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‘पठान’, ‘आर आर आर’ और ‘केजीएफ 2’ छाप की रंग विरंगी पिचकारियां बिकती देखकर लगता है सिनेमा घरों पर रहेगी- ‘सर...र.र...र!’

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By Mayapuri Desk
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‘पठान’, ‘आर आर आर’ और ‘केजीएफ 2’ छाप की रंग विरंगी पिचकारियां बिकती देखकर लगता है सिनेमा घरों पर रहेगी- ‘सर...र.र...र!’

पिछले कुछे सालों से सुनते रहे हैं - ‘भारतीय सिनेमा खत्म हो रहा है!’ दर्शक टाकिजों का रास्ता भूलते जा रहे थे। हर हफ्ते रिलीज फिल्में खराब से बहुत खराब रिजल्ट दे रही थी। पिछले साल की होली पर (जब दो साल कोविड में बंद रहने के बाद सिनेमा हॉल खुले थे) एक उम्मीद जगी थी कि थियेटरों के गेट खुल गए हैं तो दर्शक भी आएंगे। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। कोरोना की एक लहर और आने वाली है... इस डर से कम ही लोग फिल्म देखने के लिए घर से निकल पाए। बल्कि पिछले वर्ष ‘होली’ भी इसी डर बस नहीं खेल पाए थे। हां, इस वर्ष 2023 की होली भय मुक्त वर्ष की होली है। बाजार में फिल्म छाप होली की पिचकारियां बिक रही हैं। इस होली के पखवारे में दर्शकों की भीड़ सिनेमा घरों पर देखकर सिनेमा मालिकों का उत्साह बढ़ गया है। बॉलीवुड में इस साल की होली शुभ होली बनकर आई है। जी7 ग्रुप टॉकीजों के मालिक और फिल्म- निर्माता मनोज देसाई अपने ग्लैक्सी सिनेमा के बाहर खड़े भीड़ का आनंद ले रहे थे, बोले- बुराई पर अच्छाई की जीत है!  

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 सचमुच कई सालों की मायूसियत के बाद इस होली पर टॉकीजों की रंगत लौट आयी है। पिछली होली से इस होली के बीच कई हिट हुई फिल्मों ने इस मौके को अधिक रंगीन बना दिया है। सिनेमा घरों पर रिलीज हुई पिछले एक साल की कामयाब फिल्में रही हैं- ‘केजीएफ 2’, ‘कश्मीर फाइल्स’, ‘आरआरआर’ और ‘पठान’। इन फिल्मों की कामयाबी के बाद सिनेमा इंडस्ट्री को पूरा हक है कि वे डटकर होली पर्व को सेलिब्रेट करें।  

 पिछले वर्ष होली से एक सप्ताह पहले (11मार्च को) ‘द कश्मीर फाइल्स’ रिलीज हुई थी लेकिन हंगामा बरपाया उसने होली के बाद। यानी- 2023 की इस होली के लिए बैक ग्राउंड उसी समय बनना शुरू हो गया था। फिर 24 मार्च को त्त्त् आयी जिसका डंका इस होली तक बजता ही जा रहा है। फिर 24 अप्रैल को ‘केजीएफ 2’ आई इसने भी इतिहास रचा। साल 2023 की शुरूआत में आयी ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’। भंसाली की ‘गंगु बाई काठियावाडी’ ने दर्शकों को अपनी ओर खींचा। तीन साल से टाकीज में ना जाने वालों को अमिताभ बच्चन की ‘कोच’ भूमिका वाली फिल्म ‘झुंड’ को देखने पति-पत्नी और बच्चे सब साथ चल पड़े। ‘द कश्मीर फाइल्स’ की दी गयी शुरूआत ने तो जैसे सिनेमा घरों के पुराने दिन लौटा दिए।इस फिल्म को देखने के लिए प्रधान मंत्री मोदी के बयान ने तो जैसे कथा की अहुति में घी डाल दिया हो। सुबह 9 बजे से रात के ढाई तीन बजे तक थियएटर के बाहर भीड़ देखने को मिलने लगा था। ना जाने कितने शोज चलाए जा रहे थे ! उस समय एक एक्जिबिटर ने बताया था- टाॅकीज मालिकों का कहना है कि ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म को टैक्स फ्री दिए जाने की जो चर्चा है, ऐसा होने से टॉकीजों की पुरानी रौनक लौटने लगी है। काश ऐसी ही भीड़ जुटाउ दो चार फिल्में और भी आजायें। और वैसा ही हुआ भी। कई सिंगल सिनेमा हाल तोड़ भी दिए गए थे, बंद हो गए थे, वावजूद इसके सिनेमा घर मे जाकर फिल्म देखने का  आकर्षण कम नही हुआ। घर मे बैठकर व्ज्ज् पर फिल्म दर्शक वो आनंद नही पाता। यहां के कैफेटेरिया में बैठकर नाश्ता, खाना, चाय, समोसा जो आनंद देते हैं और पूरे एन्जॉय के मूड में दर्शक जो हाल में सिनेमा देखता है वो घर मे कहाँ मिलेगा?  

 होली पर्व के मदमाते उत्साही सीजन के बाद भी क्या ऐसा ही रहेगा, यह एक सवाल है। कई अच्छी बनी फिल्में जो कोविड के कारण रिलीज नही हो पाई हैं, अगर वे प्राथमिकता के साथ आती रहें तो बहुत सम्भव है लोगों की टाॅकीज में आकर फिल्में देखने की आदत बन जाए। त्त्त् ,अटैक, दसवीं, ज्ञळथ् 2, जर्सी... के बाद धमाका हुआ बॉलीवुड में फिल्म पठान का, जिसने कामयाबी के सारे रेकॉर्ड्स ही तोड़ दिए। आज आलम यह है कि बाजार में पठान और त्त्त् के नाम और पोस्टर छाप की होली की पिच कारियाँ इन फिल्मों के नाम पर बिक रही हैं। सच ही कहा है- होली पर्व सचमुच बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है!  

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