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संजू की सशक्त अदाकारी, लेकिन कमजोर फिल्म 'भूमि'

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By Mayapuri Desk
संजू की सशक्त अदाकारी, लेकिन कमजोर फिल्म 'भूमि'
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ये अब साबित हो चुका है, कि अब फिल्मों में ऐक्टर नहीं सब्जेक्ट चलता है। इसीलिये ओमंग कुमार द्धारा निर्देशित और संजय दत्त की वापसी वाली फिल्म‘ भूमि’  में दर्शक बासी कहानी देखकर जरूर निराश होंगे।

बाप-बेटी की कहानी है 'भूमि'

आगरा में अरूण सचदेवा यानि संजय दत्त जूतों की दुकान चलाते हैं, उनकी बेटी अदिति राव हैदरी शादी में मेकअप वगैरह का काम करती है। दोनों बाप बेटी  के बीच एक मजबूत भावनात्मक रिश्ता है। यहां पिता, मां का रोल भी निभाता है। यानी अक्सर बेटी के लिये खाना बनाता है, उसके सिर की मालिश करता है वगैरह-वगैरह। अचानक उन पर एक संकट आन पड़ता है। दरअसल अदिति की शादी के एक दिन पहले उसका बलात्कार हो जाता है। बाप बेटी न्याय पाने के लिये अदालत जाते हैं। लेकिन वहां से भी उन्हें निराश लौटना पड़ता है। बाद में बेटी इसे एक दुखद हादसा समझ भूलने की कोशिश करती है, लेकिन समाज उसे ये सब नहीं भूलने देता। इसके बाद शुरू होता है बाप बेटी का, बलात्कारियों को उनके अंजाम तक पहुंचाना।publive-image

निराश करती है फिल्म कहानी

इससे पहले इसी तरह की कहानियां मातृ तथा मॉम आदि फिल्मों में आ चुकी हैं। इसके अलावा पिंक जैसी उत्कृष्ट फिल्म का विषय भी लगभग यही था। लेकिन जहां दर्शक संजय दत्त को देखकर खुश होता है, वहीं फिल्म में कहानी के नाम पर दोहराव देख वो खीजता है। क्योंकि फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं, जो उसने पहले न देखा हो, यानी वही बेटी और उसे प्यार करने वाला पिता (दूसरी फिल्मों में मां रही है)। फिर बेटी का उसे एक तरफा प्यार करने वाले प्रेमी द्धारा या उसके साथियों सहित बलात्कार। फिर कुछ देर रोना-धोना, उसके बाद बलात्कारियों को नेस्तनाबूद कर देना। पूरी फिल्म संजय के कंधों पर टिकी है, वे ही उसे अंत तक ले जाते हैं। फिल्म की गति, कथा पटकथा और म्यूजिक सभी कुछ बेहद साधारण रहा। लगता ही नहीं कि मेरीकॉम जैसी फिल्म देने वाला निर्देशक इतनी कमजोर फिल्म बना सकता है।publive-image

संजय का शानदार अभिनय

संजय दत्त कई साल फिल्मों से दूर रहे, लेकिन उनकी वापसी उतनी ही सशक्त रही। फिल्म में उनके इमोशनल सीन देखते बनते हैं। यहां उनकी बेटी की भूमिका निभाने वाली अभिनेत्री अदिति राव हैदरी ने सुंदर अभिनय करते हुये उनका पूरा पूरा साथ दिया है। एक अरसे बाद शेखर सुमन ऐसी साहयक भूमिका में नजर आये, जिसे कोई भी छोटा-मोटा अभिनेता निभा सकता था। निगेटिव किरदार में शरद केलकर अपनी आवाज और अभिनय के बल पर एक बार फिर प्रभावित कर जाते हैं।

अंत में फिल्म के बारे में कहा जायेगा कि भूमि जैसी कमजोर फिल्म में संजय दत्त की शानदार अदाकारी उनके प्रशंसकों को निराश नहीं होने देती।

#Bhoomi #sanjay dutt #movie review
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