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हम कितने भी आजाद ख्याल हो गये हो लेकिन आज भी हमारे बीच लड़का लड़की में फर्क समझा जाता हैं सवाल निर्देशक अश्विनी अय्यर तिवारी ने फिल्म 'बरेली की बर्फी' में हास्य व्यंग्य के माध्यम से उठाया हैं।
कृति सेनन बरेली में एक ऐसे परिवार की एकलौती लड़की हैं जिसके पिता पंकज त्रिपाठी जो मिठाई की दुकान चलाते है और माँ सीमा पाहवा एक टीचर हैं. कृति एक आधुनिक लड़की हैं जो क्लब जाती है सिगरेट पीती है शराब का सेवन करती हैं. रात-रात भर दोस्तों के साथ घूमती हैं. इसके अलावा वो बिजली विभाग में काम भी करती हैं. उसकी माँ चाहती है कि उसकी किसी तरह शादी हो जाये लेकिन कृति की हर बार शादी टूट जाती हैं. आयुष्मान खुराना प्यार में खता खाया ऐसा युवक हैं जो प्रिंटिंग प्रेस चलाता हैं. एक रात कृति घर से भाग जाती हैं. रेलवे स्टेशन बुक स्टॉल पर उसे एक बुक मिलती है जिसका नाम 'बरेली की बर्फी' हैं. उस बुक की हीरोइन सब कुछ वही करती हैं जो वो करती हैं. कृति घर वापस आकर बुक के राइटर की तलाश करती हुई आयुष्मान तक पहुच जाती हैं। दरअसल वो किताब आयुष्मान ने अपनी पूर्व प्रेमिका पर लिखी हैं। जिसकी आदतें कृति जैसी थी. जब बुक के राइटर के नाम की बात आती हैं तो आयुष्मान अपने दोस्त राजकुमार राव का नाम और फोटो डाल देता हैं. बाद में बुक रिलीज़ होने के बाद बदनामी के डर से वो बेचारा शहर छोड़ लखनऊ में एक साड़ी की शॉप में सेल्समैन की नौकरी करने लगता हैं। आयुष्मान कृति से प्यार करने लगता हैं लेकिन कृति राजकुमार राव से प्यार करती हैं. बाद में आयुष्मान किसी तरह राजकुमार की तलाश करता हैं. और उसे समझा कर वापिस लाता है कि वो कृति के मन में अपने लिए नफरत पैदा करे। परन्तु प्यार में पासा उलटा पड़ जाता हैं. क्योंकि राजकुमार भी क्रति से प्यार करने लगता हैं. अंत में कृति किसे हासिल होती हैं ये फिल्म देखने के बाद पता चलेगा।
अश्विनी अय्यर इससे पहले “निल बटे सनाटा” जैसी यथार्थवादी फिल्म बना चुकी हैं। इस फिल्म में भी बेटी को लेकर ही सवाल उठाये गए थे. लेकिन इस बार उन्होंने समाज में आज की बेटी बेटे को लेकर बने यह भाव को कॉमेडी के जरिये प्रभावित ढंग से दिखाने की कोशिश की हैं। कहानी का स्थान माहौल भाषा वगैरह हर चीज पर अच्छा वर्क किया गया हैं. लिहाजा पटकथा सवांद सभी कुछ दिलचस्प है. समीर उद्दीन का म्यूजिक कथा के अनुरूप हैं. फिल्म की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि आज की कहानी होते हुए भी फिल्म में सेक्स या ग्लैमर जैसी चीज नहीं हैं।
फिल्म के प्रमुख कलाकार आयुष्मान खुराना, कृति सेनन तथा राजकुमार राव में शुरू से अंत तक एक होड़ सी लगी रहती हैं. की कौन किससे बेहतरीन काम करके दिखायेगा यानि तीनों ही अपने अभिनय से दर्शको का दिल जीतने में कामयाब रहे हैं। इनके अलावा कृति के माँ बाप की भूमिकाओं में पंकज त्रिपाठी और सीमा पाहवा ने भी बहुत अच्छा काम किया हैं। तथा आयुष्मान के दोस्त की भूमिका में रोहित चौधरी और कृति की सहेली के रोल में स्वाति सेमवाल भी बढ़िया काम कर गये।
'बरेली की बर्फी' एक ऐसी फिल्म साबित होती है जो हर वर्ग को स्वादिष्ट लगेगी।