- अली पीटर जाॅन
सोचता हूँ, अगर मेरे सपने अपने नहीं होते, तो मेरी जिन्दगी क्या होती
मेरी जिन्दगी एक सपनो का लंबा कारवां नहीं तो क्या है
जिन्दगी को चूमने वाले सपने, जिन्दगी को चुभने वाले सपने
कभी पूरे सपने ,कभी आधे अधूरे सपने
कभी सुहाने सपने ,कभी ठुकराने वाले सपने
कभी फूलों की सुगंधों के सपने ,कभी आँसू बहने के सपने
कभी खुशी के सपने, कभी खुशियों को खुदखुशी करते हुए सपने
कभी प्यार में जीने के सपने, कभी प्यार में मरने के सपने
कभी प्यार पाने के सपने, कभी प्यार खोने के सपने
कभी खुशी से झूमने के सपने, कभी गम के दरियाओं में डूबने के सपने
कभी हौसला बढ़ाने वाले सपने, कभी हौसला हारने के सपने
कभी माँ के सपने जो कभी खत्म नही होते
कभी इनके सपने, कभी उनके सपने
कभी दोस्ती के सपने, कभी दोस्ती के टूट जाने के सपने
कभी जिन्दगी पे भरोसा करने के सपने, कभी जिन्दगी से जंग लड़ने के सपने...
कभी भगवान पर यकीन करने के सपने, कभी भगवान पे यकीन हो जाने के सपने
और फिर वो अनगिनत प्यार के सपने जो मैं दिन में, रात में और हर पल में देखता रहता हूँ और जिन्दा रहता हूँ
कभी प्यार में मात खाने के सपने, कभी हार से इंकार करने के सपने
और अभी कल ही की बात है जब मैंने एक सपना एक सुंदर चेहरे पे देखा और फिर किसी को नहीं और कुछ भी नही देखा
दिन और रात एक ही हो गये और मैं कही का नही रहा
मैने पहले भी बहुत प्यार किया, लेकिन इस बार ये प्यार नही था, ये धीरे-धीरे मेरी जिन्दगी का सबसे सुहाना और सुंदर हकीकत बन गई जो एक सपना जैसा लगता था
मैं जो जी रहा था, उसे शब्दों में ढाले जा रहा था
और एक दिन मेरा हर एहसास शब्दों का एक अजीब माला बन गया और एक किताब छप गई
सोचते-सोचते मेरा वो सपना एक ऐसी हकीकत बन गई जो ना मैं कभी भूल सकता हूँ, ना कभी कोई जान सकेगा
मैंने उस किताब को उनको अर्पण किया जिनको पहली बार देखते ही मेरी जिन्दगी ने एक खूबसूरत करवट ली थी जो अब कोशिश करके भी बदल नही सकती
कल शाम जब उस किताब, जिसका नाम ‘ऐ-अर्चना-एक खूबसूरत इबादत ‘की पूजा हुई उसी जगह जहाँ मैंने खूबसूरती का पहला दर्शन किया था
मेरे प्यार ने उस चाय कि दुकान (जिसका नाम चायोस है) एक इबादत घर, एक मंदिर, एक मस्जिद और एक गुरुद्वारा से भी महान प्राथना घर बना दिया था
और कल की पूजा में ऐसे ऐसे लोगो ने भाग लिया जो कई गुरुजनों और अन्य महागुरुओ से भी कई ज्यादा ज्ञानी और गुनी है
जैसे मेरे दोस्त जिनको लोग सिर्फ एक हास्य कलाकार कहते हैं और जानते हैं और मानते हैं ,लेकिन मेरे लिये वो एक परम और महान इंसान हैं जिनका नाम जॉनी लीवर है
और वो महिला थी जिनको मैं एक साल से जानता हूँ लेकिन लगता है हम एक दूसरे को कई युगों से जानते हैं ,जो मेरी दोस्त भी है और मेरी प्यारी बेटी भी है ,इस देश की एक बडी वकील जो सच को ढूंढती रहती है बड़ी से बड़ी और छोटी से छोटी न्यायालयों में ,नाम उनका सवीना सच्चर बेदी है
और इस गजब की पूजा में वो भी थी , जो कई महीनों से मेरे साथ एक स्तम्ब बनकर खड़ी है उस का नाम बबीता पुण्डीर है
और कही दूर दिल्ली की मायानगरी में एक ऐसे पुरुष है, जो वहाँ है लेकिन फिर भी यहाँ मेरे साथ है ,जो हमेशा मेरे साथ होते है और मेरे कई सपनो को सच मे बदलने में मेरे साथ होते हैं ,मेरे दोस्त प्रमोद कुमार बजाज है, जो ‘मायापुरी’ के कर्ताधर्ता है
और कहीं लेकिन फिर भी यहाँ वहा वो खड़ी थी जिसने मेरी जिन्दगी में एक खूबसूरत हलचल मचा दी थी ,लेकिन उसको ये शायद बिल्कुल एहसास ही नही था कि उसने कैसे मेरे सुंदर सपने को जिता दिया था ,डरता हूँ उसका नाम लेने से क्योंकि मेरी इबादत ने उसको खुदा बना दिया है और तू से आप बना दिया है और आप से मेरी दुनिया को रोशन कर दिया
नाम उसका अगर किसी को जानना है ,तो उनको या उन सबको मेरे दिल से और आँखों से पूछना होगा ,
जगमगाती रहो, जीती रहो, मेरी दुनिया को बदलने वाली, अब मुझे यकीन है, कि मुझे फिर जन्म नही लेना होगा, अब मुझे यकीन है कि मुझे किसी स्वर्ग की खोज में भटकना नही पड़ेगा ,अब मुझे वो सारी मंजिलें मिल गयी है जो आज तक किसी इंसान को नही मिली है!