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मूवी रिव्यू: नई कहानी कमजोर फिल्म 'बारात कंपनी'

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By Mayapuri Desk
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मूवी रिव्यू: नई कहानी कमजोर फिल्म 'बारात कंपनी'

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एक वक्त था जब शादी विवाहों का लोग बाग बेसब्री से इंतजार किया करते थे क्योंकि उन दिनों शादी उनके लिये एक पर्व की तरह होती थी लेकिन अब सब बदल गया है। अब एरेंज नहीं बल्कि लव मैरीज का चलन है। यहां लव मैरीज के खिलाफ एक वेडिंग एरेंजर की लव स्टोरी को दर्शाया है निर्देशक सयैद एहमद अफजल ने फिल्म ‘बारात कंपनी’ में।

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रनवीर कुमार लखनऊ में रहते एक ऐसे दादा का पोता है जो बरसों से अरेन्ज मैरीज करवाते आये हैं। जबकि उनके अपने बेटे ने लव मैरीज की थी, लेकिन अब रनवीर उनकी इच्छा के अनुसार उन सब पेरेन्ट्स के बेटे बेटी की अरेंज शादी का ठेका लेता है जो लव मैरीज या भाग कर शादी करना चाहते हैं। एक बार वो एक ऐसे ही केस में कॉलेज के लड़के को अगवा कर लेता है जिससे एक अमीर मुस्लिम लड़की शादी करने जा रही है। इस चक्कर में जब रनवीर उस लड़की की सहेली संदीपा धर से टकराता है तो उसके बाद बस उसी का हो कर रह जाता है। बाद में वो अपनी जिम्मेदारी पर घर से भाग कर आई संदीपा की मुस्लिम सहेली की हिन्दू लड़के से कोर्ट में शादी करवाता है और उसके बाद उन दोनों को अपने फार्म हाउस में कुछ दिन रहने के लिये जगह भी देता है। इस बीच संदीपा उससे प्रभावित हो उसे प्यार करने लगती है। लेकिन रनवीर के दादा ने उसकी शादी एक बेहद अमीर घर में तय की हुई है उधर संदीपा की मंगनी भी लखनऊ के एसपी विशाल करवाल से तय हो जाती है।कुछ झमेलों के बाद आखिर दोनों एक हो जाते हैं ।

बेशक फिल्म की कहानी काफी यूनिक है लेकिन निर्देशक उसे उसके मुताबिक रवानगी नहीं दे पाता। किरदार हैं लेकिन वे रजिस्टर्ड नहीं हो पाते। पटकथा ढीली तथा संवाद साधारण हैं। सभी गीत बैंकग्राउंड में बजते हैं इसलिये पता ही नहीं चलता कि वे कब शुरू हुए और कब खत्म हो गये। लखनऊ की तमाम लोकेशनें पहले से ही देखी भाली हैं।

संदीपा धर इससे पहले कुछ फिल्मों में नजर आ चुकी है, यहां वो बस ठीक ठाक काम कर गई लेकिन रनवीर को अभी काफी मेहनत करनी है। विशाल करवाल अपनी भूमिका में फबते हैं। बाकी साथी कलाकार जैसे अनुरिता झा, राजेन्द्र सेठी, अनिल रस्तोगी, सौरभी कुमार तथा अभिमन्यु अरूण तथा मनीश हवानी आदि भी ठीक ठाक काम कर गये।

फिल्म के बारे में अंत में यही कहा जा सकता है कि बारात कंपनी यानि नई कहानी, कमजोर फिल्म।

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