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लम्बी ख़ोज के बाद में ‘अली’ को पाया - अली पीटर जॉन

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By Mayapuri Desk
लम्बी ख़ोज के बाद में ‘अली’ को पाया - अली पीटर जॉन
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वह दोपहर जो 'स्क्रीन' में मेरी आखिरी दोपहर थी और जावेद अख्तर ने बिरयानी के ऊपर मेरी तारीफ की थी, मेरे पास चालीस से अधिक वर्षों के अनगिनत विचार और यादे हैं।

 जब मैं अपने घर के बाहर समुद्र तट पर अकेले टहल रहा था, तो मैं इस सोच में डूबा था कि क्या वे सभी पुरुष और महिलाएँ जिनकी सफलता का मैं साक्षी रहा हूँ।

मुझे याद करते होंगे या नहीं, अब जब मैं ‘स्क्रीन’ को छोर्ड चूका हूँ और स्वाभाविक रूप से इस इंडस्ट्री का एक अलिखित कानून (अनरिटेन लॉ) हूँ।

तो पिछले ग्यारह वर्षों के दौरान, मैं इन पुरुषों और महिलाओं के संपर्क में आया हूं और मेरे प्रति उनके व्यवहार में मैंने अंतर देखा है।

अली पीटर जॉन  

'मैं हर बार उनका आभारी हूं जिसने इंडस्ट्री में मेरे अतीत के कारण मुझे पहचाना और अपना आभार व्यक्त किया' अली पीटर जॉन

लम्बी ख़ोज के बाद में ‘अली’ को पाया - अली पीटर जॉन

जब वह महान पुरुष और महिलाएं मेरे पैरों को छूते थे और मेरे गरीब घर में यह देखने आते थे कि मैंने अपने कॉलम 'अली के नोट्स' में उनके नामों का उल्लेख किया था या नहीं, तो मुझे यह देखकर दुख या पीड़ा नहीं होती थी।

अब वह लोग मुझे सिर्फ एक कमजोर सा 'हाए' कह देते है या मेरे आगे से ऐसे निकल जाते जैसे मैं मौजूद ही नहीं हूँ।

मैं एक पीड़ादायक और मोहभंग व्यक्ति हो सकता था, लेकिन ईश्वर की कृपा से मैं इस नाजुक चरण में खुद को जीवित रखने में कामयाब रहा।

मुख्य रूप से लेखन को ध्यान में रखकर और मेरे पास लिखने के लिए बहुत कुछ है और तब तक लिखना जारी रखूंगा जब तक मेरा दिमाग काम करता रहेगा और मेरा शरीर मेरे दिमाग का साथ देता रहेगा।

मैं हर बार उनका आभारी हूं जिसने इंडस्ट्री में मेरे अतीत के कारण मुझे पहचाना और अपना आभार व्यक्त किया।

मैं तब भी तमाम तरह के मिश्रित विचारों से जूझ रहा था जब मनीषा कोईराला जो अब कैंसर सर्वाइवर के रूप में जानी जाती हैं, ने मुझे अपनी किताब 'हील्ड' के लॉन्च के लिए आमंत्रित किया।

जिसके लिए मैं ताज लैंड्स एंड में प्रवेश किया था जिसमे जाते हुए मैं थोड़ा हिचकिचाता था, जहां मैं ऐसे गया था जैसे कि ‘ताज’ मेरा ही हो, मैं अपनी साधारण सी जींस, एक टी-शर्ट और रबर की चप्पल पहनी हुई थी।

मुझे थोड़ी हैरानी हुई जब सिक्यूरिटी गार्ड्स ने मेरी एंट्री में किसी भी तरह की समस्या पैदा नहीं की थी। लेकिन असली समस्या तब हुई जब मैंने सल्सेट हैव में प्रवेश किया, जहां कार्यक्रम होना था।

समारोह शुरू होने से पहले मैंने पहला आदमी शेखर कपूर को देखा जो बहुत ही ज्यादा हैंडसम नज़र आ रहे थे, जिसने बहुत गर्मजोशी के साथ समारोह में मेरा स्वागत किया।

