...आखिर, ‘खलनायक’ ने अपनी रामायण लिखवा ही ली- ‘संजू’ By Sharad Rai 11 Jul 2018 | एडिट 11 Jul 2018 22:00 IST in एडिटर्स पिक New Update Follow Us शेयर कहते हैं राम-रावण युद्ध में विजय रावण की होती तो रामायण का रूप ऐसा नहीं होता। तब शायद सीता का हरण नहीं होता, सूर्पणखा की नाक नहीं कटती और मेघनाथ मारा नहीं जाता। सब कुछ रावण के हिसाब से लिखा जाता और काव्य-कथा का नाम होता ‘रावणायण’! कुछ ऐसा ही संजय दत्त की बायोपिक फिल्म ‘संजू’ को देखकर लगता है। पर्दे की इस वास्तविक संघर्ष गाथा के हीरो तो थे सुनील दत्त, लेकिन, बायोपिक बनी संजय दत्त की, उनके ही हिसाब से ! तुर्रा यह कि फिल्म का ‘कलेक्शन’ देखिए- सप्ताह में 200 करोड़। यानी-इस फिल्म की कलैक्शन ने ‘बाहुबली 2’ को भी पछाड़ दिया है। वैसे, पाठक माफ करें! हमारा अभिप्राय संजय दत्त को पौराणिक-कथाओं के नायकों के समक्ष नहीं पेश करना है। यह दुःसाहस तो फिल्मकार राजू हिरानी भी नहीं कर पाए- जो ‘पीके’ और ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ जैसी फिल्में बना चुके हैं। फिल्म के आरंभ में उन्होने संजय दत्त को गांधी जी के समक्ष खड़ा करने का जाल तैयार किया था, फिर पीछे हट गये। उसी बदलाव के तहत अनुष्का शर्मा के करेक्टर का काल्पनिक क्रिएशन किया गया था। फिर शुरू हुई संजू को ड्रग में उलझाकर उनको ‘टाडा’ से बाहर ले जाने की परी-कथा जैसी कहानी। उद्देश्य एक ही था-अंततोगत्वा यह बताना कि बाबा का आतंकवाद से कोई कनेक्शन कभी था ही नहीं (कोर्ट ने उन्हें यूं ही पांच साल जेल में भेज दिया था?)। जो भी था, या है, एक ड्रगिस्ट का महिमा मंडन 200 करोड़ की लागत लगाकर जिस तरह एक फिल्मकार ने किया है, काबिल-ए-तारीफ है। यह एक मेकर की भावनात्मक फिल्म है जिसको देखने के लिए दर्शक दौड़ पड़े हैं थिएटर- इसकी तारीफ करनी होगी, ना कि इस बात की ,कि यह संजय दत्त की फिल्म है। यह संजय दत्त की फिल्म तो बिल्कुल नहीं है। कहां है इसमें वह प्रसंग जब संजय ने प्रेम में ठुकराये जाने पर फायरिंग करके अपने ही बंगले अजंता की खिड़कियों के शीशे तोड़ डाले थें कहां है उनकी कहानी में उनकी पहली नायिका टीना मुनीम का प्रसंग, पहली पत्नी ऋचा शर्मा, पहली बेटी त्रिशाला का जिक्र। तकलीफ के समय जेल में खाना लेकर जाने वाली दोस्त से बीवी बनी रिया पिल्ले का जिक्र भी नहीं है फिल्म में। फिरोज खान ने दुबई में संजय दत्त को दाऊद से मिलवाया था, फिर तमाम सितारों ने वहां जाकर आंतक की गतिविधियां चलाने वालों के शादी समारोहों में नाचना शुरू किया था। फिल्म में आंतक से जैसे कोई संबंध ही नहीं था उस व्यक्ति का जिसे मुंबई बम कांड के आरोप में ‘टाडा’ में डाला गया था और जिसे बचाने के लिए शिवसेना सुप्रीमो बाला साहब ठाकरे तक ने आशीर्वाद दिया था। संजय दत्त की बहनें (जिसमें एक सांसद हैं प्रियादत्त, दूसरी कुमार गौरव की पत्नी), जीजा, रिश्तेदार सभी उस आग में जले थे उस दौर में, जब संजू बाबा अंडा सेल में थे। बहरहाल अगर यह एक ड्रगिस्ट की फिल्म है तो ‘उड़ता पंजाब’ जैसी कहानियों के हजारों ड्रगिस्ट बायोपिक बनाने के काबिल हैं। सच तो यह है कि पर्दे के ‘खलनायक’ की इमेज- बिल्डिंग फिल्म है ‘संजू’! #Sanju #sanjay dutt #box office #RAMAYAN #Sanjay Dut हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article