मूवी रिव्यू: अभिनय के अचूक निशानेबाज नवाजूद्दीन यानि 'बाबूमोशाय बंदूकबाज' By Mayapuri Desk 25 Aug 2017 | एडिट 25 Aug 2017 22:00 IST in बॉक्स ऑफ़िस New Update Follow Us शेयर रेटिंग*** नवाजूद्दीन सिद्दीकी इन दिनों लगातार फार्म में चल रहे हैं। 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' के बाद एक बार फिर उन्होंने कुशान नंदी की फिल्म ‘बाबूमोशाय बंदूकबाज’ में नये अंदाज में कॉन्ट्रैक्ट किलर की भूमिका को अंजाम दिया है। जिसमें बिंदासपन और प्रतिशौध में सुलगे किलर का एक नया अवतार दिखाई देगा। कहानी एक ऐसे प्यार और धोखे की कहानी है, जिसमें एक कॉन्ट्रक्ट किलर बाबू यानि नवाजूद्दीन है, जिसका काम पैसा लेकर मर्डर करना है। वो राजनीति में मशहूर जीजी यानी दिव्या दत्ता के लिये काम करता है। एक दिन उसकी मुलाकात एक मोची लड़की फूलन यानि बिदिता बाग को देखते ही उस पर लटटू हो जाता है। एक दिन बाबू एक राजनेता दूबे जी यानि अनिल जार्ज के कहने पर जीजी के आदमी का मर्डर करता है जिसे देख फूलन उसे कहती है कि अगर वो जीजी के बाकी दो आदमियों को भी मार दे तो वो उसे अपना सब कुछ दे देगी। इस तरह फूलन के लिये बाबू जीजी से दुश्मनी मोल ले लेता है। उसी दौरान उसे जीजी के प्रतिद्वंदी नेता दूबे से जीजी के तीन आदमी मारने का कॉन्ट्रैक्ट मिलता है। लेकिन उसी बीच उसे एक और किलर बांके यानि जतिन गोस्वामी टकराता है उसे भी दूबे ने सेम लोगों के मारने का ठेका दिया हुआ है। बांके बाबू का जबरदस्त फैन है और उसे अपना गुरू मानता है। दोनों के बीच उनके टारगेट हैं जिन्हें लेकर दोनों में कंपटीशन है। इसी बीच जीजी का तनखाई पुलिस इंसपेक्टर ताराशंकर यानि भगवान बाबू को पकड़ लेता है लेकिन यहां बांके बाबू को बचाकर ले जाता है। इसके बाद बाबू फुलवा और बांके को पाकर खुश है। लेकिन उसे नहीं पता कि आगे उसके साथ क्या होने वाला है। वो उस हादसे का शिकार होता है और करीब आठ साल बाद कोमा से बाहर आता है तब उसे पता चलता है कि उसका सब कुछ खत्म हो चुका है और खत्म करने वाले उसके अपने ही हैं लिहाजा वो उनसे बदला लेता है लेकिन एक बार फिर अपने से हार जाता है और इस बार दॉव पर थी उसकी जिन्दगी। यूपी का छोटा सा कस्बा जहां बाबू नामक कॉन्ट्रेक्ट किलर के लिये किसी जान की कीमत बीस पच्चीस हजार से ज्यादा नहीं, लेकिन वो उसी से खुश है। उसके अलावा अन्य किरदारों को देखकर लगता है कि आज भी हमारा अस्सी प्रतिशत हिस्सा उस युग में जी रहा है जहां आज भी सांमती राज है ताकतवर अपनी ताकत बरकरार रखने के लिये एक दूसरे की जान ले लेते हैं। इस कथा को कुशान नंदी ने बेहतरीन ढंग से जामा पहनाया है। फिल्म की शुरूआत हल्के फुल्के ढंग से षुरू होती है जो बाद में इमोशन भरे प्रतिशोध में बदल जाती है। फिल्म की पटकथा काफी चुस्त और गालिब के संवाद किरदारों को प्रभावशाली बनाते हैं। कहानी का माहौल, लोकेषनें तथा भाशा और किरदार रीयलिटी का अहसास करवाते हैं तथा एक और पक्ष संगीत, जिसमें चार कंपजोर्स द्धारा कंपोज, गालिब द्धारा लिखे गीत जैसे बर्फानी,चुलबुली तथा घुंघटा अलग समा बांधने में कामयाब रहे हैं। नवाजूद्दीन सिद्दीकी ने देशी बांड टाइप कॉन्ट्रेक्ट किलर और भावुक प्रेमी की भूमिका को नये अयाम दिये हैं। बाबू की प्रेमिका की भूमिका में बंगाली अभिनेत्री बिदिता बाग ने पूरे आत्मविश्वास से उम्दा अभिनय किया है। उसी प्रकार एक और नया अभिनेता जतिन गोस्वामी बांके नामक कॉन्ट्रेक्ट की भूमिका को बढ़िया ढंग से निभाते हुये उभर कर सामने आया है। राजनेताओं की भूमिकाओं में अनिल जार्ज तथा दिव्या दत्ता ने मंजा हुआ अभिनय किया है तथा पुलिस आफिसर के रोल में भगवान खूब फबे हैं। इनके अलावा गौरव दांगावकर, आभिलाश लाकरा,जोयल डुब्बा, तथा देवोजीत मिश्रा अच्छे सहयोगी कलाकार साबित हुये। अंत में फिल्म को लेकर राय बनती है कि बढ़िया कलाकारों के सहयोग से एक बार फिर नवाज फिल्म में बेहतरीन अभिनय से अचूक निशाना लगाने में कामयाब रहे हैं। #Nawazuddin Siddiqui #Babumoshai Bandookbaaz #movie review हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article