Movie Review Shakeela: डर्टी पिक्चर बनाने की कोशिश में पिक्चर डर्टी बना बैठे By Mayapuri Desk 24 Dec 2020 | एडिट 24 Dec 2020 23:00 IST in बॉक्स ऑफ़िस New Update Follow Us शेयर Exclusive Movie Review Shakeela: इस शुक्रवार रिलीज़ हुई फिल्म शकीला (Shakeela) का दर्शकों के साथ-साथ ट्रेड पंडितों को भी इंतज़ार था। इसका एक कारण तो पंकज त्रिपाठी की ज़बरदस्त फैन फॉलोविंग तो ही ही, दूसरी वजह इस फिल्म की तुलना सुपर हिट फिल्म डर्टी पिक्चर से होना भी था। क़रीब एक दशक पहले 2011 में एकता कपूर द्वारा निर्मित, मिलन लुथरिआ के निर्देशन में बनी विद्या बालन की डर्टी पिक्चर ने बॉक्स ऑफिस पर पहले ही दिन से बवाल मचाना शुरु कर दिया था। सिल्क स्मिता की जीवनी पर बनी डर्टी पिक्चर सौ करोड़ से ज़्यादा की कलेक्शन करने वाली फिल्म बनी थी। प्रोडूसर्स ने उम्मीदें इस फिल्म से भी कुछ ऐसी ही बनाई होंगी मगर जब मैं पीवीआर में पहला शो देखने पहुँचा तो मेरी नज़र में सिनेमा हॉल स्टाफ की गिनती दर्शकों से ज़्यादा दिख रही थी। Shakeela की नई कहानी भी वही पुरानी है Shakeela (ऋचा चड्ढा) हॉस्पिटल बेड पर नीम बेहोशी में पड़ी है, डॉक्टर्स उससे उसकी कहानी पूछ रहे हैं, वो अटक-अटककर बता रही है कि कैसे वो (Jr Shakeela - Kajol Chug) ग़रीब घर से थी, स्कूल में एक्टिंग करती थी। द्रौपदी का रोल करने से जब सब मना कर देते थे वो कर लिया करती थी। उसको सिखाया गया था विलन और हीरो कुछ नहीं बस एक किरदार होता है, एक्टर को बस उसकी एक्टिंग करनी है। शकीला (Shakeela) का एक दोस्त भी था अर्जुन, जो उसे महाभारत समझाया करता था। फिर ग़रीब शकीला का ग़रीब बाप बीमारी से मर गया, उसके और उसकी माँ के सिर पर पाँच-छः बहनों के सेट की ज़िम्मेदारी आ गयी। माँ ने शकीला को बी ग्रेड फिल्मों में काम करने के लिए भेज दिया जहाँ वो जूनियर आर्टिस्ट बनकर रह गयी। अब दूसरी ओर एक बहुत बड़ा सुपर स्टार सलीम (पंकज त्रिपाठी) है जो फैमिली फिल्म्स करता है पर अपने साथ काम करने वाली हर लड़की को बिस्तर पर लाने के बाद ही काम करने देता है। वो शकीला को भी अपने फार्म हाउस बुलाता है लेकिन शकीला नहीं जाती। अब शकीला स्टार कैसे बनेगी? शकीला (Shakeela) और उस वक़्त की सेमी पॉर्न फिल्मों की टॉप स्टार सिल्क स्मिता जब आमने सामने पड़ेंगे तो क्या बवाल होगा? सलीम जिसके इशारे पर सारी इंडस्ट्री चलती है वो अपनी बेज़्ज़ती का बदला कैसे लेगा? ये सब फिल्म देख पता चलेगा। डायरेक्शन पर ज़रा गौर करें तो.... Shakeela की सबसे कमज़ोर कड़ी उसकी स्क्रिप्ट और डायरेक्शन है। दोनों ही काम इंद्रजीत लंकेश ने ख़राब किए हैं। कोई ऐसी कहानी थी ही नहीं जिसपर फिल्म बनाई जा सके। स्क्रिप्ट इस कमी को संभाल सकती थी पर वो भी दर्शकों से जुड़ने में नाकामयाब होती है। कुछ एक जगह संवाद ज़रूर अच्छे हैं। सिल्क की आत्महत्या वाला सीन बहुत ज़बरदस्त तरीके से प्रेजेंट किया है। डायलॉग 