कोविड 19 के चलते जहां हर किसी ने अपने अपने स्तर पर मुश्किलों का सामना किया वैसे ही बॉलीवुड इंडस्ट्री ने भी उस दौरान कई आपस और डाउन्स देखें हैं लेकिन अब जाते साल 2022 के साथ साथ बॉलीवुड से उम्मीद जताई जा रही है क्या आने वाले साल 2023 में बॉलीवुड दुबारा अपनी उस रफ़्तार में वापिस आ पाएगा या नहीं? कोरोना के दौरान बॉलीवुड में कई फ़िल्मकारो की चलती फिल्में रुक गई और कई फ़िल्मकारों की फिल्में शुरू होने से पहले ही बंद हो गई जिसका नुकसान न सिर्फ़ फिल्म निर्माताओं को हुआ बल्कि इसका भरी नुकसान दर्शकों को भी हुआ था.
बॉलीवुड में कब रुकेगी रीमेक की रेस?
दरअसल, कोविड के बाद चीज़े तो बदली ही हैं लेकिन बॉलीवुड में फिल्मों के प्रति लोगों का क्रेज़ कहीं न कहीं डगमगा गया है और बॉलीवुड भी खुद साउथ आउट टॉलीवूड इंडस्ट्री पर निर्भर होता दिख रहा है. बॉलीवुड (हिंदी फिल्म इंडस्ट्री) के जितने भी बड़े प्रोडूसर्स और डायरेक्टर्स की माने तो उनका भी साफ़ यही मानना है कि बॉलीवुड के पास अभी फ़िलहाल कोई ओरिजिनल और अच्छी स्क्रिप्ट्स नहीं है जिसकी वजह से वो साउथ इंडस्ट्री पर निर्भर हैं. अब यही एक बड़ा सवाल साल 2023 के लिए लोगों के ज़हन में उतर रहा है कि,"क्या बॉलीवुड हमेशा अब साउथ इंडस्ट्री के भरोसे चलेगा या अपने पुराने ट्रैक पर वापिस आएगा यानि जैसी फिल्में पहले बॉलीवुड में बना करती थी क्या दुबारा ऐसी बन पाएंगी?"
इन फिल्मों ने फैंस के दिल में बनाई जगह
अब बॉलीवुड को लेकर ये माना जाता है कि बॉलीवुड के फिल्मकार इतने सक्षम नहीं है की वो अपना खुद का कंटेंट बना पाए और नए प्रोजेक्ट्स पर काम कर पाए. अभी बीते कुछ समय की बात करें तो देखा गया है कि हिंदी ऑडियंस की तरफ से भी साउथ की रेमकेस और साउथ की मूवीज़ को ज़्यादा प्यार मिल रहा है अब चाहे वो एस.एस राजामौली की "RRR" हो या साउथ के सुपरस्टार ऋषब शेट्टी की "कांतारा" हो. वही जब बात आती है बॉलीवुड की फिल्मों की तो इस साल जितना कंटेंट साउथ इंडस्ट्री का चला है उतना हिंदी फिल्म इंडस्ट्री नहीं कर पाई, जैसे की ब्रह्मास्त्र, दृश्यम, भूल भूलिया या कश्मीर फाइल्स इन फिल्मों ने फिल्मकारों को एक लिमिटेड प्रॉफिट दिया है लेकिन वहीं लाल सिंह चढ़ा, सम्राट पृथ्वीराज, राम सेतु और थैंक गॉड जैसी फिल्मों ने बड़े पर्दे पर कोई खास कमाल नहीं दिखाया और ये साफ़ देखा गया है कि साउथ इंडस्ट्री और साउथ मूवीज को फैंस ने इस साल ज़्यादा पसंद किया है.
आपको बता दें, बॉलीवुड फ़िल्म क्रिटिक की ओर से अब ये कहा जा रहा है कि बॉलीवुड को अगर आने वाले साल में उसी रंगत के साथ वापिसी करनी है तो फेक प्रोमोशंस और आइटम सॉन्ग्स की जगह कंटेंट के बारे में ज़्यादा सोचना चाहिए.