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आज भी हमारी सोच किस कदर संकीर्ण है। ये बात मराठी फिल्म का रीमेक तथा श्रेयस तलपड़े द्धारा निर्देशित फिल्म 'पोस्टर बॉयज' के तहत नसबंदी को लेकर बताने की कोशिश की है कि एक नसबंदी पोस्टर पर गलत लोगों की फोटोज लगा देने के बाद उनकी जिन्दगी किस कदर डिस्टर्ब हो जाती है।
एक गांव में तीन लोग हैं जिनमें एक रिटायर्ड कर्नल सनी देओल है, दूसरा एक टीचर बॉबी देओल और रिकवरी ऐजेंट श्रेयस तलपड़े है। सरकारी अधिकारियों की गलती से इन तीनों के फोटोज नसबंदी के पोस्टर पर लगा दिये जाते हैं। उसके बाद इन तीनों की जिन्दगी में तूफान आ जाता है। बाद में उस पोस्टर की वजह से सनी की बहन का रिश्ता टूट जाता है। बॉबी देओल की पत्नि उसे तलाक देने के लिये खड़ी हो जाती है और श्रेयस की प्रेमिका का बाप उससे शादी करने से इन्कार कर देता है। इसके बाद वे तीनों किस प्रकार प्रशासन से लड़ते हुये अपनी इज्जत वापस लाने में कामयाब होते हैं।
इससे पहले इस सब्जेक्ट पर मराठी की हिट फिल्म बन चुकी है। इसके बाद श्रेयस ने इसे हिन्दी में बनाने का प्लान बनाया और सनी और बॉबी देओल जैसे एक्शन हीरोज को लेकर एक नया एक्सपेरिमेंट किया जो एक हद तक कामयाब रहा। क्योंकि दर्शकों ने सनी और बॉबी को एक नये रूप में पंसद किया। बेहद कम बजट में बनी ये फिल्म इन तीन किरदारों द्धारा किये गये कारनामों से दर्शकों का खूब मनोरजंन करती हैं। फिल्म की कथा पटकथा और संवाद बढ़िया है तथा संगीत भी फिल्म के अनुरूप है।
सनी देओल एक रिटायर्ड कर्नल और परिवार के मुखिया के तौर पर जमे हैं। उनकी सिचवेशन पर लोग खूब ठहाके लगाते हैं। इसी प्रकार करीब चार साल बाद स्क्रीन पर एक ऐसे हिन्दी टीचर के रूप में दिखाई दिये बॉबी देओल अपनी शुद्ध हिन्दी बोलते हुये कॉमेडी करते हैं। श्रेयस ऐसी भूमिकाओं के लिये पूरी तरह फिट है, दर्शक उसे इससे पहले भी कॉमेडी रोल्स में देख चुके हैं। सोनाली कुलकर्णी सनी की बीवी के तौर पर अच्छी लगती हैं। बॉबी की पत्नि की भूमिका में समीक्षा भटनागर खासा प्रभावित करती है। इसके अलावा छोटी छोटी भूमिकाओं में अश्वनी केलकर, मुरली शर्मा तथा सचिन खेड़ेकर भी दर्शकों का खूब मनोरजंन करते हैं।
अंत में फिल्म को लेकर कहना हैं कि ये एक ऐसी फुल एन्टरटेनमेंट फिल्म है जो सभी को पंसद आने वाली है।