छोटी सी उम्र में ही रोहित शेट्टी के सिर से उठा था पिता का साया, इस तरह हासिल किया बड़ा मुकाम

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छोटी सी उम्र में ही रोहित शेट्टी के सिर से उठा था पिता का साया, इस तरह हासिल किया बड़ा मुकाम

फिल्म मेकर रोहित शेट्टी ने हाल ही में बताया कि किस तरह छोटी उम्र में उन्होंने चुनौतियों का सामना किया और अपने पिता के निधन के बाद  अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए कड़ी मेहनत की. रोहित ने यह भी खुलासा किया कि कैसे मुंबई ने उन्हें बहुत सी चीजें सिखाईं और कहा कि सपनों के शहर में लोगों की कड़ी मेहनत करने की भावना अलग है.

किया कड़ी मेहनत 

भारती सिंह और हर्ष लिम्बाचिया के साथ बातचीत में, रोहित ने कहा कि वह सांताक्रूज़ में अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए सुबह 5:45 बजे की लोकल ट्रेन पकड़ते थे. “जब हम सांताक्रूज़ में रहते थे तब मेरे पिताजी का निधन हो गया और माँ की बचत ख़त्म हो गई और इसलिए हम अपनी दादी के घर दहिसर चले गए. मुझे कभी महसूस नहीं हुआ कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है. हमने हमेशा संघर्ष किया और कड़ी मेहनत की और मैं स्ट्रीट स्मार्ट था और मैंने ये चीजें तब सीखीं जब मैं मुंबई के कारण बहुत छोटा था.

एक्टर के लिए हिंदी भाषा है जरुरी 

रोहित शेट्टी ने कहा कि अगर उनका बेटा एक्टर बनना चाहता है तो उसके लिए आम जनता के साथ समय बिताना जरूरी है. उन्होंने कहा, 'अगर आप एक्टर बनना चाहते हैं तो हिंदी भाषा पर पकड़ होना जरूरी है.'अभिनेता ने आगे कहा, “मैं यहीं पैदा हुआ और पला-बढ़ा हूं. एक चीज़ जो नहीं बदली है वह है मुंबई के लोगों की भावना. यह कुछ अलग है. जब भी मैं मुंबई पहुंचता हूं, तो चिंता का स्तर बढ़ जाता है और मैं सोचता हूं कि 'मैं काम करना चाहता हूं.' आप कितना भी कहें, 'आज मैं आराम करूंगा', आप एक दिन से ज्यादा खाली नहीं बैठ सकते और यही कारण है कि शहर प्रगतिशील है.'

हर कोई कर रहा है मेहनत 

उन्होंने उदाहरण दिया कि कैसे लोग शहर में अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं. बताया  ''यहां हर कोई काम कर रहा है. अवलोकन बहुत महत्वपूर्ण है. आप मध्यम वर्ग की गृहिणियों को दोपहर में टिफिन खोलते और पोहा बेचते हुए देख सकते हैं. वहां बहुत बूढ़े लोग ऑटो चलाते हैं.“मैं उन लोगों के बारे में सोचता हूं क्योंकि मैं वहां से आता हूं. बड़े लेवल पर मैं ज्यादा जानता नहीं हूं क्योंकि मुझे घबराहट होती है. मतलब वो शो मुझे जमता नहीं है.”

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