'फैन बनने की बात करती हो, फैन बनने से औरत तो बन जाओ', इसके इतर ऋचा का आख़िरी मोनोलॉग भी अच्छा है। बाकी डायरेक्शन, सिनेमेटोग्राफी, स्क्रीनप्ले किसी में कोई दम नहीं है। अच्छी एक्टिंग ज़रा टेढ़ी ख़ीर है शकीला के रोल में ऋचा चड्ढा चाहकर भी ख़ुद को ढाल नहीं पाई हैं। फुकरे और मसान जैसी फिल्मों में अपने हुनर का लोहा मनवाने वाली ऋचा शकीला के किरदार में बंधी-बंधी सी, घबराई सी लग रही हैं और उनका मेकअप भी इतना वाहियात हुआ है कि उनपर निगाह टिकाना मुश्किल हो रहा है। पंकज त्रिपाठी इंटरवल तक ख़ुद को दोहराते नज़र आ रहे हैं, उनका वही धीर गंभीर तरीके से बोलना, जेस्चर से हास्य लाना इस बार असरदार नहीं लग रहा है। पंकज सलीम का किरदार पूरी तरह से जस्टिफाई करते नज़र नहीं आए हैं। वो छिछोरपन वाले सीन्स में भी शरीफ लग रहे हैं और ऐसा लग रहा है जैसे कोई ज़बरदस्ती उनसे ये करवा रहा है। सपोर्टिंग में राजीव पिल्लई के जगह अली फ़ज़ल ख़ुद होते तो ऋचा के साथ बेहतर केमेस्ट्री नज़र आती। ऋचा हटी-बची सी लगी हैं। सुहाना का किरदार निभाने वाली कलाकार ज़्यादा नेचुरल लगी हैं। धुन थोड़ी सी छूट रही है डर्टी पिक्चर में विद्या बालन के अलावा भी उसकी एक ख़ासियत और थी, उसका संगीत। बप्पी लेहरी के गाने लोगों की जुबां पर चढ़ गए थे, यहाँ वीर समर्थ का म्युज़िक बिलकुल असर नहीं छोड़ पाता। कुलमिलाकर शकीला (Shakeela) मात्र २ घंटे की ऐसी बायोपिक है जिसके अंदर शकीला की बायोपिक बनाने की ही कहानी है। डबिंग बहुत गंदी हुई है, न्यूज़ एंकर किसी को भी कॉलेज से पकड़कर बना दिया है। सब लाउड हैं, सबको बोलने का मौका चाहिए। क्लाइमेक्स फिर भी कुछ संभला है लेकिन फिल्म को दर्शकों तक जोड़ने में बिलकुल नाकाफी है। कुछ अपने मन की कहूं तो.... ऐसे सब्जेक्ट पर फिल्म बनाना, फिर उसे ज़बरदस्ती रेप जैसे क्राइम से जोड़ देना बहुत बेतुका लगता है। शकीला तो फिर भी बी ग्रेड फिल्मों में काम करती थीं, बहुत सी मेन स्ट्रीम की एक्ट्रेस, एक्टर्स एक वक़्त बहुत बहुत बड़ा नाम होते थे और बाद में ऐसे गायब हुए कि कहीं कोई नाम न रहा। तो क्या सबकी बायोपिक बना देनी चाहिए? इससे कहीं बेहतर होता कि शकीला (Shakeela) अपनी पूरी कहानी एक किताब की सूरत में तफ्सील से बतातीं। दूसरा, एडल्ट फिल्म एक्ट्रेस की बायोपिक बनाने वाले निर्माताओं के लिए ये सबक है कि किसी के जीतेजी उसकी अच्छी बायोपिक नहीं बन सकती। रिव्यू आपको कैसा लगा ये आप कमेंट्स में बता सकते हैं। रेटिंग - 3 /10* width='500' height='283' style='border:none;overflow:hidden' scrolling='no' frameborder='0' allowfullscreen='true' allow='autoplay; clipboard-write; encrypted-media; picture-in-picture; web-share' allowFullScreen='true'> '>सिद्धार्थ अरोड़ा 'सहर' #pankaj tripathi #Richa Chaddha #Indrajeet lankesh हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article