मूवी रिव्यू: साधारण सी टाइमपास फिल्म साबित होती है ‘बादशाहो’ By Mayapuri Desk 01 Sep 2017 | एडिट 01 Sep 2017 22:00 IST in बॉक्स ऑफ़िस New Update Follow Us शेयर रेटिंग** इमरजेंसी में दमन के दौरान राजस्थान की एक रानी के खजाने पर सरकार की दबिश को लेकर निर्देशक मिलन लूथरिया ने फिल्म ‘बादशाहो’ का ताना बाना बुना है। जिसे महज एक टाइमपास साधारण फिल्म कहा जा सकता है। इमरजेंसी के दौरान राजस्थान के एक रजवाड़े की रानी इलियाना डीक्रूज यानि गीताजंली पर एक प्रधान राजनेता के दंबग बेटे संजीव यानि प्रियांशू चटर्जी की बुरी नजर पड़ती है लेकिन रानी की तरफ से बेइज्जत हो वो आर्मी अफसर को आदेश देता है कि रानी के छुपाये हुये खजाने को जप्त कर लिया जाये, जो कि सीधा उसके पास लाया जाये और रानी का अरेस्ट कर जेल में डाल दिया जाये। ये काम एक जांबाज आर्मी ऑफिसर विद्युत जामवाल को दिया जाता है। लेकिन यहां रानी का बॉडीगार्ड कम प्रेमी अजय देवगन यानि भवानी सिंह है जो रानी को विश्वास दिलाता है कि खजाना सरकार तक नहीं पहुंच पायेगा। इस ऑपरेशन में भवानी गुरूजी यानि संजय मिश्रा - जो एक कुशल तालातौड़ है - इमरान हाशमी यानि दलिया और संजना यानि ईशा गुप्ता को शामिल करता है। इसके बाद विद्युत जामवाल और भवानी के बीच खजाने को लेकर चोर सिपाही वाला खेल शुरू हो जाता है। जो कहां जाकर खत्म होता है ये आपको उस वक्त पता चलेगा जब आप फिल्म देखेंगे। जब भी मिलन लूथरिया और अजय देवगन जैसे अनुभवी लोग कोई फिल्म करते हैं तो उनसे काफी उम्मीदें होती हैं लेकिन इस बार उनके द्धारा चुनी गई को लेकर घौर निराषा होती है । फिल्म की शुरूआत इमरेजंसी में इंदिरा गांधी की क्लिपिंग से होती है, और फिर दिखाई देते हैं संजय गांधी, जिसकी बुरी नजर रानी और उसके खजाने पर है, तो लगता है फिल्म काफी दिलचस्प होगी, लेकिन बाद में फिल्म टिपिक्ल मुबंई होती चली जाती है। मध्यांतर तक फिर भी कहानी दर्शक को बांधे रखती ह । परन्तु बाद में कहानी में जो ट्वीस्ट आते हैं वे अवष्विसनीय और निचले दर्जे के हैं । क्लाइमेक्स देखकर गहरी निराषा होती है । टाइटल फिल्म से कहीं भी मेल खाता दिखाई नहीं देता । सबसे बड़ी हास्यप्रद बात तो उस वक्त देखने में आती है जब आर्मी के प्रषिक्षत जवान एक अदना से बॉडीगार्ड और चोर उच्चके टाइप चार लोगों के सामने घुटने टेक देते हैं, जिनमें विद्युत जामवाल जैसा मार्षल आर्ट एक्सपर्ट की इमेज रखने वाला एक्टर भी है । सुनीता राडिया की फोटोग्राफी कमाल की है, उसने राजस्थान के रेगिस्तान को खूबसूरती से कैमरे में कैद किया है । पटकथा बहुत लचर और धीमी है । कुछ जगह संवाद अच्छे हैं । अजय देवगन एक बढ़िया अदाकार है उसने अपनी भूमिका को पूरी ईमानदारी से निभाया है । इमरान हाष्मी और इषा गुप्ता भी ठीक ठाक काम कर गये, हालांकि उनके लिये करने के लिये कुछ खास नहीं था, सजंय मिश्रा हमेषा की तरी बेजोड़ रहे । इलियाना डीक्रूज भी एक हद तक अच्छा काम कर गई, लेकिन विद्युत जामवाल को हिदायत है कि अपनी इमेज से परे ऐसी कमजोर भूमिकाओं से उसे बचना चाहिये । पुलिस आफिसर की छोटी सी भूमिका में षरद केलकर भी दिखाई दे जाते हैं । अंत में फिल्म की बात की जाये तो बादषाहो एक टाइमपास फिल्म साबित होती है जिसे अजय देवगन और इमरान हाष्मी के कद्रदान एक बार देख सकते हैं । #Baadshaho #movie review #box office movie review हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article