 वह वही शेखर था जो अपने अंकल देव आनंद की सिफारिश से मेरे कार्यालय में मुझसे मिलने आए थे। वह बाहर समुद्र को देखते रहे और मुझे बताते रहे कि वह एक अच्छे तैराक थे और अपने अंकल (देव साहब) के प्रति प्रेम के कारण ही फिल्मों में आए थे।

 वह जल्द इंटरनेशनल लेवल पर अपकमिंग मॉडल में से एक बन गए थे और फिर एक अभिनेता के रूप में फिल्मों में आए थे, जिसमे उन्होंने खुद को असहज महसूस किया और फिर निर्देशन में हाथ अजमाया और एक अंतरराष्ट्रीय नाम बन गए।

मैं अंदर गया और अपने पुराने दोस्त, गुलशन ग्रोवर को देखा जो दिल्ली से लाई गई अपनी एक पुरानी कार में मेरे ऑफिस आए थे और जब तक मैंने उनसे वादा नहीं किया था कि मैं उनके बारे में एक छोटी सी खबर प्रकाशित करूंगा, तब तक उन्होंने मेरे ऑफिस से न जाने का फैसला किया था।

आज, वह एक ग्लोबल स्टार हैं और उनका एकमात्र पुत्र संजय मेट्रो गोल्डविन मेयर (एमजीएम, हॉलीवुड) में लीडिंग एग्जीक्यूटिव में से एक है।

यहां तक कि जब वह मुझसे बात कर रहे थे, तो मैंने देखा कि मसीहा महेश भट्ट “अली अली अली, चमत्कारिक आदमी” चिल्लाते हुए मेरे पास आए।

जो अब भट्ट एम्पायर के हेड हैं और मीडिया में अब उन्हें ज्यादातर आलिया भट्ट के पिता के रूप में जाना जाता हैं।

फिर मैं श्रीमती सुषमा कोइराला, मनीषा की माँ से मिला, जिन्होंने खड़े होकर मुझे समान दिया और मेरे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली और मुझे बताया कि नेपाल में आए बड़े भूकंप के बाद वह भूकंप के सिंड्रोम से पीड़ित थीं।

उन्होंने व्यस्त और सुंदर मनीषा को मुझसे मिलने के लिए बुलाया और मनीषा ने मेरे सामने झुककर मुझे समारोह में आने के लिए धन्यवाद किया।

'सौदागर' और 'बॉम्बे' जैसी फिल्मो की एक्ट्रेस मनीषा में ज्यादा बदलाव नहीं आया था। मुझे उस लड़की के बारे में गर्व महसूस हुआ जिसके बारे में मैंने पहली बार 1991 में लिखा था और जिसने अब कैंसर से अपनी लड़ाई लड़के सुर्खियां बटोरी थीं।

मैं एक बदलाव के लिए निकला था और मैं किसी भी तरह से ढींगे मरने या शेखी दिखाने की कोशिश में नहीं हूँ, लेकिन मुझे अपने पुराने दोस्तों, जैकी श्रॉफ और अनुपम खेर द्वारा बदलाव के लिए एक स्टार की तरह महसूस किया गया,

जो वास्तविक संघर्षकर्ता थे जो मदद के लिए मेरे पास आए और अब दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने में मदद करने की पोजीशन पर हैं।

जब मैं केतन मेहता, सुधीर मिश्रा, विदु विनोद चोपड़ा, अरुणा राजे और इम्तियाज अली जैसे सभी प्रमुख फिल्म निर्माताओं से रिटायर्ड होने से पहले मिला था तो मेरे लिए उस स्थिति का वर्णन करना मुश्किल हैं जिन्होंने मुझे इस तरह का सम्मान दिया जिसे आज की अधिकांश पीढ़ी भूल चुकी है।

'अगर मेरे पास इंडस्ट्री चालीस साल से लम्बे सफ़र में एक सबसे अच्छा दोस्त है  और हमेशा रहेगी  वह है दीप्ति नवल' अली पीटर जॉन

लम्बी ख़ोज के बाद में ‘अली’ को पाया - अली पीटर जॉन

मैं एक खूबसूरत युवती को एक व्यापक मुस्कुराहट और एक बिग हग्ग के साथ मेरे सामने देख हैरान था। मैं स्पष्ट रूप से उन्हें तब तक नहीं जान पाया था जब तक मेरे दोस्त राजन दीप सिंह ने मुझे नहीं बताया था कि वह दीया मिर्जा हैं।

