आपने क्या किया है? मेरा हीरो फिल्म से बाहर चला गया है'. उन्होंने कहा, 'नहीं, अगर वह हरिवंश राय बच्चन का बेटा है, तो वह भागेगा नहीं', उन्होंने कहा, और टीनू यह देखकर आश्चर्यचकित रह गए कि अमिताभ एक सहायक के साथ बार-बार लाइन का अभ्यास कर रहे थे. अमिताभ लौटे, और रेखा खींची. टीनू ने याद करते हुए कहा, "मेरे पिता, 'कट' कहने के बजाय, उनके पास आए और उन्हें गले लगा लिया."

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