फिल्म लेखक संघ दायित्व और निर्वहन

author-image
By Sharad Rai
New Update
फिल्म लेखक संघ दायित्व और निर्वहन

कितनी अजीब बात है कि एक तरफ जहां आमिर खान जैसे एक्टर इस बात को स्वीकार करते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री में लेखकों के महत्व को समझा जाना चाहिए और उनको क्रेडिट तथा पारिश्रमिक दिेये जाने में वरीयता दिखाई जानी चाहिए। वहीं फिल्म राईटर्स एसोसिएशन की 68 साल पुरानी संस्था - जिसे इनदिनों ‘स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन’ का नाम दिया गया है, को फेडरेशन से बाहर रखा जाता है। यानी - अब स्क्रीन राईटर्स एसोसिएशन की संयुक्त ताकत खत्म हो चुकी है जो उनको फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने इंप्लाइज से मिला करती थी! फेडरेशन की 21 यूनिटों की टीम में अब चुपचाप एक नई लेखक टीम ‘‘स्क्रीन राईटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’’ का नाम दर्ज हो गया है। इस नवगठित लेखक-संघ की टीम के ऑनरेरी प्रेसिडेंट श्री अशफाक खोपेकर हैं।

सचमुच सोचने वाली बात है। प्रतिवर्ष जिस संस्था में 1000 से 1200 स्क्रिप्ट पंजीकृत होती है और सिर्फ पंजियन से सालाना 1 लाख की रकम प्राप्त होती है, जिसके बैंक अकाउंट में 4 करोड़ रूपये से अधिक का जमा फंड हो, उस संस्था को अव्यवस्थित और ‘किसी काम की नहीं’ कहने वालों की संख्या बहुत लम्बी है, तो हैरानी की ही बात है ना! आमिर खान किस संदर्भ में अपनी बात कहते हैं, यह अलग मुद्दा हो सकता है पर यह मुद्दा तो वाकई मुद्दा ही है कि  लेखकों की आर्थिक-स्थिति ठीक नहीं है। या फिर उनके हक की लड़ाई में पकड़ बेहद ढीली है। नई गठित स्क्रीन राईटर्स गिल्ड एसोसिएशन के अध्यक्ष खोपेकर इन्ही कमियों को बताकर और उनको दूर करने की लड़ाई लड़ने की बात कहकर लेखकों की ताकत इकट्ठी कर रहे हैं। सचमुच लेखकों में बड़ी ताकत है। आज जब 200/500/1000 करोड़ की फिल्म बनाने की प्लानिंग पर काम होता है तब नींव का पत्थर एक लेखक की कहानी ही बनती है। जो लेखक-आज निवाले की लड़ाई लड़ता है उसी के कांटेन्ट और स्क्रिप्ट तथा म्यूजिक पर निर्माता की तिजोरी भरती है और सारा क्रेडिट  निर्देशक और कलाकार ले जाते हैं। आमिर खान ने कहा है कि वे अपने निर्माताओं से लेखक के महत्व पर चर्चा करेंगे। सवाल है लेखकों के दायित्व और निर्वहन के लिए सन 1950 में स्थापित संस्था से उम्मीदें पूरी नहीं हो पायी हैं, क्या वे अपेक्षाएं अब दो-दो एसोसिएशनें होने से पूरी हो पायेगी?

-संपादक

Latest Stories