Advertisment

मूवी रिव्यू: नया लेकिन बिखरा हुआ विषय, उम्दा अदाकारी यानि 'बहन होगी तेरी

author-image
By Mayapuri Desk
मूवी रिव्यू: नया लेकिन बिखरा हुआ विषय, उम्दा अदाकारी यानि 'बहन होगी तेरी
New Update

रेटिंग***

इन दिनों नये नये टेलंट आ रहे हैं । उनमें जोश भी है और वे कुछ नया दिखाने के लिये लालियत हैं लेकिन इन में से ज्यादातर कहानी या टेक्निकली मार जाते हैं । अजय पन्नालाल ने भी फिल्म ‘बहन होगी तेरी’ से बतौर निर्देशक बॉलीवुड में डेब्यु किया है। उनका सब्जेक्ट फ्रैश है  जो उनकी कुछ गलतियों से बिखर गया लिहाजा वे उसे सही तरह से पेश नहीं कर पाये।

लखनऊ के एक मौहल्ले में गटटू यानि राजकुमार रॉव और  बिन्नी यानि श्रति हासन रहते हैं । स्वभाव से राजकुमार  शर्मीला और एक हद तक लूजर टाइप बंदा है वो श्रुति से प्यार करता है और ये बात वो बिन्नी तक पहुंचा भी चुका है लेकिन दुनिया के सामने कहने से डरता है । दरअसले आज भी  छोटे शहरों या कस्बों की गलियों और मौंहल्लो में लड़की लड़कों को उनके पेरेन्ट्स यही सीख देते हैं कि वे आपस में भाई बहन है । अगर कोई लड़का मौंहल्ले या गली की लड़की के साथ कुछ ऐसी वैसी हरकत करता भी है तो फौरन लड़की के हाथों उसे राखी बंधवा दी जाती है । इसी डर से रक्षाबंधन पर तमाम लड़के अपने घरों से सारा दिन गायब रहते हैं । एक बार श्रुति दूध वाले भूरा यानि हैरी टेंगरी के स्कूटर पर क्या बैठ जाती है कि राजकुमार के पिता दर्शन जरीवाला पूरा मा।हल्ल सिर पर उठा लेते हैं । लिहाजा घबरा कर श्रुति का भाई निनाद कामत उसकी शादी गौतम गुलाटी के साथ तय कर देता है । हाईलाईअ ये कि श्रुति की निगरानी के लिये गटटू को नियुक्त किया जाता है । इस बीच भूरा के पिता गुलशन ग्रोवर और ताऊ रंजीत को श्रुति इस कदर भा जाती है कि वे भूरा के साथ उसका विवाह कराने के लिये उसके भाई को उसे किडनेप करने की धमकी तक दे डालते है यानि  बिन्नी से शादी के लिये दो दो परिवारों में होड़ मची हुई है । ऐसे में गटटू का प्रेम उसे इस कदर दिलेर बना देता है कि वो एक दिन पूरे मौंहल्ले के सामने  एलान करता है कि वो बिन्नी से प्यार करता है।publive-image

निर्देशक अजय ने  अपनी पहली फिल्म के लिये बेशक एक नये और विश्वसनीय सब्जेक्ट का चुनाव किया लेकिन वे कई जगह इस तरह चूक गये कि कहानी फिल्म में पूरी तरह से बिखर गई । कॉमेडी के चक्कर में हरियाणवी, पहाड़ी और पंजाबी परिवारों को कहानी में लाना मूल कथा के लिये नुकसान देह साबित हुआ । दूसरे किरदारों के हिसाब से कास्टिंग नहीं हो पाई । फिर भी कई जगह कितने ही सीन काफी रोचक बन पड़े हैं तथा छोटे शहरों  के गली मौंहल्लों में लड़की लड़कों के संबन्ध, आचार विचार पर भी फिल्म दिलचस्प तरीके से टिप्पणी करती है । सबसे बड़ी बात कि लखनऊ में बनी इस फिल्म में लखनऊ ही गायब है।publive-image

अभिनय की बात की जाये तो राज कुमार रॉव एक बार फिर साबित कर जाते हैं कि वे हर तरह के किरदार निभाने की कूवत रखते हैं । यहां गटटू की भूमिका में उनका दब्बूपना,बेबसी और फिर उसमें से निकलने के लिये शराब पीकर धमाल मचाना आदि दृश्य, उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेता बनाते हैं । श्रुति हासन को लेना निर्देशक की सबसे बड़ी भूल साबित हुई क्योंकि वो न तो लखनऊ के कल्चर में ढल पाई, न ही भाषा की टोन पकड़ पाई, यहां तक बॉडी लैंग्वेंज से भी वो नार्थ इंडियन लड़की नहीं लगी । जंहा दर्शन जरीवाला अपनी भूमिका के तहत दर्शकों का मनोरजंन करने में पूर्णतया सफल रहे , वहीं गुलशन ग्रोवर और रंजीत को देखना सुखद रहा । इनके अलावा हैरी टेंगरी तथा निनाद कामत भी बढि़या सहयोगी साबित हुये ।

अंत में फिल्म को लेकर कहा जा सकता है कि कहानी में नयापन और राज कुमार रॉव की उम्दा अदाकारी के लिये फिल्म देखी जा सकती है ।

#movie review #Behen Hogi Teri #box office movie review
Here are a few more articles:
Read the Next Article
Subscribe