मूवी रिव्यू: धूम की तरज पर एक और सीरीज 'बैंक चोर' By Mayapuri Desk 16 Jun 2017 | एडिट 16 Jun 2017 22:00 IST in बॉक्स ऑफ़िस New Update Follow Us शेयर रेटिंग*** यशराज बैनर के द्धारा निर्मित तथा लेखक निर्देशक बंपी की फिल्म ‘बैंक चोर’ बोलने में द्विअर्थी लग रही थी लेकिन फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है, दूसरे फिल्म के जॉनर को कॉमेडी, सस्पेंस कहना ज्यादा उचित होगा, कॉमेडी के तहत फिल्म में इमोशन और ड्रामा भी दिखाई देने वाला है । रितेश देशमुख अपने दो साथियों विक्रम थापा तथा भुवन अरोड़ा के साथ एक बैंक में डाका डालने का प्रयास कर रहे हैं । यहां रितेश एक धार्मिक प्रवृति का ऐसा बंदा है जो हर काम करने से पहले वास्तूशास्त्र का इस्तेमाल करता हैं जबकि विक्रम थापा एक अलमस्त हरियाणवी है तो भुवन अरोड़ा दिल्ली वासी है । रितेश इन्हें पेशेवर मानकर अपने साथ रखता है लेकिन जंहा रितेश एक नर्मदिल और इमोशनल इंसान है, वहीं ये दोनों एक हद तक मूर्ख हैं । रितेश बैंक में चोरी करने से पहले बाकायदा धाकड़ सीबीआई आफिसर विवेक ऑबेराय को बैंक में चौरी की इत्तिला देते हुये आमंत्रित करता है । उसके बाद कहानी में लगातार ट्वीस्ट आते रहते हैं जो क्लाईमेंक्स तक चलते रहते हैं। सबसे पहले तो दर्शकों को सूचना दी जाती है कि यशराज बैनर की लोकप्रिय सारीज ‘धूम’ की तरह बैंक चोर के रूप में एक और सीरीज शुरू होने जा रही है । धूम की तरह यहां भी एक शातिर चोर है और जांबाज और सूझबूझ वाला सीबीआई आफिसर है और धूम की तरह ही अंत में चोर ही जीनियस साबित होता है । इसके अलावा टाइटल जो शुरू में अपने द्विअर्थी होने की तरफ इशारा कर रहा था, फिल्म में वैसा कुछ भी नहीं दिखाया गया, और न ही इस बात का कहीं कोई फायदा उठाया गया बल्कि फिल्म के किरदार द्धारा इस बात को रजिस्टर्ड करने की भी कोशिश की लेकिन दर्शकों ने उस तरफ सिवाय एक सैकेंड हंसने के अलावा और कोई रिस्पॉन्स नहीं दिया ।फिल्म की शुरूआत रितेश और उसके साथियों की मूर्खतापूर्ण हरकतों से शुरू होती है और जैसे ही दर्शक उनसे बौर होने लगता है तभी कहानी में एक ऐसा ट्वीस्ट आता है कि दर्शक एक बार फिर संभल कर बैठ जाता है । ये सिलसिला क्लाईमेंक्स तक चलता है जो पूरी तरह से साबित कर देता हैं कि बैंक चोर, धूम की लेटेस्ट दिलचस्प कापी है। फिल्म के शुरूआती दस मीनिट नजर अंदाज कर दिये जाये तो पूरी फिल्म में भरपूर मनोरजंन है। रितेश देशमुख इस तरह के किरदार करने में सिद्धहस्त हो चुका है । इस बार उसने अपने किरदार को एक अनुभवी एक्टर की तरह निभाया है । उसका साथ भूवन अरोड़ा और विक्रम थापा ने भली भांती दिया। विवेक ऑबेराय के बारे में भी लगभग यही बात लागू होती है कि जितने वे गैंगस्टर के किरदार में जंचते हैं उतने ही पुलिस ऑफिसर के रूप में जमते हैं। यहां भी एक सीबीआई के तौर उनकी प्रसनेल्टिी देखते बनती है । नगेटिव किरदार में साहिल वैद्य अपने उम्दा अभिनय से विषेश तौर पर ध्यान आकर्षित करता है। रिया चक्रबर्ती खूबसूरत लगने के अलावा,चैनल रिर्पोटर के तौर पर बस ठीक ठाक रही। अंत में यही कहा जायेगा कि तैयार हो जाईये फिल्म धूम की तरह एक और सीरीज बैंक चोर देखने के लिये। #movie review #Bank Chor हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article