 यह केवल तब था जब मुझे पता चला था कि वह वही लड़की थी जिसका मैंने उनकी पहली फिल्म 'रेहना है तेरे दिल में' की रिलीज से पहले इंटरव्यू लिया था।

 मैं उनसे तब पुणे में मिला था, जो कि क्रिपा फाउंडेशन के एनुअल डे पर अपनी माँ के साथ एक मेहमान के रूप में आई थी, ‘क्रिपा फाउंडेशन’ रोमन कैथोलिक पादरी, एफ.आर.जोए पेरीरा द्वारा स्थापित ड्रग्स और अल्कोहल के खिलाफ लड़ाई का केंद्र हैं।

मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि दीया शराब और ड्रग्स के खिलाफ की लड़ाई से सक्रिय रूप से जुडी हुई है।

जब तक राजन ने मुझे यह नहीं बताया था तब तक मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि वहा प्यारी-सी दिखने वाली लड़की ‘मैने प्यार किया’ की एक्ट्रेस भाग्यश्री थी।

उस छोटी भीड़ में मैं अदिति गोवित्रिकर को भी देख सकता था, जिनके बारे में मुझे बताया गया था कि वे विभिन्न कारणों से एक एनजीओ भी चला रहे थे।

सबसे बड़ी हैरानी की बात थी, श्रीमती अमृता फडणवीस की मौजूदगी, जो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री की पत्नी हैं और काफी होशियार स्मार्ट हैं हालाँकि मैंने महाराष्ट्र के सभी सीएम की पत्नियों को देखा, उनसे मिला और मुलाकात की हैं।

लेकिन श्रीमती फडणवीस जैसी कोई नहीं, जिन्होंने सभी पर एक स्थायी छाप छोड़ी है और मैं चाहता था कि उनके जैसी अद्भुत महिला बदसूरत और मजबूत बाउंसरों से घिरी न रहे।

अगर मेरे पास इंडस्ट्री चालीस साल से लम्बे सफ़र में एक सबसे अच्छा दोस्त था, तो यह थी और हमेशा रहेगी, दीप्ति नवल। वह हमेशा अच्छे और बुरे समय में मनीषा की गुरु और मार्गदर्शक रही हैं और अब भी हैं जब उनकी ‘मंशा’ ने उनके जीवन की सबसे कठिन लड़ाई को जीता हैं।

वह हर समय मुस्कुरा रही थी और मेरे लिए वह एक अभिभावक देवदूत की तरह थी जिसने यह सुनिश्चित किया कि वह न केवल मुझे घर छोड़ दे, बल्कि उन्होंने यह देखने के लिए मेरे घर के बहार इंतजार भी किया की मैं घर के अंदर गया की नहीं।

और फिर मेरा सपना सच हो गया। जब मैंने वहा अनुमान लगाया था कि 66 साल की बहुत खूबसूरत अभिनेत्री ‘रेखा’ जरुर इस समारोह में होंगी क्योंकि वह मनीषा के साथ हमेशा खाड़ी रही हैं।

मेरा अनुमान सही निकला था! रेखा ने सफ़ेद साड़ी में समारोह में एक शानदार एंट्री की। मैं अन्दर से उत्साहित था जब उन्होंने मेरा उसी तरह से अभिवादन किया।

जैसे वह शुरुआती शानदार दिनों में करती थी, जब मैं उदयपुर के लक्ष्मी पैलेस होटल में उनसे लगातार चार दिन मिला था जब उन्होंने मुझे अपने जीवन और ‘हिम’ की कहानी सुनाई थी।

मैं हर मुलाकात के साथ मदहोश हो रहा था और रेखा से मिलने के बाद मैं अगले दो दिनों और रातों तक एक समाधी में था।

उस शाम, मनीषा की बदौलत मैं उस इंडस्ट्री के साथ वापस से जुड़ पाया था जो मेरा जीवन रहा है और जिसके लिए मैंने अपना जीवन समर्पित कर दिया है।

मुझे पता है कि अगर भगवान ने चाहा तो आगे ऐसी कई और शामें भी हो सकती हैं। लेकिन चाय के साथ वह पहले जैसी शाम कभी नहीं हो सकती है।

अनु- छवि शर्मा 

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